शुक्रवार, सितंबर 12, 2008

था शुक्ला जी नाम !

कलयुग में ब्लॉगर हुए, था शुक्ला जी नाम ।
करते वितरण ज्ञान का, मुक्तहस्त बिन दाम ।
मुक्तहस्त बिन दाम, सूत्र हमको बतलाया ।
हटा शब्द की जाँच टिप्पणी द्वार खुलाया ।
विवेक सिंह यों कहें अब कहीं नज़र न आएं ।
अनूप शुक्ल इति नाम दिखें तो हमें बताएं ॥

3 टिप्‍पणियां:

  1. .

    क्या यह विवेक जी का ब्लाग है ?






    पूर्व में जारी किये गये टिप्पणियों में से एक घटा लीजिये...
    लिखते रहिये.. अभी बहुत बकाया बचा है, आपके पास !

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह विवेक वाह !!



    -- शास्त्री जे सी फिलिप

    -- समय पर प्रोत्साहन मिले तो मिट्टी का घरोंदा भी आसमान छू सकता है. कृपया रोज कम से कम 10 हिन्दी चिट्ठों पर टिप्पणी कर उनको प्रोत्साहित करें!! (सारथी: http://www.Sarathi.info)

    जवाब देंहटाएं

मित्रगण