शब्दों के इस सफर में , रोचकता भरपूर ॥
रोचकता भरपूर, ज्ञान के बीज बो रहे ।
शब्दों के सम्बन्ध देख हम चकित हो रहे ॥
विवेक सिंह यों कहें, अजित जी कमाल करते ।
शब्द-समुद्र विशाल बीच स्वच्छ्न्द विचरते ॥
आजकल चूँकि सब जगह ब्लॉगर चर्चा और इण्टरव्यू का दौर है । तो हमने भी समय के साथ चलने में भलाई समझी और अपने पसंदीदा बिलागर को जा पकडा । अजित जी कब किस शब्द को किसी दूसरे शब्द का दादा , नाना या मामा बता दें कुछ पता नहीं । हमें तो उस दिन का इंतजार है जब अजित जी अब तक अनसुलझे रहस्यों से पर्दा उठाएंगे कि पहले मुर्गी आई या अण्डा और पहले चिमटा बना या हथौडा ? इंतजार करिए क्योंकि इंतजार में मजा है । ऐसा शास्त्रों में लिखा है !
सच में अजित जी की हर एक पोस्ट चकित करने वाली और ज्ञानवर्धक होती है.
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा आपने. अजीत जी की हर पोस्ट ज्ञान का खजाना रहती है. अगर कोई पोस्ट चूक जाये तो खाली खाली लगता है. और आपकी कविता तो ,,भई वाह कमाल कर दिया.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सही कह रहे है आप अजित जी के बारें में।
जवाब देंहटाएंभई हम अजित साह्ब के ज्ञान के पंखे हैं, अब चाहे जो समझो!
जवाब देंहटाएं----------
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हिन्द-युग्म: आनन्द बक्षी पर विशेष लेख
भैय्ये अजीत जी की हर बात मे दम है हर शब्द मे अर्थ है .
जवाब देंहटाएंचर्चा करते करते चिठाचर्चा की नकल करते
जवाब देंहटाएंविवेकजी आप भी है कमाल करते!!
सही कहा अजित के बारे में.. हर शब्द के बारें में इतना गहन शोध.. कमाल करते..
जवाब देंहटाएंऔर आपको बधाई.. आप भी मित्रों का अर्धशतक लगा चुके..
सही है -शास्त्रों की हर बात में मजा है. अजीत जी की प्रविष्टियों का कायल तो पूरा ब्लोग-जगत है. अनायास नहीं है उनका उल्लेख. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअजित वाकई अ जीत है।उनसे तो शब्द भी जीत नही पाते।
जवाब देंहटाएंविवेक जी इस परिचय चर्चा के द्वारा आपने एक बहुत अच्छा ब्लॉग सूझा दिया ! इस ब्लॉग पर तो पुरा ज्ञान का खजाना है अब बुक मार्क कर लिया फुर्सत से पढूंगा !
जवाब देंहटाएंविवेक भाई कमाल करते हो आप ...बहुत खूब ....
जवाब देंहटाएंअजीत के बारे में तो बिल्कुल सही ...
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंमैं तो अजित जी का ऎसा फ़ैन हूँ ( गरमी आ रैली ऎ फ़्रेन्ड :)
तो, ऎसा फ़ैन हूँ कि अक्सर कह उठता हूँ कि आने वाली ब्लागर
पीढ़ीयाँ सहज़ विश्वास न करेंगी कि ब्लागर पर यह किसी इनसाइक्लोपेडिया रोबोट ने नहीं, बल्कि इस मानव ने योगदान दिया है !
रीयली.. नो किडिंग, विवेक !
घणी रोचक यह चिठ्ठाकार चर्चा!
जवाब देंहटाएंअजित जी की दी गई जानकारी सच में अदभुत है बहुत कुछ सीखने को मिलता है उनकी हर पोस्ट से ..
जवाब देंहटाएंआपकी बात से मैं पूरा इतेफाक रखता हूँ..............अजीत जी से शब्दों का जाल इतना घना होता है की उसमें से निकलना आसान नही
जवाब देंहटाएं"घर बैठे कर लें सफर, जाना पडे न दूर ।
जवाब देंहटाएंशब्दों के इस सफर में , रोचकता भरपूर ॥
रोचकता भरपूर, ज्ञान के बीज बो रहे ।
शब्दों के सम्बन्ध देख हम चकित हो रहे ॥
विवेक सिंह यों कहें, अजित जी कमाल करते ।
शब्द-समुद्र विशाल बीच स्वच्छ्न्द विचरते ॥"
अजित जी के बारे में अक्षरश सत्य लिखा है और बहुत अच्छा लिखा है ! शुभकामनायें !
विवेक जी
जवाब देंहटाएंक्या चटाक
पटाक सटाक
लिख दी पोस्ट
बन गए होस्ट
मजा आ गया
सफर छा गया।
सही कहा आपने अजित दादा बहुत अच्छी तरह शब्दों का अर्थ और दुसरे शब्दों से उसका संबंध बताते हैं ,पहले कभी शब्दों का अर्थ जानने में इतनी रूचि नही थी ,अब तो बडा दिलचस्प लगता हैं शब्दों का अर्थ जानना ,जबसे दादा का ब्लॉग पढने लगी हूँ .
जवाब देंहटाएंअजित जी कब किस शब्द को किसी दूसरे शब्द का दादा,नाना या मामा बता दें कुछ पता नहीं। श्री विवेक सिंह जी की यह टिप्पणी पढकर कान खड़े हो गए हैं। कहीं वह केसी और को अपना मामा न बताने लगें। भई अजीत नामक भांजे पर हरिद्वार वाले मामाओं का ही अधिकार है और उसकी कारगुजारियों पर अपुन को भोत गर्व है।-- डॉ.कमलकांत बुधकर, हरिद्वार
जवाब देंहटाएंविवेक भाई,
जवाब देंहटाएंआपने तो कविता भी लिख ली और कविगोष्ठी भी हो गई !!!!
बहुत बहुत आभार...शब्दों के सफर के ऐसे संगियों को पाकर मैं भी अभिभूत हूं। मुझे उम्मीद थी कि शब्दों का सफर लोगों को पसंद आएगा। मगर यह परिवार बन जाएगा,ऐसा तो नहीं सोचा था।
शुक्रिया बहुत बहुत....
डॉक्टर साहब की टिप्पणी के बाद और कुछ कहने की ज़रुरत नहीं रही. सच में, ऐसा ही होगा.
जवाब देंहटाएंशब्दों का सफ़र हिंदी ब्लॉग जगत का सूरज है. हमेशा चमकता रहेगा.
अजित जी के बारे में सच्ची में अच्छी बात कही।
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