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बुधवार, सितंबर 10, 2008
आगए कल्लू मामा
कल्लू मामा आगए, वापस अपने द्वार । हम कृतज्ञ हैं किस तरह व्यक्त करें आभार । व्यक्त करें आभार, किया उपकार आपने । आसिफ की ली खबर आज रज़िया के बाप ने । विवेक सिंह यों कहें सुनो हे सखा सुदामा ! वापस अपने द्वार, आगए कल्लू मामा ॥
बहुत अच्छा लिखते हैं आप...आपका ब्लॉग देखकर हरियाणा याद आ गया...
जवाब देंहटाएं" very good style to welcome Sameer jee. hume bhee accha lga"
जवाब देंहटाएंRegards
अब इतने प्यार से बुलाओगे तो कैसे नहीं आयेंगे कल्लू मामा. :)
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आपके आत्मिक स्नेह और सतत हौसला अफजाई से लिए बहुत आभार.