गुरुवार, सितंबर 09, 2010

केन्द्रीय सरकता आयोग पर निबंध


एक बार कक्षा में गुरु जी ने छात्रों को एक निबंध लिखने के लिए कहा ।  ब्लैक-बोर्ड पर गुरु जी ने जल्दी जल्दी निबंध शीर्षक लिखा और पास की कक्षा में मैडम के पास जाकर बतियाने लगे । जब वे लौटे तो छात्र निबंध लिख चुके थे । पेश है एक छात्र का लिखा निबंध :

सरकता आयोग

दुनिया में हर देश की तरक्की के लिए उसे आगे सरकाना बेहद जरूरी होता है । इसीलिए प्रत्येक देश में किसी न किसी रूप में सरकता आयोग मौजूद रहता है । जिन देशों में सरकता आयोग नहीं होता वे विकास की दौड़ में पीछे रह जाते हैं ।

भारत में सरकता आयोग की स्थापना संविधान के द्वारा की गयी है । भारतीय संविधान की प्रस्तावना में लिखा हुआ है कि, " भारत अर्थात् इण्डिया, संघों का राज्य होगा । इसका एक सरकता आयोग होगा । जो देश को आगे सरकाने में सरकार की मदद करेगा । "

हमारे देश में केन्द्रीय सरकता आयोग के अतिरिक्त राज्यों में राज्य सरकता आयोग और जिलों में जिला सरकता आयोगों की स्थापना की गयी है । देश की एकता और अखण्डता को बनाये रखने के लिए आवश्यक है कि सारा देश एक साथ विकास करे । इसीलिए देश में सरकता आयोगों का जाल बिछाना उचित समझा गया ।

केन्द्रीय सरकता आयोग का अध्यक्ष मुख्य सरकता आयुक्त होता है जिसकी नियुक्ति प्रधानमंत्री अपनी पार्टी के अध्यक्ष की सलाह से करता है । इसके बाद केन्द्रीय तथा राज्य व जिला आयोगों  में अन्य सदस्यों और कर्मचारियों को सरकाने का काम मुख्य सरकता आयुक्त स्वयं कर लेते हैं ।

आमतौर पर किसी व्यक्ति को सरकता आयोग का सदस्य होने के लिए निम्नलिखित योग्यताओं का पालन करना पड़ता है :

१. वह भारत का नागरिक हो ।
२. वह पागल दिवालिया या कोढ़ी न हो ।
३. उसे सरकने में महारथ हासिल हो ।

देश में कहीं भी सरकने से सम्बंधित किसी भी समस्या के निदान हेतु नजदीकी सरकता आयोग में शिकायत दर्ज करायी जा सकती है । मसलन :
यदि किसी बहू का पल्लू सरकने में उसकी सास बाधक हो रही है तो बहू सरकता आयोग की सेवाएं ले सकती है ।
बस में तीन वाली सीट पर बैठे यात्री यदि चौथी सवारी बिठाने के लिए सरकने में आनाकानी करते हैं तो बैठने का इच्छुक खड़ा हुआ यात्री सरकता आयोग की सेवाएं ले सकता है ।
भ्रष्टाचारी बाबू यदि पर्याप्त रिश्वत लेने के बावजूद किसी व्यक्तिगत खुन्नस के कारण फाइल को आगे नहीं सरका रहा है तो पीड़ित व्यक्ति सरकता आयोग की सहायता ले सकता है ।
कोई जाँच आयोग निर्धारित अवधि में जाँच न पूरी कर पाने पर अपना कार्यकाल आगे सरकाने के लिए सरकता आयोग में अपील कर सकता है । 
यदि किसी करदाता को कर जमा करने में अन्तिम तिथि निकल गयी हो तो वह भी सरकता आयोग से कहकर अन्तिम तिथि को आगे बढ़वा सकता है । आदि ।

जिला सरकता आयोग से लेकर केन्द्रीय सरकता आयोग तक में लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है । आयोग के परिसर में संविधान में संशोधन करके चलने या दौड़ने आदि पर पाबंदी लगाकर केवल सरकने को ही वैध माना गया है । इससे यहाँ आने वाले शिकायत्कर्ताओं और यहाँ के कर्मचारियों के पेण्ट जल्दी घिस जाते हैं और इस प्रकार देश का वस्त्र उद्योग आगे सरकता रहता है ।

सरकता आयोग के बारे में उल्लेखनीय है कि ठंडे आयोग की सिफारिशों को मद्दे नज़र रखते हुए रेंगता आयोग को भंग करके उसके स्थान पर इसकी स्थापना की गयी है । ताकि अतिपिछड़े वर्गों को भी साथ लिया जा सके जो रेंगने में असमर्थ थे ।

सरकता आयोग का महत्व इसी बात से पता चल जाता है कि सरकार को सरकार इसीलिए कहा जाता है क्योंकि सरकता आयोग सरकार के प्रति उत्तरदायी होता है ।

भारत के सरकता आयोग का नारा है " सरकें और सरकाएं, देश के आगे बढ़ाएं ।"

जय हिन्द !

7 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक और सटीक व्यंग...शानदार प्रस्तुती ...

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  2. "दुनिया में हर देश की तरक्की के लिए उसे आगे सरकाना बेहद जरूरी होता है "

    सरकना पर सतर्कता से ... कहीं पकडे न जाओ खटिया सरकाते हुए :)

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  3. सरकें और सरकाएं, देश के आगे बढ़ाएं ।" जय हो जय हो....

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  4. बहुत ही सुन्दर, शानदार और मज़ेदार व्यंग्य रहा! बेहद पसंद आया!

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  5. बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

    आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें

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