चीन में काफ़ी समय से एक परिवार एक बच्चे का नारा दिया जा रहा था . पर अब सुनने में आया है कि वहाँ जो लोग स्वयं इकलौती संतान हैं उन्हें दो बच्चे पैदा करने को प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि देश में बूढ़ों के बढ़ते प्रतिशत पर काबू किया जा सके . और भविष्य में श्रमशक्ति की कमी न होने पाये .
चीन ने जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण किया और अब फ़िर से बढ़ाने की कोशिशें होने लगीं, और यहाँ अभी तक पहला ही टारगेट हासिल नहीं कर सके । इस पर कुछ लोगों का यह कहना है कि, " देखा ? हम पहले ही जानते थे इसीलिए कभी मन से कोशिश ही नहीं की . दूरदृष्टि भी तो कोई चीज है . अगर अब भी हम कुछ होशियारी दिखा सकें तो हमें यहीं से पलट जाना चाहिये , रेस में एक तरफ़ चीन से पहले नहीं पहुँचे तो क्या . दूसरी तरफ़ तो पहले पहुँच ही सकते हैं . "
फ़िर भी अगर जनसंख्या कम करनी ही हो तो उसके लिये एक अच्छी रणनीति की दरकार है । तभी न कुछ एक्शन लिया जा सकेगा । दरअसल पहले हमें पता लगाना होगा कि साल के किन किन महीनों में जनसंख्या सबसे ज्यादा बढ़ती है । चिन्ता न करिये हमने पता लगा लिया है । हमारे स्कोरर ने बताया है कि साल में जुलाई के महीने के नाम सबसे ज्यादा जनसंख्या बढ़ाने का रिकॉर्ड है और जनवरी रनर अप है । इनमें भी एक जुलाई और एक जनवरी के दो दिन सबसे ज्यादा क्रिटिकल हैं । हमारे सर्वेक्षण में पाया गया है कि जितने लोगों का जन्मदिन एक जुलाई को होता है उतने लोगों का साल में और किसी तारीख को नहीं होता । चाहें तो एक जुलाई को कलेण्डर से बाहर किया जा सकता है या कोई दूसरा उपाय किया जाय । यह हमारे सिलेबस से बाहर से बाहर की बात है । फ़िर भी हमारी सलाह है कि सबसे पहले तो जनसंख्या दिवस को 11 जुलाई से हटाकर 1 जुलाई कर देना चाहिये ।
वैसे इस खोज के लिये हमें कुछ पुरस्कार मिलना बनता है और आजकल पुरस्कार माँगने से ही मिलते हैं । पर हमें नहीं भी मिलेगा तो बुरा नहीं लगेगा । जैसे लालू जी को मन्त्री नहीं बनाये जाने पर बुरा नहीं लगा ।
अरे वाह हम भी तो जुलाई में ही जन्मे हैं !
जवाब देंहटाएंइसी लिए हमारे प्रान्त में स्कूल 1 जुलाई को खुलते हैं।
जवाब देंहटाएंसही है.. १ जुलाई याद करने में कितना आसान है.. वैसे अब स्कुल अप्रेल मई में खुलने लगे है तो ये भी शिफ्ट हो जायेगा..
जवाब देंहटाएंक्या विश्लेषण है :)
जवाब देंहटाएंक्या बेहतरीन रिसर्च किया है आपने। एडमीशन के चक्कर में बने नकली डेट आफ बर्थ जो जो न करवाये। सटीक निशाना।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
विवेक भाइ क्या विशलेशण है सच मे ही हम लोग जु्लाई मे रात की शिफ्ट से इसी लिये डरते थे कि बार बार डिलिवरी केस की एडमीशन के लिये उठना पडता था अगर पहले पता होता तो आपके लिये आँकडे जरूर इक्ठे कर रखते बहुत बडिया पोस्ट है मेरी ओर से पुरुस्कार स्वरूप बहुत बहुत आशीर्वाद है
जवाब देंहटाएंहाँ इस का सब से बडिया उपाय है कि सभी पतिओं को नवम्बर दिसम्बर मे टूर पर भेज देना चाहिये तब जनसंम्ख्या मे कुछ कमी आ सकती है अरे बुरा मत माने ये अस्पताल वलों का तज़ुरबा है हा हा हा
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने! सही में जुलाई महीने में ही जनसंख्या बढती है और आपने बहुत ही सुंदर व्याख्या किया है!
जवाब देंहटाएंये तो अद्भुत बात बताई आपने...
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही बेहतरीन ।
जवाब देंहटाएंअच्छी खोज बीन है विवेक भाई :)
जवाब देंहटाएंजनसंख्या, जुलाई और जनवरी! तीनों के तीनों ज से। क्या इतफाक है!!!
जवाब देंहटाएं"चाहें तो एक जुलाई को कलेण्डर से बाहर किया जा सकता है" पर यह सुनिश्चित कर लें कि दूसरी जुलाई को बच्चों की आमद डबल न हो जाय:)
जवाब देंहटाएंविवेक भाई!
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार इस महान तथ्यांवेषण के लिये.
मैने भी एक खोज की है अर्ज किया है कि मेरी खोज के अनुसार बच्चे या तो दिन मे पैदा होते है या रात मे. अगर दिन रात को ही ----
जन संख्या कम करने का तरीका - केलेण्डर से जुलाई निकाल दो! वाह।
जवाब देंहटाएंपहले जमाने में लोग तारीख याद नहीं रखते थे. १ जुलाई को स्कूल खुला, उससे ५ साल घटा कर तारीख १ जुलाई लिखवा देते थे, ताकि दिन न गिनना पड़ जाये.
जवाब देंहटाएंपुरुस्कार के लिए कुछ वजन तो रखो फाईल पर. :)
ha ha ha
जवाब देंहटाएंye wakai such hai kya???
ye aapka vishleshan hai yaa kisi survey company dwara kiya hua??
vaise ..baat aapne bilkul sahi kahi.. :)
bahut hi PRODUCTIVE research hai!!
जवाब देंहटाएंAchchha aisa kya.........badhiya jankari di aapne.
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी दी है आपने | इसमें व्यंग का पुट देकर इसे और भी अच्छा बना दिया |
जवाब देंहटाएंअब हम लोगों की कुछ सेवा कीजिये ... तभी तो पुरस्कार की सिफारिस करेंगे ?
समीर जी ने सही कहा | हमारे गांव के मास्टर जी भी बच्चो के स्कूल में नाम लिखते समय एसा ही करते थे |
जवाब देंहटाएंवैसे पुरस्कार न मिलने आप भले ही बुरा ना माने पर लालू जी मंत्री पद न मिलने से बहुत दुखी है |
विवेक भाई.....................? माजरा क्या है ?
जवाब देंहटाएंलेओ अब माजरा बताओ! बड़ा बवाल है! लेकिन कर क्या सकते हो? बवालजी एक तो प्रशंसक हैं और दूसरे जबलपुरिये। :)
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