tag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post5840269338439519900..comments2023-11-05T13:11:57.856+05:30Comments on स्वप्नलोक: कौए से भेदभावविवेक सिंहhttp://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-34952132577964905022009-01-16T11:33:00.000+05:302009-01-16T11:33:00.000+05:30आपने मेरे ब्लाग पर नजर डाली, धन्यवाद. वैसे हिन्दी ...आपने मेरे ब्लाग पर नजर डाली, धन्यवाद. वैसे हिन्दी में आपकी तरह शानदार लिखने वालों और इतनी वेराइटी देख कर फीलगुड का मन कर रहा है. आगे भी बात होगी, मुलाकात होगी.rajivhttps://www.blogger.com/profile/10917588871855963207noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-24848554790947348792009-01-12T12:17:00.000+05:302009-01-12T12:17:00.000+05:30ohh is topic par to maine ek lambi si kavita likh ...ohh is topic par to maine ek lambi si kavita likh rakhi hai, ab jaldi hi post karungiकंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-50112217268622685352009-01-10T08:17:00.000+05:302009-01-10T08:17:00.000+05:30कौवी वाली बात सही है। लेख शानदार है। कुश कौवी की प...कौवी वाली बात सही है। लेख शानदार है। कुश कौवी की पप्पी लेकर आये कि नहीं अभी तक!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-40989622690241719572009-01-08T14:51:00.000+05:302009-01-08T14:51:00.000+05:30विवेक जी, मेरे विचार से आपकी चेष्टा अवश्य रंग लाएग...विवेक जी, मेरे विचार से आपकी चेष्टा अवश्य रंग लाएगी. केवल आप ही हैं जो कि इस बेचारे काग का खोया सम्मान उसे वापिस लौटा सकते हैं.इस विषय में शास्त्रों मे वर्णित एक श्लोक मुझे याद आ रहा है कि<BR/>सन्त एव सतां नित्यमापदुद्धरणक्षमा:।<BR/>गजानां पड्कमग्नानां गजा एव धुरंधरा:।।<BR/>अर्थात जिस प्रकार कीचड में फंसे हाथी को एक हाथी हि निकालने में समर्थ होता है, उसी प्रकार किसी सज्जन के खोए सम्मान को कोई सज्जन ही वापिस ला सकता है.<BR/>अत: लगे रहिए, हम सब आपके साथ है.इसके लिए अगर कहीं अनशन/धरना-प्रदर्शन इत्यादी भी करना पडे तो अवश्य याद कीजिएगा.Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-4322311454485301642009-01-08T13:58:00.000+05:302009-01-08T13:58:00.000+05:30कौन कहता है कि कौवे का "विवेक" नही होता है ?कौन कहता है कि कौवे का "विवेक" नही होता है ?विनोद श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/03047825335357886599noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-80243823374589592892009-01-08T12:38:00.000+05:302009-01-08T12:38:00.000+05:30काकभुसुण्डि जी तो अपने भी फ़ेवरेट है.. कौओ क़ी व्य...काकभुसुण्डि जी तो अपने भी फ़ेवरेट है.. <BR/><BR/>कौओ क़ी व्यथा लिखकर आपने हमारी आँखो में आँसू ला दिए.. मन कर रहा है क़ी पंख लगाकर आसमान में उड़ जाऊ और जाकर कौवी क़ी पप्पी ले लू... <BR/><BR/>और मस्त गगन में कौवा बनकर कांव कांव करता रहू...कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-45862904704709695202009-01-08T10:58:00.000+05:302009-01-08T10:58:00.000+05:30कलियुग तो आ के चला भी गया शायद. काक-वार्ता अच्छी ल...कलियुग तो आ के चला भी गया शायद. काक-वार्ता अच्छी लगी!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-80225821629242657352009-01-08T10:39:00.000+05:302009-01-08T10:39:00.000+05:30विवेक जी नमस्कार,क्या बात है आज आपने शायरी छोड़ कर ...विवेक जी नमस्कार,<BR/>क्या बात है आज आपने शायरी छोड़ कर "काक पुराण" लिख डाला. चलिए जी हम भी ट्राई मारते हैं कोई पुराण लिखने की.<BR/> चलो, काकी (कौवी) पुराण लिखेंगे.नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-62407043890994705812009-01-08T09:30:00.000+05:302009-01-08T09:30:00.000+05:30जैसे जैसे काग विवेक से काम लेते जा रहे हैं, उनके क...जैसे जैसे काग विवेक से काम लेते जा रहे हैं, उनके कार्कष्य में भी मिठास घुलने लगी है. विवेक भाई, आप वाक़ई एक सधे हुए व्यंगकार बन चले. इस शुभ-पथ पर शुभकामनाओं और बधाई सहित.बवालhttps://www.blogger.com/profile/11131413539138594941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-48840493427702619292009-01-08T06:42:00.000+05:302009-01-08T06:42:00.000+05:30कौवो को भी सड़कों पर आना होगा.. नारे लगाने होगें.....कौवो को भी सड़कों पर आना होगा.. नारे लगाने होगें.."नहीं चलेगी, नहीं ्चलेगी......" वगैरह.. ..<BR/><BR/>बहुत अच्छा व्यंग्य लिखा..मजा आ गया..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-33023585642215018442009-01-08T02:20:00.000+05:302009-01-08T02:20:00.000+05:30अरे नहीं विवेक भाई..........अपन वैसे नहीं हैं........अरे नहीं विवेक भाई..........अपन वैसे नहीं हैं...........सच तो यह है......कि अपन भी कौवे की तरह कर्कश हैं.....कांव-कांव करते करते रहते हैं.....जीवन में भी....और ब्लॉग में भी....मगर आपने जनाब कौवे की याद दिला कर अच्छा किया....लोगों को हकीकत में लौटा दिया....!!राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-66095732735114825052009-01-08T01:34:00.000+05:302009-01-08T01:34:00.000+05:30accha laga padh kar aapka kauwa puraan...sateek vi...accha laga padh kar aapka kauwa puraan...sateek visleshan hai..Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17320191855909735643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-77618855429530214252009-01-08T00:10:00.000+05:302009-01-08T00:10:00.000+05:30बहुत सटिक कौवा पुराण है. वैसे शायद कलियुग की शुरुआ...बहुत सटिक कौवा पुराण है. वैसे शायद कलियुग की शुरुआत हो चली है, आजकल कौवों की भी चांदी होने लगी है कभी कभी.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-42892312555163566702009-01-07T22:25:00.000+05:302009-01-07T22:25:00.000+05:30बिलकुल ही जनवादी स्वर की रचना लिख गये आप.सर्वहारा ...बिलकुल ही जनवादी स्वर की रचना लिख गये आप.<BR/>सर्वहारा की बात कह दी. धन्यवाद.Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-88838232747628370112009-01-07T22:24:00.000+05:302009-01-07T22:24:00.000+05:30अब और कौन सा कलयुग आना बाकी है ? चारों तरफ़ कौए ही ...अब और कौन सा कलयुग आना बाकी है ? चारों तरफ़ कौए ही कौए मोती चुग रहे हैं । ज़रा नज़र घुमाकर तो देखिए । आपके यहां का पता नहीं हमारे मध्य प्रदेश में तो कौओं की खूब बन आई है । काले कौए सफ़ेद वस्त्रों में प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण इमारत में विराज चुके हैं ।sarita argareyhttps://www.blogger.com/profile/02602819243543324233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-38825780944388518342009-01-07T22:13:00.000+05:302009-01-07T22:13:00.000+05:30bade hi sateek dhang se kawwe ka dard saamne rakha...bade hi sateek dhang se kawwe ka dard saamne rakha hai..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-152884915683477802009-01-07T21:53:00.000+05:302009-01-07T21:53:00.000+05:30samjhe koon saaheb??? badhayi acha likha aapnesamjhe koon saaheb??? badhayi acha likha aapneDileepraaj Nagpalhttps://www.blogger.com/profile/15936510510123199146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-10230157078677476692009-01-07T21:48:00.000+05:302009-01-07T21:48:00.000+05:30काकभुसुण्डि जी सम्माननीय चरित्र हैं, मानस के - उन...काकभुसुण्डि जी सम्माननीय चरित्र हैं, मानस के - उन्हें प्रणाम। <BR/>हां जयन्त भी है रामायण में जो अपनी कुटिलता के कारण आंख गंवाता है। दोनो ही विपरीत ध्रुव के काक चरित के।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-47389462761028517292009-01-07T21:31:00.000+05:302009-01-07T21:31:00.000+05:30बिल्कुल सही लिखा है आपने लक्ष्य प्राप्त करना है तो...बिल्कुल सही लिखा है आपने लक्ष्य प्राप्त करना है तो काक चेष्ठा तो होनी ही चाहिए ! इतनी अच्छी शिक्षा दे रहा है बेचारा कौवा फ़िर भी उसके साथ भेदभाव !Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-21995995524571778012009-01-07T21:23:00.000+05:302009-01-07T21:23:00.000+05:30आपने सही बात कह दी। बेचारे कौवों की कोई सुध ही नही...आपने सही बात कह दी। बेचारे कौवों की कोई सुध ही नहीं लेता। जरा ऐसा ही कुछ लोमड़ियों के बारे में भी लिख मारिए वे बेचारी भी जमाने की बुरी नजर की शिकार हैं। मेरा ब्लाग- http://babloobachpan.blogspot.com/बबलूhttps://www.blogger.com/profile/04389548219533308852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-86735734106370080652009-01-07T21:11:00.000+05:302009-01-07T21:11:00.000+05:30विवेक रचित कौवा पुराण ने कौवों का दिल जीत लिया होग...विवेक रचित कौवा पुराण ने कौवों का दिल जीत लिया होगा . जैसे कुत्ते और गधे मेनका गाँधी का सम्मान करते है वैसे ही कौवों को अपना रहनुमा मिल गया है विवेक के रूप मे . <BR/>वैसे यह मजाक है बहुत अच्छा लेख काक चेष्ठा तो होनी ही चाहिए कुछ भी लक्ष्य प्राप्त करने के लिएdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com