बुधवार, सितंबर 10, 2008

आगए कल्लू मामा

कल्लू मामा आगए, वापस अपने द्वार ।
हम कृतज्ञ हैं किस तरह व्यक्त करें आभार ।
व्यक्त करें आभार, किया उपकार आपने ।
आसिफ की ली खबर आज रज़िया के बाप ने ।
विवेक सिंह यों कहें सुनो हे सखा सुदामा !
वापस अपने द्वार, आगए कल्लू मामा ॥

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छा लिखते हैं आप...आपका ब्लॉग देखकर हरियाणा याद आ गया...

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  2. " very good style to welcome Sameer jee. hume bhee accha lga"

    Regards

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  3. अब इतने प्यार से बुलाओगे तो कैसे नहीं आयेंगे कल्लू मामा. :)

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    आपके आत्मिक स्नेह और सतत हौसला अफजाई से लिए बहुत आभार.

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