बात कॉलेज की है . क्लास में गुरुजी नहीं थे . सभी छात्र एक दूसरे से बातें करने में मशगूल थे . एक मित्र ने मुझे पूछा पानी पीने चलना है ? मैंने नहीं में सिर हिला दिया . वह फिर बोला चल यार . पर मेरा मन ही नहीं था जाने का, लिहाज़ा फिर से बोल दिया तू जाके पी आ मुझे प्यास नहीं है .उसे पता नहीं क्या हुआ . हाथ पकड कर खींचने लगा और बोला चल यार हम रिक्वेस्ट कर रहे हैं . मुझे भी उसकी जिद में आनन्द आने लगा . मैंने कहा मुझे जाना ही नहीं है .बात हाथापाई पर आगई . वह मुझे पकडकर बाहर खींच रहा था मैं उससे अपने को छुडा रहा था .वह बोलता जारहा था तू चलेगा कैसे नहीं हम रिक्वेस्ट कर रहे हैं . साथ के सब लडके खडे हँस रहे थे . इतने में गुरुजी आगए और अचानक एक जोर का झापड मेरे साथी योद्धा को रसीद कर दिया और बोले हम तुझसे रिक्वेस्ट कर रहे हैं कि रिक्वेस्ट करना सीख ले . ऐसे रिक्वेस्ट नहीं की जाती .
हमने इतनी बडी कहानी फालतू नहीं लिखी है .हम भी किसी से रिक्वेस्ट कर रहे हैं . आज की चिट्ठाचर्चा पढकर हम अनूप जी से रिक्वेस्ट कर रहे है कि अपना कुछ लिखने का आपको पूरा अधिकार है . पर चिट्ठा चर्चा की कीमत पर नहीं . चिट्ठा चर्चा के लिये तो आपको अपने कीमती समय में से थोडा सा निकालना ही पडेगा . आप निकालेंगे कैसे नहीं आखिर हम रिक्वेस्ट कर रहे हैं .आप सभी ब्लॉगर भाइयों/भाभियों से भी हम अनूप जी से ऐसी ही रिक्वेस्ट करने की रिक्वेस्ट कर रहे हैं . आप रिक्वेस्ट करेंगे कैसे नहीं हम आपसे रिक्वेस्ट कर रहे हैं .
सॉलिड रिक्वेष्टनात्मक पोस्ट है भाई. अनूप जी आपकी रिक्वेष्ट सुनेंगे, ऐसी आशा है.
जवाब देंहटाएंtadaak?
जवाब देंहटाएंmain aapko eho suna rahaa hun
देखते है एक लाइना जी रिक्वेस्ट पर क्या करते है . सटीक बिंदास
जवाब देंहटाएंएक रिक्वेस्ट म्हारी बी
जवाब देंहटाएंनेफ्था में किसी काम से आ रहा हूं शायद कल
रिफाइनरी के आगे से निकलूंगा
अपना मोबाइल नं दीजिये ताकि आपको चाय पिलाने का कष्ट दे सकूं
मेरा नं मेरे ब्लाग पर लिखा है
रिक्वेस्ट का ऐसा अंदाज हो तो , जरूर सुनी जायेगी आपकी रिक्वेस्ट .
जवाब देंहटाएंभइया ऐसी रिक्वेस्ट हो तो रहने दो । आपकी बात पहुचेंगी
जवाब देंहटाएंBahut badiya.
जवाब देंहटाएंare anup ji se kuch jawab mila
जवाब देंहटाएंअनूप जी तो जबाब चिट्ठा चर्चा में ही देंगे .
जवाब देंहटाएंओर एक ओर रिक्वेस्ट . ओर कर ले उनसे कि ज्ञान ,मिश्रा ओर प्रीति के अलावा भी दूसरी जगह झाँक ले ओर टिपिया भी दे
जवाब देंहटाएंताका झांकी किए बिना उनसे कोई पोस्ट तो क्या टिप्पणी भी नहीं बचती . इसका प्रमाण आप चिट्ठा चर्चा में देख सकते हैं . हाँ टिप्पणी वो न करना चाहें तो अलग बात है . उनके ऊपर कितना बोझ है ये तो हम और आप नहीं समझ सकते ना .
जवाब देंहटाएंभाई विवेक, तुम्हारी यह पोस्ट ताका-झांकी से रह गयी। असल में भले आदमी होने का नाटक करते हैं इसलिये रात को किसी के यहां ताका-झांकी नहीं करते जब तुमने यह पोस्ट की। तुम्हारे आग्रह को पूरा करने के लिये आज से नियमित चर्चा का काम शुरू किया।नटखट बच्चा इत्ता डरपोंक क्यों है जो छुपा फ़िरता है। ज्ञानजी, मिसिरजी और प्रीति जी का लिखा हमें अच्छा लगता है इसलिये कहते हैं। नटखट लिखे तो शायद वह भी अच्छा लगे लेकिन लिखे तो!। जबरियन चर्चा विवेक की रिक्वेस्ट पर
जवाब देंहटाएंनटखट बच्चा और आपकी यह पोस्ट दो साल पुरानी याद ताजा कर गई, ऐसा लेखन अब कम ही मिलता है।
जवाब देंहटाएंहा हा हा अच्छा तो इस लिए अनूप जी अभी तक लिख रहे हैं और ताका झांकी कर रहे हैं । चलिए आप की मेहनत रंग लायी और हमें भी फ़ायदा हो गया
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