चुक गए कैसे होकर मर्द ?
हुआ यह दिल में कैसा दर्द ?
लगा दिल पर कैसा आघात ?
क्या कोई अन्दर की है बात ?
इसे रखना ऑफ दा रिकार्ड ।
समय मेरा आया अब हार्ड ॥
मजे में बीते चारों साल ।
किंतु अब जाकर हुआ बवाल ॥
कहाँ मैं सीधा सा इन्सान ।
कहाँ यह कूटनीति बलवान ॥
कर दिया मुझको बाईपास ।
बने एनर्जी वाले खास ॥
यही होता है सबके साथ ।
किसी से मत कहना यह बात ॥
मुझे भी देकर अब आराम ।
चूसकर फेंक दिया ज्यों आम ॥
पार्टी आम आदमी ब्राण्ड ।
बजाती आमों का ही बैण्ड ॥
चलाती चूसो फेंको नीति ।
करो मत राजनीति से प्रीति ॥
कोष्ठक में: हमारे प्रिय ताऊ जी हमारे सबसे बडे पाठक साबित होते हुए हमारे ब्लॉग पर सबसे पहले टिप्पणियों की हाफ सेंच्युरी लगाने में सफल रहे हैं . बहुत बहुत बधाइयाँ !
साहेब किसका बैण्ड बजा रहे हो.. २६ जनवरी से पहले? ठीक हो ले्ने दो बेचारे को..
जवाब देंहटाएंताऊ की हाफ हो गई तो.. हिन्दी, अंग्रेजी, छोटा और बड़ा मिला हम भी पहुच गये क्वाटर तक..;)
जवाब देंहटाएंअच्छी पंक्तियाँ ...अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंअनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
क्या बात है! जो आदमी अच्छे-अच्छे धुरन्धरों को 'बाईपास' करके उस कुरसी तक पहुंच गया और जिसने अपने वामपन्थी समर्थकों को आम की तरह चूस कर फेंक दिया उसे 'सीधा सा' बता रहे हैं आप। बहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंआप सबों को गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंगुड है जी!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
ताऊ नै भी बधाई
bahut badhiyaa vivek bhai , aapka andaaze bayan b ahut dilchasp hai aur ghaatak bhee.
जवाब देंहटाएंरामदास जैसी जोरदार नहीं रही. फ़िर भी सत्य-वचन.
जवाब देंहटाएंविवेक जी, पता नहीं कैसी-कैसी बातें हो रही हैं. कहीं हाफ, कहीं क्वार्टर..?
जवाब देंहटाएंपर बिरादर...
ये सब इस पोस्ट के बाद...
फिलहाल तो ताऊ ज़िन्दाबाद.........
ताऊ ज़िन्दाबाद.......................
ख़बरदारिया पोस्ट !
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति के लिए आभार
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित
सादर
द्विजेन्द्र द्विज
http:/www.dwijendradwij.blogspot.com/
येल्लो छब्बीसवीं टिप्पणी!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, सामयिक!
जवाब देंहटाएंमुझे भी देकर अब आराम ।
जवाब देंहटाएंचूसकर फेंक दिया ज्यों आम
गज़ब विवेक भाई...गज़ब...बहुत खूब लिखा है आपने...
नीरज
गणतंत्र दिवस की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंhttp://mohanbaghola.blogspot.com/2009/01/blog-post.html
इस लिंक पर पढें गणतंत्र दिवस पर विशेष मेरे मन की बात नामक पोस्ट और मेरा उत्साहवर्धन करें
राजनीति का तो आप को अद्भुत ज्ञान है,
जवाब देंहटाएं'बाई पास 'हो कर भी वह गुणों की खान है!
वापस नहीं आएगा तो क्या ?, जानेदीजिये,
इतिहास में हमेशा उस का ,रहने वाला' मान है.
मजे में बीते चारों साल ।
जवाब देंहटाएंकिंतु अब जाकर हुआ बवाल ॥
अक्सर बवाल ऐसे ही समय हुआ करता है।
बात तो सही कही है...........
जवाब देंहटाएंपर ४ साल अच्छी तो बीती न
अच्च्छा व्यंग है...........विवेक जी
गज़ब की कविता है भाई! आपको आपके परिवार एवं मित्रों को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई!
जवाब देंहटाएंहम नंबर के फेर में नही पड़ेंगे, बाकि कविता से तो वाकई ऐसा लग रहा है किसी का बैंड बजा रहे हो
जवाब देंहटाएंबढिया बजाया जी. गणन्त्र दिवस की बधाई.
जवाब देंहटाएंभाई ये गिनती किधर से होती है, जरा हमे भी फ़ार्मुला बताओ जी जरा हम भी तो हिसाब किताब देखें कि किसने कितनी टिपणियां हमको खिसकाई? :)
रामराम
दुआ कीजिये मनमोहन जी जल्द चंगे हो जाएँ। गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।
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