संभव है कि इस ब्लॉग पर लिखी बातें मेरी विचारधारा का प्रतिनिधित्व न करती हों । यहाँ लिखी बातें विभिन्न दृष्टिकोणों से सोचने का परिणाम हैं । कृपया किसी प्रकार का पूर्वाग्रह न रखें ।
रविवार, सितंबर 20, 2009
मुझे सिखाओ मत मितव्ययिता
मुझे सिखाओ मत मितव्ययिता!
अपना ज्ञान सँभालो आपै
मुझे न इसकी आवश्यकता
मुझे सिखाओ मत मितव्ययिता
स्विस-बैंकों में मेरा खाता
साक्षी मेरी मितव्ययिता का
करने लगूँ खर्च यदि खुलकर
मुद्रा-स्फीति चढ़ेगी ऊपर
मत माहौल बनाओ भय का
मुझे सिखाओ मत मितव्ययिता
पहली बार हुआ जब सांसद
तब से सांसद-निधि की भी मद
मैंने कभी न खर्ची पूरी
बनी तभी जनता से दूरी
मौका मिला न मन्त्री-पद का
मुझे सिखाओ मत मितव्ययिता
अब जब मैं भी मंत्री ही हूँ
बदला लेकिन रंच नहीं हूँ
तुम हाई-कमान के चमचे
काम नहीं यह होता हमसे
अन्य आइडिया सोचो दद्दा
मुझे सिखाओ मत मितव्ययिता
अपना ज्ञान सँभालो आपै
मुझे न इसकी आवश्यकता
मुझे सिखाओ मत मितव्ययिता
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आनन्द आ गया विवेक भाई. खूब डूब कर लोखा है.
जवाब देंहटाएंछोटी सी तनख्वाह हमारी
जवाब देंहटाएंउपर से खर्च दुधारी
सीख लो बच्चा मितव्ययिता
=================
बहुत खूब
बिलकुल आर्थिक कविता है।
जवाब देंहटाएंअब जिसके पास जो होगा वही न सिखायेगा। इसी बहाने एक ठो कविता मिली ठेलने को!
जवाब देंहटाएंBahut sundar kavita..badhai !!
जवाब देंहटाएंशारदीय नवरात्र की हार्दिक शुभकामनायें !!
हमारे नए ब्लॉग "उत्सव के रंग" पर आपका स्वागत है. अपनी प्रतिक्रियाओं से हमारा हौसला बढायें तो ख़ुशी होगी.
अपना ज्ञान सँभालो आपै
जवाब देंहटाएंतीनों लोक आपतैं कापैं.:)
रामराम.
यहां प्रोफ़ाईल मे फ़ोटो विनम्र जी की लगी हुई है? जब उनसे चार्ज वापस ले लिया गया है तो उनकी फ़ोटो भी वापस की जाये और जो कम्पनी का इंचार्ज है उसी की फ़ोटो लगाई जानी चाहिये.
जवाब देंहटाएंआपत्ति दर्ज कि जाये मी लोर्ड.:)
रामराम.
प्रासंगिक । आभार ।
जवाब देंहटाएं@ ताऊ जी,
जवाब देंहटाएंमेरी फोटो में आपको विनम्रता नज़र आयी , बहुत धन्यवाद,
अब हम गर्व से कह सकेंगे कि हम भी किसी न किसी एंगिल से विनम्र दिखते हैं :)
वाह-वाह क्या बात है,। बहुत-बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंतुम्हरा स्विस बैंक मा खाता,
जवाब देंहटाएंहमरा गुल्लक भी भर न पाता,
बस मनी ट्रांसफ़र की आवशयकता,
जाओ नहीं सिखाते मितव्ययता...
इंतज़ार में है गुरू
@ विवेक सिंह
जवाब देंहटाएंअति विनम्र पोज है भतिजे.:) बनाये रखिये.
रामराम.
बड़ी विनम्र रचना है जी. विनम्रता का ऐसा दौरा पड़ता रहे, यही शुभकामना है.
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक लिखा है ! कविता के साथ साथ टिप्पणियाँ भी पढने में मजा आ गया |
जवाब देंहटाएंJO CHUNAB JITTA HAI . WA HA SARBA GYA TA BAN JA TA HI . U SE SIKANEKA JURRAT KARNA HI MURKHATA HAI .
जवाब देंहटाएंnaradbajracharya@yahoo.com
सटीक बात, अब एलीट क्लास मितव्ययता की बात सुनने को भी तैयार नही है । बल्कि अंग्रेजी मे " स्नब " कर देती है ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर व्यंग के लिये धन्यवाद ।
एक दम सटिक बात जी, लेकिन एक कठीनाई है आप के लेख ओर तिपण्णि का साईज बहुत छोटा है, क्रूप्या शब्दो को (फ़ंत ) को थोडा बडा कर दे.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हाँ मितव्ययता की ऊंहा कौनो जरूरत नहिये !
जवाब देंहटाएं:-)...हमेशा की तरह करारी चोट वाला डंडा!
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