शुक्रवार, जनवरी 30, 2009

अगर ऐसा हो जाता



गांधी जी यदि स्वयं ही , होते न्यायाधीश ।
फाँसी नाथूराम का , कभी न छूती शीश ॥
कभी न छूती शीश, क्षमा उसको मिल जाती ।
और बडे आयाम , अहिंसा भी पा जाती ॥
विवेक सिंह यों कहें, अगर ऐसा हो जाता ।
गांधी जी का न्याय अलग इतिहास बनाता ॥

26 टिप्‍पणियां:

  1. shaandaar ,
    bahut sahi kahaa gaandhi ke baare me...
    main to kisi tathaakathit gazal par aapki tippani padh kar chalaa aaya...
    aur aaker achhaa lagaa

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  2. क्यों? गाँधी क्या देश के कानून से ऊपर थे जो मनमाना फ़ैसला सुनाते। वे तो एक वकील भी थे।

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  3. मगर ये हो न सका ! और अब ये आलम है कि...

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  4. विवेक जी बहुत अच्छी रचना है...बधाई....

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  5. इसीलिए तो गाँधी जी जज न बनकर वकील बने . बहुत शानदार रचना देश के महामना को याद करने के लिए.

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  6. भतीजे आज गांधीजी को ३० जनवरी को इस रुप मे याद करके घणा शिक्षादायी काम करया सै तन्नै.

    रामराम.

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  7. तो आप भी समीरलालजी के नक्शेकदम पर चले :) कुण्डली और मुण्डली और मण्डली में अधिक अंतर तो नहीं !!

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  8. यों कहें - यदि नाथूराम गांधीजी को जान लेता तो ऐसा कृत्य ही न करता.

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  9. ये है बापू को सच्ची श्रद्धांजलि।

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  10. बहुत सही कहा विवेक जी आपने.. ऐसा ही करते बापू..

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  11. आज शहीदी दिवस पर, गांधी आये याद।
    कवि विवेक कविता करें, होता वाद-विवाद॥

    होता वाद-विवाद, सही या गलत हुआ क्या?
    हत्या थी या मुक्ति देश की, होती व्याख्या॥

    देख रहे सिद्धार्थ, कलंकित करता उन्हें समाज।
    गान्धी जी का कत्ल, कर रहे बहुतेरे हैं आज॥

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  12. बहुत ख़ूब विवेक कविराय। महात्मा जी का एकदम सही पक्ष रखा आपने।

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  13. आप ने अभी लिखी प्यारी कविता, बापू की श्रद्धांजलि।
    इसी बहाने सिद्धार्थ जी की भी प्यारी कविता पढने को मिल गयी ।

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  14. अगर गाँधी जी जीवित होते तो प्रेम और अहिंसा से काम लेते और नाथूराम ख़ुद आत्मग्लानी से आत्महत्या कर लेता . लेकिन ऐसा हो न सका अफ़सोस इस बात का है .

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  15. गांधीजी तो यकीनन यही करते, पर जो लोग यह कह रहे हैं "बापू हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल ज़िंदा हैं"
    वे लोग शायद असली कातिल हैं, गाँधी वृद्ध थे, सन अड़तालीस में नहीं तो सन पैंसठ-सत्तर में स्वर्ग सिधारते. पर गोडसे ने उनकी देह को ही मारा, मौत के बदले मौत कहने वाले उन्ही के संगठन के लोगों ने तो गाँधी की आत्मा और विचार को ही नरक पहुँचा दिया. पंचायत राज के प्रबल समर्थक गाँधी के सहयोगी नेहरू ने अधकचरा विदेशी जुगाड़ लाकर देश के भविष्य का कबाडा कर दिया.

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  16. सत्य वचन तुमने लिखे, बात कहूँ पर एक
    लिखने में लेते नहीं भैय्या काम विवेक
    भैय्या काम विवेक, अगर ऐसा हो जाता
    गाँधी बाबा हर प्राणी से गाली खाता
    कातिल ऐसे घूमते जैसे छुट्टा सांड
    खुशी मनाते नाचते करके हत्या कांड
    नीरज

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  17. जय हो.
    गाँधी जी को सच्ची श्रद्धांजलि है यह कविता.

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