बुधवार, अगस्त 24, 2011

डाक्टर अमर कुमार को श्रद्धांजलि !

आज इस टिप्पणीकार की तमाम टिप्पणियाँ रह रहकर याद आ रहीं हैं । हम जहाँ डॉक्टर साहब से मौज लेने के अवसर तलाशते रहते थे वहीं उनसे थोड़ा सा डरते भी थे कि कहीं हम कुछ ऐसा न लिखें जिससे उन्हें टोकना पड़े । यहाँ काफी कुछ मन में घुमड़ रहा है लेकिन अब लिखा न जाएगा ।

आज डॉक्टर अमर कुमार शरीर से हमारे बीच नहीं हैं । लेकिन वे हमारे  मन में हमेशा बने रहेंगे । मेरी उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि !

मंगलवार, अगस्त 23, 2011

पतली गली से निकल जा



तेरा दावा है कि तू भारत का पूत है ।

मुझको लगता है कि तू दुश्मन का दूत है ॥


अक्ल से तू एकदम कंगाल हो गया ।

माना कि तेरे पास में दौलत अकूत है


मेरी माने तो अब आबरू बचा ले तू ।

पब्लिक खड़ी है देख ले हाथों में जूत है ॥


खींच ली जाएगी लंगोटी तेरी ।

सबको लगता है कि तू भागता भूत है ॥

मित्रगण