मैं होश सँभाला हूँ जब से ।
तुझको महसूस किया तब से ॥
तू मेरे साथ रही हरदम ।
खुशियाँ हों या घेरे हों गम ॥
मैं होता हूँ जब महफ़िल में ।
तू रहती है मेरे दिल में ॥
जब कभी अकेला होता हूँ ।
तेरे सपनों में खोता हूँ ॥
तू चुपके से आ जाती है ।
बस मुझे उठा ले जाती है ॥
पहुँचा देती है स्वप्नलोक ।
सपने देखूँ बेरोक-टोक ॥
मैं जो चाहूँ कर सकता हूँ ।
आश्चर्य ! न बिल्कुल थकता हूँ ॥
यह अखिल विश्व तारामण्डल ।
हो चन्द्र या कि हो सूर्य धवल ॥
मैं पहुँच गया सबसे ऊपर ।
पल में फ़िर आ धमका भू पर ॥
जीवन धरती से दूर जहाँ ।
मैं अन्तरिक्ष में गया वहाँ ॥
अनगिनत सभ्यताएं पलतीं ।
तेरे ही साँचों में धलतीं ॥
तू मन है तू ही है विचार ।
देवी तेरी महिमा अपार ॥
तुझमें ही बसते हैं ईश्वर ।
तू ब्रह्मा, तू विष्णु, तू हर ॥
तेरे ही कारण स्वर्ग, नर्क ।
राशियाँ मेष, वृष, कुम्भ, कर्क ॥
तू लाजवाब का है जवाब ।
बिन नींद दिखाती तु ही ख्वाब ॥
बिन तेरे मैं संबलविहीन ।
ज्यों योद्धा रण में शस्त्रहीन ॥
मैं कवि हूँ तू कल्पना, बता ।
बिन तेरे मेरी बिसात क्या ?
भावपूर्ण प्रार्थना...बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंनीरज
बहुत बढिया भाई.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सत्य वचन गुरूदेव।
जवाब देंहटाएंIts nice one...Tuchy emotions.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब विवेक भाई...इन दिनों कलम ने रफ़्तार पकडी हुई है....
जवाब देंहटाएंबोलो कल्पना देवी की जय!
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण, बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंकाफी धार्मिक टाईप हो गए हैं..
जवाब देंहटाएंकलपना देवी जी की जय हो, लेकिन यह मिलती कहां है??
जवाब देंहटाएंचिट्ठाचर्चा में शिव जी की जिज्ञासा कि कविता किस देवी के बारे में है?- मुझे भी छू रही है ।
जवाब देंहटाएंपर बहुत कुछ स्वाभाविक अभिव्यक्ति । आभार ।
bahut badhhiya, chhote chhote vaakyon me khoobsorat abhivyakti!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!
जवाब देंहटाएंजय हो। लगे रहो।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
भाव POORN........... लाजवाब
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना...
जवाब देंहटाएंविवेक जी जवाब नहीं आपका ये अध्यात्मिक रंग बहुत सुन्दर लगा और अध्यात्मिक मन से ही सुन्दर रचना का जन होता है बहुत सुन्दर और सार्थ रचना बधाई
जवाब देंहटाएंया देवी सर्वभूतेषु,
जवाब देंहटाएं'कल्पना ' रुपेण सँस्थिता
विवेक भाई,
आजकल ,
देवी की कृपा
आप पर स्पष्ट दीख रही है
स्नेह सहित,
- लावण्या
देवी चाहे जो हों प्रणम्य हैं, वन्दनीय हैं।
जवाब देंहटाएंप्रश्न पूछने से बेहतर है नत मस्तक हो जाना।
बहुत सुन्दर.. सत वचन..
जवाब देंहटाएं"तेरे सपनों में खोता हूँ ॥
तू चुपके से आ जाती है ।
बस मुझे उठा ले जाती है ॥
पहुँचा देती है स्वप्नलोक ।?
कंपनी की टैग लाइन.. जोरदार..
भाई.. आज पता नहीं क्या दिक्कत थी.. ७ वीं बार कोशिश कर रहा हूँ तब टिप्पणी होगी शायद..
युरेका.. कामयाब.. कंपनी को धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंजोरदार !
जवाब देंहटाएंसब देवी की ही कृपा है ।
जवाब देंहटाएंBAHUT ACHCHI HAI. LAGE RAHO....!!!!
जवाब देंहटाएंजानदार !!!!!! शानदार !!!!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बहुत ही सुन्दरतम अभिव्यक्ति की आपने विवेक भाई। दिल जीत लिया यार। आपमें ग़ज़ब की कहन है भाई। मालिक आपको बुलंदगी बख़्शे।
जवाब देंहटाएंवाह भाई वाह बहुत अच्छा लिखा...!
जवाब देंहटाएंBade dinon baad aapke blogpe aayee hun..itnee tippaniyon ke baad kya kahun? Aur alfaaz kahan se laaoon?
जवाब देंहटाएंhttp://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://shama-baagwaanee.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
"मैं कवि हूँ तू कल्पना, बता।
जवाब देंहटाएंबिन तेरे मेरी बिसात क्या?"
कवि की कल्पना - अति सुन्दर!