रूठ गयी हैं देवि सरस्वति,
देव आइडिया भी रूठे ।
कुछ विचार थे अधकचरे से,
मुई व्यस्तता ने लूटे ॥
यह जीवन की दौड़ धूप सी,
हमको रास नहीं आती ।
व्यस्त देखकर देवि कल्पना,
भी, अब पास नहीं आती ॥
मिले ढेर सारी फ़ुरसत तो,
संग कल्पना के डोलें ।
सच को दूर भगाकर कुछ दिन,
झूठ हर समय बस बोलें ॥
यारों के संग ताश खेलकर,
खुलकर हँसने की बारी ।
अट्टहास कर शोर मचायें,
होती हो ज्यों बमबारी ॥
यारों के संग ताश खेलकर,
जवाब देंहटाएंखुलकर हँसने की बारी ।
अट्टहास कर शोर मचायें,
होती हो ज्यों बमबारी ||
विवेक भाई आपने दोस्तों की याद दिला दी | यार वो रात-रात भर ताश खेलना ...
vah-vah.
जवाब देंहटाएंइत्ते खतरनाक आइडिया हैं इसीलिये फ़ुरसत देव आपको फ़ुरसत प्रदान नहीं करते!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया |
जवाब देंहटाएंफुरसत देव से आपको फुरसत देने की प्रार्थना करेंगे |
जब बिना फ़ुरसत ये हाल हैं तो फ़ुरसत के समय क्या होगा?
जवाब देंहटाएंरामराम.
यारों के संग ताश खेलकर,
जवाब देंहटाएंखुलकर हँसने की बारी ।
अट्टहास कर शोर मचायें,
होती हो ज्यों बमबारी
--काश!! ऐसे मौके मिल पाते.. वैसे बिना फुरसत भी कम नहीं आंका जा सकता. :)
काश एसा हो!!!
जवाब देंहटाएंजी बजा फरमाया -दिल चाहता है फिर वही फुरसत के चार दिन !
जवाब देंहटाएंफुर्सत देव ने जैसे छोडा कि कल्पना देवी हाजिर .. क्या बात है !!
जवाब देंहटाएंयह तो फुरसतिया महाराज ही आपको बता सकते हैं कि आपको फुर्सत कब मिलेगी.
जवाब देंहटाएंफुर्सत?
जवाब देंहटाएंनौ मन तेल जुटाओ तो राधा नाचें!
हमारी व्यथा लिख दी मित्र
जवाब देंहटाएंहां जी, हमार इंटरनेटवा भी रूठे बैठा था, सो देर से टिपिया रहन:)
जवाब देंहटाएंBahut badhiya.
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
फुर्सत ये क्या होती है
जवाब देंहटाएंबैठे रहे तसव्वुरे-जानां किये हुये...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, बचपन याद दिला दिया !
जवाब देंहटाएंआजकल अपना भी यही हाल है
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया!!!!
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