चाँद-तारा प्रहेलिका में आपका हार्दिक स्वागत है । प्रहेलिका इस प्रकार है:
आसमान में चाँद के बिल्कुल पास एक तारा है । आपको बताना है कि अब क्या होगा ?
क्या चाँद और तारा साथ-साथ रहेगें ?
या फिर इनमें से कोई एक, दूसरे को पीछे छोड़ जाएगा ?
पीछे छोड़ जाएगा तो छोड़कर किधर जाएगा ?
जैसा होगा वैसा क्यों होगा ?
आदि जिज्ञासाओं को आपको शान्त करना है । और जितना आपकी बैटरी में दम हो उतना प्रकाश इस स्थिति पर डाल सकते हैं ।
प्रहेलिका का विजेता कोई एक नहीं होगा । प्रहेलिका का परिणाम घोषित होने से पहले जितने लोगों के उत्तर सही पाये जायेंगे । वे सभी संयुक्त विजेता होंगे । इसलिए यह न सोचें कि, "अब क्या उत्तर देंगे जी अब तो लेट हो गये ।"
तारा चाँद का साथ छोड़ कर जल्दी ही गिर जायेगा, उसकी यही नियति है।
जवाब देंहटाएंपहेली पहले पहेलिका बनी .. फिर प्रहेलिका .. क्या आगे भी कुछ और ? .. या ये सभी अलग अलग हैं .. वैसे आपकी इस प्रहेलिका का जबाब है कि दूसरे दिन चांद पीछे हो जाएगा !!
जवाब देंहटाएंप्रहेलिका ...का विवेक भाई...ई नया नया पहेली ...अब ई प्रहेली...ई जरूर पहेली की सहेली होगी...चांद तारा वाली....देखिये हमरे हिसाब से तो चांद का कौनो भरोसा नहीं रह गया है अब..कहिंयो जा सकता है....फ़िज़ा के पास भी ...आउर अपनी घरवाली के पास भी...नाम हमरा नहीं पता है....हां तारा बाबू...फ़िल्लम ताल के बाद कहीं दिखे नहीं..कौनो धारावाहिक में काम कर रहे हैं....हो गया ...ओतना मोश्किल नहीं था....प्रहेलिका...
जवाब देंहटाएंफिलहाल तो दोनों आगे पीछे,
जवाब देंहटाएंपहले तारा और फिर चांद
क्षितिज में डूब जाएंगे।
आगे कल की कल बताएंगे।
पहले 'पहेलिका' पूछते थे अब यह 'प्रहेलिका 'क्या है??
जवाब देंहटाएंसवाल यह है ki यह चाँद शुक्ल पक्ष का है की कृष्ण पक्ष का.इस पर जवाब तय होंगे.
जवाब देंहटाएंले भाई सुन ले . चांद चांद है कोई मुख्य मंत्री का बेटा नही है. चांद के पीछे विनस नाम की सुंदरी है. चांद ने सुंदरी की तरफ़ पीठ कर रखी है. और इब के बताणा सै? बोल..वो भी बता देंगे.
जवाब देंहटाएंरामराम.
१-आसमान में चाँद के बिल्कुल पास एक तारा है । आपको बताना है कि अब क्या होगा ?
जवाब देंहटाएं-कुछ नहीं होगा कवितायेँ और ग़ज़ल लिखी जाएँगी..एक गीत तो लिखा ही गया था--फिल्म के लिए-चाँद के पास जो सितारा है वो सितारा हसीं लगता है.
-वैसे अच्छा है चाँद को बातें करने के लिए कोई तो पास मिला..नहींतो बेचारा तनहा रहता है..
२-क्या चाँद और तारा साथ-साथ रहेगें ?
या फिर इनमें से कोई एक, दूसरे को पीछे छोड़ जाएगा ?
पीछे छोड़ जाएगा तो छोड़कर किधर जाएगा ?
जैसा होगा वैसा क्यों होगा ?
--देखीए Vivek ji-आप को ऐसे प्रश्न नहीं करने चाहिये..आकाश भी नाराज़ हो जायेगा.क्योंकि ऐसे प्रश्न चाँद और तारे की निजता का उलंघन हैं..इस लिए हमें भी जवाब नहीं देने हैं.२१ वि सदी है उन्हें भी स्वतंत्रता है जहाँ दिल करे जाएँ.
अजय कुमार झा और अल्पना वर्मा .. दोनो की टिप्पणियां मजेदार हैं !!
जवाब देंहटाएंहमारी बैटरी में तो आज दम नहीं, बुखार से तप जो रहे हैं!
जवाब देंहटाएंटिप्पणियाँ पढ़ ही मज़ा ले जा रहे हैं
चाँद-फिजां-ताल-घरवाली
शुक्ल-कृष्ण पक्ष
निजता का उल्लंघन :-)
प्रहसन तो सुना था, किन्तु प्रहेलिका?
चांद तारे की ओर पीठ किये हुये उससे तो लगता है कि कोई डिमांड पेंडिंग है,उनका साथ रहनना या अलग हो जाना डिमांड के पूरी होने या न होने पर डिपेंड करता है।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंइस पहेली को हल करने के प्रयास में मुझे एक घटना याद आ गयी,
दो दोस्त आपस में उलझे हुये थे, शायद उन्हें कुछ लगी हुई थी ।
पहले ने कहा, " अगर मैं चाहूँ तो, तुम्हारे ऊपर पेशाब भी कर दूँ और तू भीगेगा भी नहीं !"
दूसरा उखड़ गया, " भला ऎसा कैसे हो सकता है ?"
हो सकता है.. नहीं हो सकता है कि तू तू मैं मैं चलने लगी, दस बीस तमाशबीन इकट्ठे हो गये ।
पहले ने कहा, " चाहे तो शर्त लगा ले ।"
दूसरा भड़क गया, " ऎसी अनहोनी पर शर्त क्यों लगा लूँ ?"
अब शर्त लगा ले.. और शर्त क्यों लगा लूँ.. की नोंक-झोंक चलने लगी ।
किसी ने सुझाया, अरे आज़मा ले भाई , शर्त लगाने में क्या जाता है ?
जो हारेगा , आख़िर उसी को पैसा भी तो भरना पड़ेगा कि नहीं ?
बीस रूपये की शर्त लग गयी । अगर तू पेशाब में भीग गया तो बीस रूपये तेरे, वरना तुम्हें बीस रूपये देने पड़ेंगे ।
चल ठीक है, चल ठीक है ! पहला उसे कोने में ले गया, और उसके ऊपर झर झर मूत दिया । दूसरा सिर से पाँव तक तर हो गया ।
पर, वह खुशी से चीख उठा, " देखो देखो, मैं तो पूरा भीग गया ! "
जनता ने देखा, सबने देखा, हर आते जाते ने देखा और उसके पक्ष में खड़ी हो गयी, " भई तू शर्त हार गया है, चल इसे बीस रूपये दे ।"
पहले ने कहा, " मैं कब कह रहा हूँ कि, मैं जीत गया ? यह ले अपने बीस रूपये ! "
उपस्थित भीड़ ने मज़ा लिया और चले गये अपने अपने रास्ते ।
उनकी यारी न टूटी, शाम को दोनों अपनी रोज की तलब ख़ारिज़ करने को इकट्ठे हुये ।
दूसरे ने पूछा, " यार यह बता कि तुमने यह कैसे सोच लिया कि तेरी हरकत से मैं नहीं भीगूँगा ।"
पहले ने शाँति से ज़वाब दिया, " मैं जानता था कि तुम क्या कोई भी भीग जायेगा ।"
दूसरा चौंका, " फिर ? "
पहले ने कहा, " यार यह बता कि तुमको ताव दिलाया और इतना मज़मा इकट्ठा हो गया, और तू भी सराबोर हो गया कि नहीं ? "
दूसरा हँसा, " इससे तुम्हें क्या फायदा हुआ ।"
पहले ने ज़वाब दिया कि, " फायदा नुकसान मैं नहीं जानता । तू यह बता कि बीस रूपये में यह डील क्या बुरी रही ? "
मैं जानता हूँ, भाई कि इस पोस्ट से लम्बी यह टिप्पणी सार्थक नहीं है, और यहाँ माडरेशन भी लगा है ।
फिर भी, इस साझा मँच पर एक पाठक के नाते अपनी निरर्थक बात भी कहने का अधिकार तो है, ही !
अब इस पहेली का हल सोचता हूँ । उत्तर सही लगेगा, तो टिप्पणी बक्से का दुबारा उपयोग करूँगा ।
आकाश मे प्रकाश डालने को कह रहे है. बैटरी मे दम तो तब देखेंगे जब बैटरी हो. हम तो दूसरे की बैटरी इस्तेमाल करती नही है. इसीलिए अन्धेरे मे भटक रहे है. चाँद की रोशनी से तो अच्छा खासा काम चल जाता था.
जवाब देंहटाएंधरती से अगर आपने देखकर ये प्रहेलिका निमार्ण किया है तो चाँद बडा और तारा छोटा होगा. ऐसे मे चाँद ही तारे को आगोश मे ले लेगा. आगे उनकी मर्जी
ये कहां जायेगा, पता नहीं। पर तारा तारा नहीं शुक्र है - वीनस!
जवाब देंहटाएंविवेक जी ! पहली बात तो यह कि शहरी लोगों को आकाश में झाँकने के लिए समय ही कहाँ है और कभी ऊपर मुंह उठाकर देख भी लिया तो प्रदुषण के चलते चाँद के साथ ये तारा दिखाई भी कहाँ देता है | अब जब देखने की फुर्सत ही नहीं और कभी देखा भी तो तारा दिखाई नहीं देता ऐसी दशा में आपकी प्रहेलिका का क्या जबाब दे ! :)
जवाब देंहटाएंजमीन पर तो चाँद के पीछे तो चकोर ही पड़ता है.. अब आसमां में चाँद के पीछे तारे पड़ने लगे तो कोई क्या करे :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया ... मनोरंजक पोस्ट है
जवाब देंहटाएंआप लोग जारी रखें
हम टिकट लेकर आ गए हैं !
अमर जी ने तो पूरी पोस्ट ही चेंप दी। लेकिन जगह पर चेंपी हैं। अब बताओ अगली शर्त कौन लगाता है.....बीस वाली ही सही :)
जवाब देंहटाएंअमर जी, निरर्थक बात नहीं है आपकी :)
ये चांद-सितारों का मामला है। इस पर निर्णय संगीता पुरी जी लेंगी, गत्यात्मक ज्योतिषि के आधार पर:) संगीता जी, आप आगे बड़िये, हम आप के साथ हैं:-)
जवाब देंहटाएंApni battery to soch soch kar hi fuss ho gayee .... ab doosron ka jawaab padhna padega. ....
जवाब देंहटाएंजबतक सूरज चाँद रहेंगे तबतक सितारे.... रहेंगे.
जवाब देंहटाएंमैने सुबह ही जबाब दिया था ,विवेकजी ने शायद छुपा रखा है । इन्होने परसों जो देखा वह चंद्र के साथ बृहस्पति था । कल चंद्र बृहस्पति से 12 या 14 डिग्री पीछे हो गया । कारण यह है कि बृहस्पति की गति उतनी तेज नहीं , वह जहां के वहीं है , जबकि चंद्रमा अपनी तेज गति के कारण आगे बढ गया। पर आगे बढने या आगे की राशि में जाने से उसका उदय देर से होता है , इसलिए चंद्रमा को ग्रहों या तारों से पीछे रहना पडता है । और विस्तार से लिख सकती थी , पर बोकारो में दिनभर बिजली नहीं , इन्वर्टर से इतना ही लिख दिया काफी है , रातभर इसकी बैटरी को बचाना है , इसलिए समाप्त करती हूं !!
जवाब देंहटाएंय़ॆ चांद तो हमेशा रहेगा तारा तो टूट जायेगा और किसी की इच्छा भी पूरी करेगा।
जवाब देंहटाएंजब आपने पूछ ही लिया है तो मैं भी अपनी अल्पबुद्धि जितना सोच सकती है उस हिसाब से जवाब देता हूं। कुछ पहलू आपने बताये और लिखा..आदि जिज्ञासाओं को शांत करना है...तो मैं आदि को थोड़ा विस्तार देता हूं-
जवाब देंहटाएं१. प्रश्न अस्तित्व नहीं रखता। क्या चांद?? क्या तारा?? सब माया है, सिवाय ब्रह्म के कहीं कुछ नहीं है-ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या....यह माया का खेल है जिसने आपको उल्झा दिया-माया महाठगिनि हम जानी...तो मुझे न तो चांद दिखता है न तारा।
२. अब क्या होगा ?
क्या चाँद और तारा साथ-साथ रहेगें ?
या फिर इनमें से कोई एक, दूसरे को पीछे छोड़ जाएगा ?
पीछे छोड़ जाएगा तो छोड़कर किधर जाएगा ?
जैसा होगा वैसा क्यों होगा ?
ध्यान दें, ये सारे ही प्रश्न भविष्यकाल से संबंधित हैं और विद्वानों का कहना है-
गते शोको न कर्त्तव्यः भविष्य नाति चिंतयेत
वर्त्तमानेन कालेन वर्त्तंते विचक्षणाः
भूत का शोक और भविष्य की अतिचिंता नहीं करके वर्त्तमान पर ध्यान देना चाहिये। अब आपही बोलिये हम क्या कहें।
३. एक ख्याल तो आता है कि चांद दूर से ही सुंदर दिखता है। तो जब तक एक दूरी है तारे की सोच कुछ ऐसी होगी-
जित देखूं तित चांदमयी है (जित देखूं तित श्याममयी है कि तर्ज पर) लेकिन नजदीक आते ही तारे को अपनी भूल का एहसास होगा और वह बाबा तुलसीदास के स्वर में प्रायश्चित करेगा-
कोक शोकप्रद पंकजद्रोही
अवगुन बहुत चंद्रमा तोही
४. चांद और तारा पास तो हैं पर थोड़ी दूरी भी नज़र आ रही है, निराशा के क्षणों मे वे किसी कवि की पंक्तियां गाते होंगे-
हम हैं कितने पास पिया के लेकिन कितनी दूर
एक नदी के दो किनारे मिलने से मजबूर
५. वे एक दूसरे को छोड़कर कहीं नहीं जा सकते क्योंकि उन्होने कबीरा के ढाई आखर का पाठ प्पढ़ा है...और-
सौ योजन साजन बसे समझो हृदय मंझार
कपट सनेही आंगने जान समंदर पार
ख्याल तो और भी आ रहे हैं पर समयाभाव में यहीं विराम लेता हूं
चाँद तारा दोनों साथ साथ ही रहेंगे विवेक भाई। बस हमारी नज़र साथ छोड़ देगी।
जवाब देंहटाएंक्योंकि हमने तो जब भी चाँद-तारा(पतंग) उड़ाई, डबल मंझा करके ही उड़ाई और कभी न कटने दी। अलबत्ता रखे रखे खराब हो गई बात अलग है।
वे दूर चले भी गए और आप फोटो लिए बैठे हैं -यह बहुत आह्लादकारी दृश्य था परसों नरसों !
जवाब देंहटाएंप्रहेलिका का तो पता नहीं पर जो दृश्य है वो बड़ा खूबसूरत है...बस यही कहने को मन कर रहा है-
जवाब देंहटाएंचांद के पास जो सितारा है
वो नज़ारा हसीन लगता है...
आज की रात है मुरादों की
रात को बस यूंही रहने दो...
ied mubaarak !! (pata hai abhi samay hai...
जवाब देंहटाएंpar yahi prehelika ka utaar hai hamari taraf se)