गुरुवार, सितंबर 16, 2010

हम ही रोटी हम ही अचार

इस ब्लॉगिंग रूपी बगिया में
हम ब्लॉगर भँवरे आते हैं
कर करके कितने ही जुगाड़
हम अपना ब्लॉग सजाते हैं

मन के विचार मानो कलियाँ
जो खिलकर बनतीं पोस्ट फूल
टिप्पणियों को मकरन्द समझ
मँडराते रहते झूल झूल

हम लिखकर पोस्ट बैठ जाते
अब टिप्पणियों का इंतजार
कुछ उधार वापस मिल जाएं
चढ़ जाए कुछ कर्ज का भार

यदि हो आवश्यक काम कहीं
उठते हैं बुझे हुए मन से
आत्मा ब्लॉग पर ही रहती
बाहर जाते हैं बस तन से

अच्छी मिल जाएं या कि बुरी
कुछ मिले प्रशंसा या निन्दा
अवसर हो घमण्ड करने का
या फिर बेशक हों शर्मिन्दा

हम लेखक, और प्रकाशक भी
हम पाठक, हम टिप्पणीकार
हम नामचीन, हम बेनामी
हम ही रोटी, हम ही अचार

हम चर्चित, चर्चाकार हमीं
हम ही कहते, "है अर्ज़ किया"
इरशाद बोलकर हमने ही
फिर वाह वाह का फ़र्ज़ किया

हम झगड़ालू, हम अशान्तिप्रिय
तू तू मैं भी करते हैं
हा हा ठी ठी भी कर लेते
फिर शान्तिपाठ भी पढ़ते हैं

घर पर पत्नी के डण्डे खा
ब्लॉग पर पुरुषवादी बनते
कर दें पतिदेव पिटाई भी
नारीवादी बनकर तनते

अपने बारे में कुछ लिख दो
यह आभासी दुनिया ठहरी
चिल्ला चिल्लाकर खूब कहो
समझो पब्लिक तो है बहरी

साइकिल की दुकान खोली हो
पर बोले रेल चलाते हैं
चाहे पान ही लगाते हों
कहते हथियार बनाते हैं

ये धंधा करें कमीशन का
पर बहुत बड़े व्यवसायी हैं
बूढ़ी अम्मा प्रोफाइल में
लिखती अपने को ताई हैं

लिख दिया कि हैं कलकत्ते में
पर ड्यूटी अपने साथ करें
हर पोस्ट सीरियस लिखते हैं
बच्चों से दो दो हाथ करें

अब कहें कहाँ तक आप कहो
बस अभी काम पर जाना है
खुद को मालिक की नज़रों में
अतिआवश्यक जतलाना है

17 टिप्‍पणियां:

  1. rpc.blogrolling.com

    कोई मालवेयर दिखा रहा है.. बड़ी रिस्क लेकर आये हैं..

    हम लेखक, और प्रकाशक भी
    हम पाठक, हम टिप्पणीकार
    हम नामचीन, हम बेनामी
    हम ही रोटी, हम ही अचार

    हम चर्चित, चर्चाकार हमीं
    हम ही कहते, "है अर्ज़ किया"
    इरशाद बोलकर हमने ही
    फिर वाह वाह का फ़र्ज़ किया..

    वाह वाह..

    जवाब देंहटाएं
  2. हम चर्चित, चर्चाकार हमीं
    हम ही कहते, "है अर्ज़ किया"
    इरशाद बोलकर हमने ही
    फिर वाह वाह का फ़र्ज़ किया ...

    वाह वाह ... बहुत अच्छी लगी आपकी व्यंगात्मक रचना विवेक जी इसलिए वाह वाह किया है .... अन्यथा न लेना ...

    जवाब देंहटाएं
  3. अले वाह, कित्ती सुन्दर कविता..बधाई.
    _____________________________
    'पाखी की दुनिया' - बच्चों के ब्लॉगस की चर्चा 'हिंदुस्तान' अख़बार में भी.

    जवाब देंहटाएं
  4. साइकिल की दुकान खोली हो
    पर बोले रेल चलाते हैं
    चाहे पान ही लगाते हों
    कहते हथियार बनाते हैं

    वाह भाई वाह...पूरी ब्लॉग सम्प्रदाय की पोल खोल दी आपने तो...क्या कहना.
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  5. ओह लगता है ..इन दिनों लगता है बहुत गहन चिंतन चल रहा है ...तभी इत्ता प्रकाशमय लिख रहे हैं ....आनंदम आनंदम ..

    जवाब देंहटाएं
  6. vaah bhaayi vah vivek ji bhut khub mzaa aa gyaa bhut bhut bdhaayi ho. akhtar khan akela kota rajsthan

    जवाब देंहटाएं

  7. बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

    आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें

    जवाब देंहटाएं
  8. जोरदार । मजा आगया पढ कर ।
    टिप्पणियों को मकरन्द समझ
    मँडराते रहते झूल झूल

    हम लिखकर पोस्ट बैठ जाते
    अब टिप्पणियों का इंतजार
    कुछ उधार वापस मिल जाएं
    चढ़ जाए कुछ कर्ज का भार

    यह और कितनी ही ऐसी और कडियां पसंद आईँ ।

    जवाब देंहटाएं
  9. साइकिल की दुकान खोली हो
    पर बोले रेल चलाते हैं
    चाहे पान ही लगाते हों
    कहते हथियार बनाते हैं


    --तहलका डॉट कॉम टाईप खुलासा...पहली बार एक्सक्लूजिव!!

    ---न्यूज ट्रेकर पर ब्रेकिंग न्यूज चलाओ---

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  10. ये हुई ना बात.. बहुत ही धांसू लिखा है विवेक भाई..
    पान वाले भाईसाहब तो हमें ही चूना लगाते रहे..

    आत्मा ब्लॉग पर ही रहती
    बाहर जाते हैं बस तन से

    ये मस्त लिखेला है बॉस

    जवाब देंहटाएं
  11. हम लिखकर पोस्ट बैठ जाते
    अब टिप्पणियों का इंतजार
    कुछ उधार वापस मिल जाएं
    चढ़ जाए कुछ कर्ज का भार
    ..................क्या कहना....क्या कहना.

    जवाब देंहटाएं
  12. प्रिय बंधुवर विवेक सिंह जी
    नमस्कार !
    क्या ख़ूब पोल खोली है …

    यदि हो आवश्यक काम कहीं
    उठते हैं बुझे हुए मन से
    आत्मा ब्लॉग पर ही रहती
    बाहर जाते हैं बस तन से


    सब का यही हाल है क्या ?
    मैं सोच रहा था कि मेरे साथ ही ऐसा है …
    हा हाऽऽ हा …

    वाह भाईजी वाह !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    जवाब देंहटाएं
  13. वाह वाह ! भाईसाब , तै ही नहीं कर पी क्या क्या कोट करू ??
    सारी की सारी कविता ही जबरजस्त है ....
    यहाँ भी पधारें ...
    विरक्ति पथ

    जवाब देंहटाएं

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