रविवार, फ़रवरी 01, 2009

पक्ष में फिर विपक्ष में


धरती के उस पार से, वापस आया चन्द ।
रात अँधेरी उस तरफ, इधर हुए आनन्द ॥
इधर हुए आनन्द मगर क्यों करें भरोसा ?
उधर गया जब चाँद सभी ने जमकर कोसा ॥
विवेक सिंह यों कहें, पक्ष में फिर विपक्ष में ।
कृष्ण पक्ष में आज और कल शुक्ल पक्ष में ॥

कोष्ठक में : हमारी खुफिया एजेंसियों ने बताया है कि हमारे वरिष्ठ पाठक धीरू सिंह जी से अपनी टिप्पणियों का अर्धशतक पूरा कर लिया है । पर बीच में उन्होंने पहचान बदल ली और हमारे स्वचालित सिस्टम को धोखे में डालने में सफल रहे । फिर भी हमारी खुफिया एजेंसियों से न बच सके । धीरू जी को बहुत बहुत बधाई !

23 टिप्‍पणियां:

  1. इसीलिये हमने कहा था:
    चांद की आवारगी है बढ़ रही प्रतिदिन/कहीं कोई मजनू थपडिया देगा तो क्या होगा?

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  2. वाह जी वाह बेहतरीन बधाई हो धीरू जी को बहुत बहुत बधाई

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  3. बहुत अच्छा.. आज और कल.. आज है कल नहीं... कल थी आज नहीं..

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  4. अर्धशतक का आईडिया अच्छा है..

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  5. तो यह कविमन भी चाँद प्रभाव में आ ही गया !

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  6. vivek bhaiyaa, hamein to pata chala hai ki chaand ko dhoondhne mein amerika aur nasa ne bhee madad kee thee.

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  7. बहुत शानदार. बधाई.

    @ फ़ुरसतिया जी, इसी लिये हमने आपकी ये चांद वाली कविता आज तक अपने ब्लाग पर टांग रखी है. जब भी उसको बदलने की कोशीश करते हैं, पर उसको पढते ही मन बदल जाता है. लगता है हमको तो उस कविता से प्यार हो गया है. :)घणी जोरदार कविता.

    रामराम.

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  8. हाँ जी, काठ की हांडी एक बार ही चढ़ती है।
    लो हम भी दस नम्बरी हो लिए

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  9. विवेक सिंह यों कहें, पक्ष में फिर विपक्ष में ।
    कृष्ण पक्ष में आज और कल शुक्ल पक्ष में ॥


    -इसे तो हिन्दी में बिन पेंदी का लोटा कहा गया है. (साहित्य भी जाने क्या क्या कहता रहता है. :))

    है बेहतरीन!!

    धीरु जी को मेरी बधाई भी पास ऑन कर देना भाई और मिठाई-वो खिलायेंगे कि आप??

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  10. चांद हो या फिज़ा
    बहार हो या खिज़ा
    प्रेम का पहिया रुका
    मिली बिछोह की सज़ा!!

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  11. शानदार कविता !
    चाँद के साथ कुछ फिजा के बारे में भी लिख देते |

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  12. चाँद की तो फितरत है कभी दिखना कभी छुपना .
    @समीर जी
    वैसे मिठाई तो आपको खिलानी चाहिए आप ही के चेले आपकी राह पर है .

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  13. सुन्दर रचना. धीरू जी को भी बधाई.

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  14. बहुत सुंदर विवेक जी ......पर दोनो पक्ष में चांद के हमारी ओर रहने का अनुपात वही होता है.......सिर्फ सूर्य की रोशनी में दिखाई नहीं देता।

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  15. चाँद को भी भारतीय राजनीती में शामिल कर दिया.

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  16. चाँद की तरह अपनी जिन्दगी है आज उजाली है कल अँधेरी रात होगी , ये उतार-चढाव तो चलता ही रहेगा .

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  17. घनाक्षरी छंद नेट पर बहुत कम देखने को मिलता है, अच्‍छा लगा, बधाई।

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  18. bahut khuub!
    chaand bechare ko media nahin baksh rahi aur aap ne bhi aaj yahan katghare mein khdaa kar diya!chaand ko awaara -dal-badloo bana diya!
    -aap ko bhi mitr mandali ki arthshatak poore hone par badhaayee--interview taau ji ke yahan padha--khuub chokha !:D
    aap ki hazirjawabi aur 'vyangy shaili' addbhut hai!

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  19. विवेक सिंह यों कहें, पक्ष में फिर विपक्ष में ।
    कृष्ण पक्ष में आज और कल शुक्ल पक्ष में ॥
    बहुत खूब.....

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  20. धरती के उस पार से वापस आया चन्द
    हर्ष दोगुना हो गया तुमने लिखा जो छंद
    तुमने लिखा जो छंद पढें सब हर्षित मन से
    मिले तुम्हें आशीष यहाँ सब ब्लॉगरगन से
    गुरु रह गए खाड़ हुआ अब चेला चीनी
    और नहीं कुछ काम बुने अब चादर झीनी

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