संभव है कि इस ब्लॉग पर लिखी बातें मेरी विचारधारा का प्रतिनिधित्व न करती हों । यहाँ लिखी बातें विभिन्न दृष्टिकोणों से सोचने का परिणाम हैं । कृपया किसी प्रकार का पूर्वाग्रह न रखें ।
शुक्रवार, सितंबर 12, 2008
था शुक्ला जी नाम !
कलयुग में ब्लॉगर हुए, था शुक्ला जी नाम । करते वितरण ज्ञान का, मुक्तहस्त बिन दाम । मुक्तहस्त बिन दाम, सूत्र हमको बतलाया । हटा शब्द की जाँच टिप्पणी द्वार खुलाया । विवेक सिंह यों कहें अब कहीं नज़र न आएं । अनूप शुक्ल इति नाम दिखें तो हमें बताएं ॥
-- समय पर प्रोत्साहन मिले तो मिट्टी का घरोंदा भी आसमान छू सकता है. कृपया रोज कम से कम 10 हिन्दी चिट्ठों पर टिप्पणी कर उनको प्रोत्साहित करें!! (सारथी: http://www.Sarathi.info)
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जवाब देंहटाएंक्या यह विवेक जी का ब्लाग है ?
पूर्व में जारी किये गये टिप्पणियों में से एक घटा लीजिये...
लिखते रहिये.. अभी बहुत बकाया बचा है, आपके पास !
वाह विवेक वाह !!
जवाब देंहटाएं-- शास्त्री जे सी फिलिप
-- समय पर प्रोत्साहन मिले तो मिट्टी का घरोंदा भी आसमान छू सकता है. कृपया रोज कम से कम 10 हिन्दी चिट्ठों पर टिप्पणी कर उनको प्रोत्साहित करें!! (सारथी: http://www.Sarathi.info)
धन्यवाद
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