त्राहि माम् की आवाजों से ।
और कालिया की आहों से ॥
गूँज गया सब कोना कोना ।
गब्बर ने सुन रोना-धोना ॥
समझा सब माज़रा सहज ही ।
मँगा कालिया का कागज़ भी ॥
उसको साँबा से बुलवाया ।
बड़े प्यार से यूँ समझाया ॥
"ये सब तो होता रहता है ।
कहने दो कोई कहता है ॥
अपना काम रखो तुम जारी ।
बेज़ा वक्त करो मत ख्वारी ॥
तुमसे हमको आशाएं हैं ।
कहीं बोल मत जाना तुम टैं ॥
मैडम को मैं समझा लूँगा ।
कोई अच्छी गोली दूँगा ॥
लेकिन जरा सँभल के भाई ।
ज्यादा अपनी हो न हँसाई ॥"
गब्बर बोल रहा अविरामा ।
"पहले लेउ राम का नामा ॥
फिर सुमिरो हनुमत बलवीरा ।
हरहिं कृपानिधि दुर्जन पीरा ॥
मौका देख करो सब काजा।
डाकू को ना सोहे लाजा॥
तुम तो अभी नए डाकू हो ।
कभी छोड़ना मत चाकू को ॥
कभी कैमरे में मत फँसना ।
आरोपों पर पहले हँसना ॥
फिर कह देना, "सब साजिश है ।
मुझे मीडिया से ही रिस है ॥
सदा फालतू खबरें लाता ।
खुद ही बड़े बवाल बनाता॥
यूँ ही लोगों को बहकाता।
पूँजीपति की रिश्वत खाता ॥
कितनी और समस्याएं हैं ।
उनकी क्यों न खबर सब को दें ॥
लेकिन मेहनत कौन करेगा ?
हमने चालू किया मरेगा ॥
हम तो जनता के सेवक हैं ।
पहुँच हमारी दिल्ली तक है ॥
जनसेवा हम सदा करेंगे ।
इससे ज्यादा कुछ न कहेंगे ॥" "
विवेक जी पसण्द आयी
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
bahuUT KHUB
जवाब देंहटाएंSHEKHAR KUMAWAT
http://kavyawani.blogspot.com/
He bhagwaan ! Hame dara rahe hain kya aap?
जवाब देंहटाएंमुझे मीडिया से ही रिस है ॥
जवाब देंहटाएंसदा फालतू खबरें लाता ।
खुद ही बड़े बवाल बनाता॥
यूँ ही लोगों को बहकाता।
पूँजीपति की रिश्वत खाता ॥
ये तो सटीक है
एक अनुरोध है
आप ब्लाग टेम्प्लेट और आकर्षक बनाइये
आज की मीडिया की सही तस्वीर..
जवाब देंहटाएंआरोपों पर पहले हँसना ॥
जवाब देंहटाएंफिर कह देना, "सब साजिश है ...
व्यंग्य अच्छा है ...!!
बहुत ही खूब।
जवाब देंहटाएंतो दिल्ली तक पहुंच है हुम्म....
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