संभव है कि इस ब्लॉग पर लिखी बातें मेरी विचारधारा का प्रतिनिधित्व न करती हों । यहाँ लिखी बातें विभिन्न दृष्टिकोणों से सोचने का परिणाम हैं । कृपया किसी प्रकार का पूर्वाग्रह न रखें ।
शुक्रवार, नवंबर 28, 2008
ना मूर्खों के सींग
विदेशियों को सौंपकर, अपने तीर-कमान । उनसे आशा कर रहे, रखें हमारा ध्यान । रखें हमारा ध्यान, धन्य हैं भारतवासी । साध्वी का अपमान, न दें फजल को फाँसी । विवेक सिंह यों कहें, प्रसन्न उदार कहाते । ना मूर्खों के सींग, युँही पहचाने जाते ॥
बिलकुल विवेक जी, ये तुष्टिकरण की राजनीती पता नहीं क्या करके छोडेगी? चंद वोटों के लिए ये लोग देश हित में जीरो नहीं नेगेटिव कार्य कर रहे हैं. अब नेगेटिव से तो जीरो ही अच्छा होता.
विवेक जी, सही मे आज जरुरत है एक ऐसे दृड़ इच्छाशक्तियुक्त नेतृत्व की,जो कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कठोर निर्णय ले सके.अन्यथा इस देश का भगवान ही मालिक है (शायद वो भी ईंकार कर दे) बहरहाल बधाई स्वीकार करे.
स्वप्निला जी आपको पूरा अधिकार है कि जो आपको सही लगता वह कहें . अपनी बात खुल कर कहने का धन्यवाद . पर मेरा यही मत है कि यह सब सोचे समझे षडयन्त्र के तहत हो रहा है . असल उद्देश्य तो षडयन्त्रकारी ही जानें . वैसे इतिहास ऐसी गलतियों से भरा पडा है जिनके बाद पछताने के अलावा कुछ नहीं मिला . अब भी हम इन अविश्वसनीय नेताओं का भरोसा करके गलती ही कर रहे हैं .
आज तो सब्र का बाँध टूट ही गया समझिये ! अगर कुछ ठोस नही हुआ तो बहुत मुश्किल होगा | सही कहा ताऊ ने मगर यहाँ कभी कुछ ठोस ही नही होता वरना यह नोबत ही नही आती |
बिलकुल विवेक जी, ये तुष्टिकरण की राजनीती पता नहीं क्या करके छोडेगी? चंद वोटों के लिए ये लोग देश हित में जीरो नहीं नेगेटिव कार्य कर रहे हैं. अब नेगेटिव से तो जीरो ही अच्छा होता.
जवाब देंहटाएंना मूर्खों के सींग, युँही पहचाने जाते ॥
जवाब देंहटाएंसही बात कही भाई विवेक सिंह जी ! आज तो सब्र का बाँध टूट ही गया समझिये ! अगर कुछ ठोस नही हुआ तो बहुत मुश्किल होगा अब ! रामराम !
har lafz sahi kaha hai.
जवाब देंहटाएंसंतो को न सताइए जाकी मोटी हाय
जवाब देंहटाएंमुई खाल की साँस सो सार भस्म हो जाए
sahi kaha.. vivek bhai
जवाब देंहटाएंविवेक जी, सही मे आज जरुरत है एक ऐसे दृड़ इच्छाशक्तियुक्त नेतृत्व की,जो कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कठोर निर्णय ले सके.अन्यथा इस देश का भगवान ही मालिक है (शायद वो भी ईंकार कर दे)
जवाब देंहटाएंबहरहाल बधाई स्वीकार करे.
SADHWI KA APMAN...? KUCH KAHNA ABHI JALDI HAI N? HAQUIQAT HAI KYA..ABHI TO YAHI ABUJH HAI...!
जवाब देंहटाएंस्वप्निला जी आपको पूरा अधिकार है कि जो आपको सही लगता वह कहें . अपनी बात खुल कर कहने का धन्यवाद . पर मेरा यही मत है कि यह सब सोचे समझे षडयन्त्र के तहत हो रहा है . असल उद्देश्य तो षडयन्त्रकारी ही जानें . वैसे इतिहास ऐसी गलतियों से भरा पडा है जिनके बाद पछताने के अलावा कुछ नहीं मिला . अब भी हम इन अविश्वसनीय नेताओं का भरोसा करके गलती ही कर रहे हैं .
जवाब देंहटाएंआईये हम सब मिलकर विलाप करें
जवाब देंहटाएंआज तो सब्र का बाँध टूट ही गया समझिये ! अगर कुछ ठोस नही हुआ तो बहुत मुश्किल होगा |
जवाब देंहटाएंसही कहा ताऊ ने मगर यहाँ कभी कुछ ठोस ही नही होता वरना यह नोबत ही नही आती |
बहुत सुंदर।
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