रविवार, जुलाई 19, 2009

बूढ़े, न समझो कूड़े...


आज 'दो कलियाँ' फ़िल्म का मशहूर गाना 'बच्चे, मन के सच्चे...' सुना तो खयाल आया कि इसी धुन पर बूढ़ों के लिए भी एक गाना हो तो कैसा रहे ? तो बस हमने सरस्वती जी को दरख्वास्त भेज दी और कुछ ही देर में उधर से जवाब भी आ गया । अटैचमेण्ट में जो गाना उन्होंने भेजा वह पेश कर रहे हैं । पर पहले YOUTUBE पर जाकर ओरिजिनल गाना सुन लें । अल्पना वर्मा जी से विशेष रिक्वेस्ट है कि यदि संभव हो तो इस गाने को अपनी सुरीली आवाज में गाकर सुना दें । समीर जी कृपया इसे ट्राई न करें :)

बूढ़े, न समझो कूड़े
नहीं सबकी आँख के काँटे
ये मुरझाते फूल हैं वो
कलियों से अलग जो छाँटे

बूढ़े, न समझो कूड़े........

इन्साँ कोई बूढ़ा है
मत समझो वह कूढ़ा है
अनुभव उसकी झोली में
ज्ञान है उसकी बोली में
अच्छे और बुरे देखे
बच्चे और बड़े देखे
उसने देखे हैं जीवन में
बहुत मुनाफ़े घाटे......

बूढ़े, न समझो कूड़े....

बच्चे थे फ़िर बड़े हुए
खुद पैरों पर खड़े हुए
वक्त जवानी का बीता
लगा इन्हें सब कुछ रीता
आज बुढ़ापे ने घेरा
छूटा सब तेरा मेरा
अब न अकेलापन भाता है
समय न कटता काटे......

बूढ़े, न समझो कूड़े........

अगर पुरातनवादी हैं
फ़िर भी दादा-दादी हैं
हमको पाला-पोषा है
कल का नहीं भरोसा है
सेवा इनकी आज करें
इनके दिलों पर राज करें
इनके साथ बिताएं दो पल
दूर करें सन्नाटे................

बूढ़े, न समझो कूड़े
नहीं सबकी आँख के काँटे
ये मुरझाते फूल हैं वो
कलियों से अलग जो छाँटे
बूढ़े, न समझो कूड़े...........

33 टिप्‍पणियां:

  1. सरस्वती जी का जचाब बेहतर लगा। अच्छी पेरोडी।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  2. पै भी नहीं
    रोड़ी ही है यह।
    इसे कूटने में
    अधिक मेहनत
    लगती है।

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  3. गजब की पैरोडी। इसे तो स्‍वर दि‍या ही जाना चाहि‍ए, एक वोट मेरा भी:)

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  4. वाह बहुत अच्छा. संगीत कौन देगा तय हो जाये तो सूचित कर दीजिएगा.

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  5. वाह बस इसे जल्दी से सुनने की तमन्ना है।

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  6. आज के भौतिकतावादी युग में बच्चे अपने बुजुर्गो को सच में ही कूढा समझने लगे हैं. ..
    ... अच्छा कटाक्ष है.

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  7. पैरोड़ी में ही सही। संदेश अनुकर्णीय है।

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  8. भतिजे क्युं चिंता करता है? आज समीरजी को मना किया है. कल खुद को ही मना करना पडेगा.:)

    रामराम.

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  9. बूढ़े, न समझो कूढ़े
    ढूंढ़ते फिरते बागों में जूडे:)

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  10. बढ़िया हास्य से लबरेज सही है .

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  11. विवेक भाई पैरोडी के बहाने ही सही ..एक सच को सामने रख दिया आपने....मैंने तो खुद ही ट्राई किया ...अच्छा हुआ कोई था नहीं आसपास...

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  12. सचमुच कूड़े नहीं हैं बूढे !

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  13. well said vivek, thanks a lot....in fact..यहां ५ - ६ बुढ्ढे हैं जिन्होने सब उत्पात किया हुआ है you know?.. इन बुढ्ढों को यहां से बाहर करो..तुम जानते हो कि ये एक बुढ्ढा हरयाणा से, तीन बुढ्ढे उत्तरप्रदेश से...दो बुढ्ढे मध्यप्रदेश और एक बुढ्ढा साऊथ से है..तुम अच्छा काम कर रहे हो..इन बुढ्ढों को बाहर करो..फ़िर हम तुम जैसे नवयुवकों का राज होगा..और कलियां भी मुस्करायेंगी..I am always with you..well done..keep it up.

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  14. इनके साथ बिताएं दो पल
    दूर करें सन्नाटे...

    वाह विवेक जी वाह...आपकी लेखनी और सोच को सलाम...बहुत ही असरदार पंक्तियाँ...बधाई...
    नीरज

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  15. अरे विवेक् भाई शुक्र है आपको तो हमारा ख्याल आ ही गया जो हमारे लिये गीत रचने की कृपा की बेटाजी बहुत बहुत धन्यवाद हा हा हा वैसे बहुत बदिया गीत है और मा सरस्वती जी की मेहर है आप पर बधाई

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  16. puri poem ke baare me to mai kuch nahi kahungi..
    kyo ki mai use us dhun me padh nahi paayi..
    lekin 1st para.. vakai jaandaar hai..

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  17. Hello Uncle! How r u.
    Wishing u happy icecream day...aj dher sari icecream khayi ki nahin.
    See my new Post on "Icecrem Day" at "Pakhi ki duniya" .

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  18. कोई सिनेमा वाला चोट्टा पढेगा तो अपनी फ़िलिम मे ले लेगा।शानदार!

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  19. कमाल करते हो यार! बड़ा बम्फाट रच दिया इसे तो।

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  20. विवेक जी,
    जबरदस्त पैरोडी, गाने की ही इच्छा हो गयी..
    बेहतरीन..

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  21. in sentiments ko koi samajh nahi pa raha hai.. ya fir main ise kuch galat samjah raha hu??

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  22. यह कड़वा सच है.पैरोडी के बहाने एक सुन्दर रचना के लिए साधुवाद.

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  23. इतना सुन्दर और असरदार गीत, कैसे रोक पाऊँगा अपने आपको गाने से..नहाने चला जाता हूँ. :)

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  24. वाह विवेक जी वाह...


    सुन्दर और असरदार
    शानदार

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  25. bujurgo ke samman me rchi gai kavita perodi aur kuch shbdo ke karn kmjor ho gai hai .
    smman kam aur mjak jyaya lag rha hai.

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