होली का त्यौहार निराला ।
जमकर बरसें रंग-गुलाला ॥
भूत-प्रेत गलियों में डोलें ।
किन्तु आदमी जैसे बोलें ॥
पिच-पिचकर चलती पिचकारी ।
कर न सके आराम बिचारी ॥
कल तक मौसम था जाड़े का ।
लौट गया स्वेटर भाड़े का ॥
रंगों में सब सराबोर हैं ।
लाल रंग पर खूब जोर है ॥
पहुँचे भाई साहब के घर ।
किन्तु उन्हीं को साइड में कर ॥
भाभी जी से होली खेली ।
ऐसा अवसर मिले न डेली ॥
गुलाल सहलाया गालों पर ।
थोड़ा रंग डाला बालों पर ॥
पुरस्कार में गुझिया पायी ।
सीढ़ी चलते-चलते खायी ॥
समझे थे हम शेर बन गये ।
सीना गर्दन खूब तन गए ॥
कायम किन्तु न गर्व रह सका ।
दैव हमारा सुख न सह सका ॥
ज्यों ही मुख्य सड़क पर आये ।
सोचा निकलें नज़र बचाये ॥
लेकिन अब तो होंठ सिल गये ।
सवा-शेर सामने मिल गये ॥
हाथ-पैर पकड़े, लहराया ।
गड्ढे में हमको टपकाया ॥
उस कीचड़ में रंग था काला ।
आज बने हम कृष्ण गुपाला ॥
वाह क्या बात है विवेक भाई ..एक एक पंक्ति से लग रहा था कि हुलस हुलस के गले मिल रहें हैं आप हमसे और कह रहे हैं कि ...............होली मुबारक हो मेरे यार .........
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
वही मस्त अंदाज़, मुबारक हो विवेक !
जवाब देंहटाएंहोली पर आपको अनेक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंउदकक्ष्वेड़िका … यानी बुंदेलखंड में होली
होली की शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंघर पहुंचे जब हक्का बक्का
जवाब देंहटाएंलगा जिया को गहरा धक्का
रंगों में, तर थी घरवाली
हरा, बैगनी, नीली, काली
लिपटी तन पे गीली सारी
खड़े पडोसी ले पिचका
Bahut sundar andaaz! Holi mubarak ho!
जवाब देंहटाएंKya baat hai Boss !! bahut badhiya .... sab se alag sab se juda !!
जवाब देंहटाएंHoli Mubaaraq !!
पहुँचे भाई साहब के घर ।
जवाब देंहटाएंकिन्तु उन्हीं को साइड में कर ॥
भाभी जी से होली खेली ।
ऐसा अवसर मिले न डेली ॥
गुलाल सहलाया गालों पर
बहुत सुंदर लगी आप की यह कविता
धन्यवाद
होली की बहुत बहुत बधाई
Behtreen rachana ......Aabhar!!
जवाब देंहटाएंHoli ki shubhkaamnae!!
हार्दिक बधाइयां भाई आपको और आपके परिवार को
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