tag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post7815866696651989727..comments2023-11-05T13:11:57.856+05:30Comments on स्वप्नलोक: जड़ों से कटकर उन्नतिविवेक सिंहhttp://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-66246379216834625012009-07-25T02:48:05.007+05:302009-07-25T02:48:05.007+05:30wah acchi upamiyen...
a great fable...wah acchi upamiyen...<br /><br />a great fable...दर्पण साहhttps://www.blogger.com/profile/14814812908956777870noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-26616967651099617112009-07-24T21:36:12.281+05:302009-07-24T21:36:12.281+05:30दूर के ढोल सुहावन भैया
दिन रात येही गीत गावें हैं
...दूर के ढोल सुहावन भैया<br />दिन रात येही गीत गावें हैं<br />फोरेन आकर तो भैया<br />हम बहुत बहुत पछतावे हैं<br /><br />दिल कि बात कह दी आपने ..<br />काहे को दुखती रग पर हाथ धरते रहते हैं आपलोग...स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-37230462079722331942009-07-24T20:33:51.739+05:302009-07-24T20:33:51.739+05:30वाह भाई वाह छा गए आप तोवाह भाई वाह छा गए आप तोअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-82703453455479173672009-07-24T20:02:16.716+05:302009-07-24T20:02:16.716+05:30क्या बात है.बहुत सुन्दर बेहतरीन...बधाई.क्या बात है.बहुत सुन्दर बेहतरीन...बधाई.समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-13605861251766711242009-07-24T18:42:44.326+05:302009-07-24T18:42:44.326+05:30अपनों की बात दूसरों से ही समझ में क्यों आती है, ये...अपनों की बात दूसरों से ही समझ में क्यों आती है, ये भी एक अनुत्तरित प्रश्न है...............<br />सुन्दर और सारगर्भित रोचक कथा से बहुत कुछ कह गए आप.<br />बधाई.Mumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-25813561815241052482009-07-24T18:38:38.387+05:302009-07-24T18:38:38.387+05:30विवेक भाई क्या कहने इस अंदाजे बयां के ...पतंग डोर ...विवेक भाई क्या कहने इस अंदाजे बयां के ...पतंग डोर . बादल और झील के बहाने से जिन्दगी का और उससे अधिक इंसानी मन की असीमित चाहत की परिणति की अद्भुत दास्ताँ लिख दी आपने बहुत खूब ..मजा आ गया ..या कहूँ की दिल को छू गयाअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-57514691991805246242009-07-24T16:05:27.163+05:302009-07-24T16:05:27.163+05:30विवेक जी क्या गज़ब का ब्यंग रचा है आपने वाह कमाल क...विवेक जी क्या गज़ब का ब्यंग रचा है आपने वाह कमाल की बात कही है आपने ये पूरी रचना एक सिख लेने जैसी है ... बहोत बहोत बधाई इसकेलिए....<br /><br /><br />अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-53584514165598193382009-07-24T15:52:54.250+05:302009-07-24T15:52:54.250+05:30बहुत भावपूर्ण विवेकपूर्णश्च कहानी है। किससे लिखवाई...बहुत भावपूर्ण विवेकपूर्णश्च कहानी है। किससे लिखवाई है?Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-54814947083790795652009-07-24T15:13:53.509+05:302009-07-24T15:13:53.509+05:30'तुम भाग्यशाली हो कि तुम्हें धागे जैसा साथी मि...'तुम भाग्यशाली हो कि तुम्हें धागे जैसा साथी मिला है जो तुम्हें ऊपर उड़ते हुए भी सँभाले रहता है , तुम्हें जड़ों से जोड़े रहता है, और सफ़लता को तुम्हारे ऊपर हावी नहीं होने देता'<br />-कथा के सार को इन पंक्तियों में समेटे हुए अत्यंत प्रभावी कहानी लेखन के लिए साधुवाद.पहले निर्मला कपिला जी की कहानी, अब आपकी कहानी उत्तम कहानियों के आस्वादन से अभिभूत हूँ.hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-54158531621174904222009-07-24T14:58:46.811+05:302009-07-24T14:58:46.811+05:30हाँ एक बात कहना तो भूल ही गयी कि आप बह आयामी प्रति...हाँ एक बात कहना तो भूल ही गयी कि आप बह आयामी प्रतिभा के मालिक हैं आप्के व्यँग कविताये और आलेख सभी की मैं बहुत प्रशंसक हूँ ये सभी विधायें बनाये रखें शैली और शिल्प दोनो लाजवाब हैंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-90468663135206513352009-07-24T14:53:16.178+05:302009-07-24T14:53:16.178+05:30विवेकजी कमेन्ट तो मैने सुबह भी किया था मगर जैसे ही...विवेकजी कमेन्ट तो मैने सुबह भी किया था मगर जैसे ही पोस्ट करने लगी नेट् बन्द हो गया आपने मेरे ब्लोग पर कहा है कि आप्से प्रेरणा ले कर कहानी लिख रहा हूँ मगर मैं कहूँगी कि इस कहानी से मुझे प्रेरणा मिली है एक और कहानी लिखने की अगर कोई मुझ से पूछे कि कहानी क्या होती है तो मै कहूँगी कि विवेक जी की कहानी पढ लो यही कहानी होती है बहुत ही बडिया लाजवाब कहानी है इस के आगे कहने की मेरी साम्र्थ्या ही नहीं हैीआपको बहुत बहुत बधाई और आशीर्वाद अगली कहानी का इन्तज़ार रहेगानिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-82119720647138978812009-07-24T13:29:37.056+05:302009-07-24T13:29:37.056+05:30@ ताऊ रामपुरिया जी,
अब भी शायद की गुंजाइश रह गई क...@ ताऊ रामपुरिया जी,<br /><br />अब भी शायद की गुंजाइश रह गई क्या ? :)<br /><br />वैसे आप तो ताऊ हैं जितनी बार चाहें आ सकते हैं , हम हर बार आपका स्वागत करेंगे :)विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-89187560758490696382009-07-24T13:01:23.669+05:302009-07-24T13:01:23.669+05:30यार मैं तो दुबारा आगया लगता हूं शायद ?:)
रामराम....यार मैं तो दुबारा आगया लगता हूं शायद ?:)<br /><br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-21104454215597388842009-07-24T12:34:45.056+05:302009-07-24T12:34:45.056+05:30बेहतरीन...
बहुत सुन्दर..
नमस्कार विवेक भाई... क...बेहतरीन...<br /><br />बहुत सुन्दर.. <br /><br />नमस्कार विवेक भाई... क्या बात है.. जान फूंक दी..रंजनhttp://aadityaranjan.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-13891048667810242562009-07-24T12:27:25.318+05:302009-07-24T12:27:25.318+05:30भैया पतंग, साव्धान रहना कहीं पेंच न पड़ जाय और धाग...भैया पतंग, साव्धान रहना कहीं पेंच न पड़ जाय और धागा टूट जाय:)<br />बादल भैया कभी न कभी तो सागर में मिलेंगे[झील तो छूटना ही है]...<br />ताल मिले नदी के जल में, नदी मिले सागर में, ......?????चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-36690839936165428882009-07-24T11:45:39.158+05:302009-07-24T11:45:39.158+05:30badal or ptang ke madayam se badi achhi or gahri b...badal or ptang ke madayam se badi achhi or gahri baat kahi.....डिम्पल मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07224725278715403648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-34030930114810706452009-07-24T11:31:57.832+05:302009-07-24T11:31:57.832+05:30बेहद सुन्दर.पंचतंत्र की कथा जैसी. innovative बधाईय...बेहद सुन्दर.पंचतंत्र की कथा जैसी. innovative बधाईयाँP.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-68170954314014469112009-07-24T09:44:17.284+05:302009-07-24T09:44:17.284+05:30विवेक जी जी कैसे बताऊँ की आपने क्या मास्टर पीस लिख...विवेक जी जी कैसे बताऊँ की आपने क्या मास्टर पीस लिखा है | अंतरात्मा को हिला के रख दिया भाई |Rakesh Singh - राकेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-15123539239945566082009-07-24T09:28:35.051+05:302009-07-24T09:28:35.051+05:30सचमुच गजब की कहानी लिखी है .. बधाई !!सचमुच गजब की कहानी लिखी है .. बधाई !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-89979805634393189962009-07-24T09:14:18.772+05:302009-07-24T09:14:18.772+05:30bahut hi sundar..
ye aapki maulik rachana hai??
pa...bahut hi sundar..<br />ye aapki maulik rachana hai??<br />pata nahi kyo mujhe aisa lag raha hai ..kuch is tarah ki katha maine pehle bhi padhi hai..<br />khair..<br />aapne bahut hi saral shabdon me apni baat ko rakha hai.. :)SAHITYIKAhttps://www.blogger.com/profile/04679315164213973593noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-31671560669224647532009-07-24T09:09:21.065+05:302009-07-24T09:09:21.065+05:30बहुत खूब विवेक भाई.. पिछली कुछ पोस्ट्स में आपने नि...बहुत खूब विवेक भाई.. पिछली कुछ पोस्ट्स में आपने निर्जीव चीजो में जान दाल दी है.. इस बार की पोस्ट भी दर्शन का एहसास कराती दिखी..<br /><br />तो आप भी साहित्यकार बनते जा रहे है..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-41930446659822033912009-07-24T08:09:02.371+05:302009-07-24T08:09:02.371+05:30भतीजा आजकल बहुत प्रभावशाली लेखन करने लगा है.
रामर...भतीजा आजकल बहुत प्रभावशाली लेखन करने लगा है.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-48212421050264814462009-07-24T08:03:04.804+05:302009-07-24T08:03:04.804+05:30@विवेक सिंह
जानता हूँ पर विवेक जी आपके भोलेपन क...@विवेक सिंह <br /> जानता हूँ पर विवेक जी आपके भोलेपन का भी एक जायजा लेना था ..... <br /><br />यह कहानी अपनी जड़ों की और लौट चलने की अकुलाहट को बखूबी व्यक्त करती है<br />और दूर के ढोल की पोल भी खोलती है<br />यह हमसे विनम्रता का आग्रह भी करती है -अपने कर्तव्यों का बोध भी कराती है<br />पढ़ते हुए इन भावों से गुजरना होता है इस कहानी में इसलिए ही दिनेश जी की वह टिप्पणी !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-75612238663275933602009-07-24T07:51:41.535+05:302009-07-24T07:51:41.535+05:30@Arvind Mishra जी,
इसका लेखक हम ही हूँ !@Arvind Mishra जी,<br /><br />इसका लेखक हम ही हूँ !विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3810215831734493662.post-58564694859872800132009-07-24T07:41:07.017+05:302009-07-24T07:41:07.017+05:30बहुत ही अच्छा वार्तालाप बन पड़ा है, और महत्वाकांक्...बहुत ही अच्छा वार्तालाप बन पड़ा है, और महत्वाकांक्षा ही तो जड़ से काटती है हम भी कटे हुए हैं पर जल्दी ही जुड़ने की तैयारी है..विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.com