जब से हनुमान जी की पुस्तक का विमोचन हुआ है और राम-सेना से उनका तथाकथित निष्कासन हुआ है तब से नेपथ्य से कभी हनुमान तो कभी रावण जैसी ध्वनियों से वातावरण गुंजायमान है । ऐसा महसूस हो रहा है जैसे हम रामलीला देख रहे हों ।
हमने जिज्ञासावश अपने सूत्रों को पूछ लिया तो सूत्रों ने अपने सूत्रों से पूछकर बताया कि इसमें रहस्यमय कुछ है ही नहीं । चूँकि दशहरा आने वाला है इसलिए वास्तव में यह रामलीला की रिहर्सल ही चल रही है । चिन्ता न करें ।
चुनाव रूपी लंका-युद्ध में कुछ समय पूर्व रावण के पुत्र मेघनाद ने इन वेटिंग लक्ष्मण को क्लोरोफॉर्म सुँघाकर मूर्छित कर दिया था । रामों का संघ विलाप करने बैठ गया तो हनुमान जी संजीवनी बूटी ढूँढ़ने हिमालय की ओर निकल गये थे । हिमालय पहुँचकर उन्हें जब काफी सोचने पर भी बूटी की पहचान न हो सकी तो वे पूरी किताब ही उठा लाये ।
किताब लेकर हनुमान जी अयोध्या के ऊपर से गुजर रहे थे तो ठाकुर भरतनाथ के जासूसों ने उन्हें अयोध्या की ओर आने वाले संकट की सूचना दी । भरत जी ने अपने जासूसों की बात को प्रमाण मानकर बिना किताब पढ़े ही हनुमान जी को वाण से नीचे गिरा लिया । दरअसल किताब हिन्दी में लिखे होने की वजह से भरत जी के पल्ले नहीं पड़ी थी । वे तो अब तक संस्कृत ही पढ़ते आये थे । हिन्दी देखकर चौंक गये । बोले ,"यह किसने संस्कृत के विसर्ग और हलन्त उड़ा दिये । यह क्या मजाक है ?"
हनुमान जी गिरकर चिन्तिति हुए कि अब लक्ष्मण जी को कैसे मूर्छा से बाहर निकाला जा सकेगा ?
अभी सीन यहीं अटका हुआ है । बीड़ी पीने का ब्रेक हो गया है ।
वैधानिक चेतावनी : बीड़ी पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है ।
आप सोच रहे होंगे कि यह चेतावनी सुन सुनकर तो कान पक गए कोई नई चेतावनी सुनाई जाय । तो सुनिये :
यह तो आप जानते ही होंगे कि बीड़ी पीने से धुआँ निकलता है जिसमें कार्बन डाई ऑक्साइड गैस निवास करती है . ग्लोबल वार्मिंग इस गैस की लंगोटिया यार है . आप यदि यह न जानते हों तो मान लें कि ऐसा है । और भी जो जो आप न जानते हों, मानते चलें । आप यह भी जानते होंगे कि धरती अपनी कीली पर 23.5 डिग्री झुककर सूरज की परिक्रमा करती रहती है । चूँकि धरती हमारी माता है इसलिए हम नहीं चाहते कि इसे झुकना पड़े । लेकिन वैज्ञानिकों ने हमारे माथे पर चिन्ता की लकीरें खींच दी हैं । लिहाजा हमें चिन्ता हो गई है । दरअसल वैज्ञानिकों ने बताया है कि अगर ग्लोबल वार्मिंग पर लगाम नहीं कसी गयी तो पृथ्वी अपनी धुरी पर और भी ज्यादा झुक सकती है ।
इस समाचार से कुछ बिगड़ैल बच्चों ने ज्यादा बीड़ी पीना शुरू कर दिया है । उनका कहना है कि धरती को झुकाते झुकाते 90 डिग्री तक ले जाना है ताकि इससे पैदा होने वाली स्थिति का आनंद लिया जा सके । ये वही बच्चे हैं जो गाते फिरते हैं कि, "धीरे-धीरे प्यार को बढ़ाना है, हद से गुजर जाना है ।" यदि धरती 90 अंश झुक गयी तो कर्क रेखा और मकर रेखा को अपना खो देना पड़ेगा । उस स्थिति में शायद सूरज हमें सुदूर दक्षिण से सुदूर उत्तर तक जाता दिखाई देगा ।
जो देश अभी ठण्डे हैं वे भी गर्म हो लेंगे । धरती पर ऊर्जा का समान वितरण होगा । गोरे काले का भेद मिट जाएगा क्योंकि गोरे लोगों को भी कड़ी धूप में रहना होगा ।
हमने अभी यहीं तक सोचा है बाकी फिर सोंचेगे । कोई जबरदस्ती है क्या ?
न कोई जबरदस्ती नहीं.. आप सोचने के लिये ब्रेक ले..
जवाब देंहटाएंबिना सोचे समझे ही इतनी मजेदार लच्छेदार बातें कर डाली आपने..
जवाब देंहटाएंअब तो इंतज़ार करना होगा की सोचने के बाद आप क्या बोलेगे,
चलो कुछ नयी नयी बातें जानने को मिल..
हम इंतज़ार करेंगे..आप बस सोचने पर ध्यान दीजिए..
चलिए आप जो कह रहे हैं, हम उसे आँख मूंदकर वैसा का वैसा मान लेते हैं...मान लेने में हर्ज भी क्या है!
जवाब देंहटाएंयूँ भी आज तक हम लोग वैज्ञानिक भाईयों(बहन भी हो सकती है)की बातें आँख बन्द के मानते ही तो आ रहे हैं,तो फिर आपकी बात मानने में क्या हर्ज है:)
कोई जबरदस्ती नहीं है जी
जवाब देंहटाएंअच्छा-नहीं बहुत अच्छा लिखा है. व्यंग्य की इस धार को बरकरार रखने की जरूरत है. हालाँकि इस लेख के पात्रों की सेहत पर इन सब से कोई फर्क या परिवर्तन नहीं होने वाला. सबसे अच्छी बात यह है व्यंग्य के साथ जो सेंस ऑफ़ ह्यूमर है ना, उसने बिरयानी पर रायते का काम किया है. बिरयानी की कहावत का प्रयोग इस लिए किया क्योंकि यह इंटरनेशनल डिश है और (विदेशी) आतंकवादियों को परोसने में हमें खुशी का अनुभव होता है.
जवाब देंहटाएंबहुत गज़ब का लिखें है विवेक भाई...आधुनिक रामायण से होते हुए विज्ञान के रहस्य तक बता दिए आपने अपनी इस पोस्ट में...बहुत आनंद आया पढ़कर...लिखते रहो...
जवाब देंहटाएंनीरज
और भी जो जो आप न जानते हों, मानते चलें -सब कुछ मानना ही पड़ा!!
जवाब देंहटाएंलगता है आपकी सोच भी बीडी पीने का ब्रेक ले रही है.
जवाब देंहटाएंमै भी चेतावनी दे ही दूँ.
वैधानिक चेतावनी : बीड़ी पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है ।
याद रखे हानिकारक हो सकता है न कि है.
खैर लक्ष्मन का क्या हुआ वो तो ब्रेक मे ही बता सकते होंगे कि नही?
Dhumrpaan Nishedh.
जवाब देंहटाएंवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
कभी सोचा है विवेक जी आपने जो ग्लोबल वार्मिंग का उल्लेख किया उससे छह या आठ महीने पहले तक किसी ने ग्लोबल वार्मिंग की बात की थी क्या। मेरा प्वाइंट यह है कि इस तथ्य को पीछे छोड़ दिया गया है। अब न ओजोन परत में छेद हो रहा है और न ही धरती गर्म हो रही है। रेफ्रीजरेटर और एसी के मार्केट ने अच्छी गति पकड़ ली है और नई टैक्नोलॉजी हर घर में पहंच चुकी है। अब जब तक इन कंपनियों के पास कोई नया शोध यंत्र नहीं आएगा तब तक न तो धरती गर्म होगी न ओजोन की परत को कुछ नुकसान होगा।
जवाब देंहटाएंरही बात किताब और उसकी समीक्षा की तो ब्रेक के बाद रावण और हनुमान का संवाद सुनने का जी चाह रहा है :)
हम तो पहले ही जान रहे थे की ..सिगरेट की डिब्बी पर महाकाव्य रचने वाले अकेले अपने उड़नतश्तरी जी नहीं है ...और भी कोई न कोई सूरमा होगा ही ...देखिये आज लगे हाथों आप मिल गए न ..सच सच बताइये ..ई सब बीडी के पैकेट पर ही लिखे थे न ..सहेज कर रखे थे ...अमा हम भी कहाँ कहते हैं बीडी सिगरेट खराब चीज है ..बस पीते नहीं है ..सो इत्ता लिख नहीं पाते ..जबरदस्ती है ..बिलकुल है ...ई का जब मन किया सोच लिए ..जब मन किया सो गए ..लगे स्वप्न लोक में घूमने ..बढ़िया है
जवाब देंहटाएंसिद्धार्थ जी की बात भी सही है। बाज़ारवाद जो करा दे वह कम्।
जवाब देंहटाएंआपके साथ ही सिद्धार्थ जी की बात भी अच्छी लगी |
जवाब देंहटाएंगड़बड़ रामायण याद आ रही है -
जवाब देंहटाएंआगे चलहिं बहुरि रघुराई
पाछे लखन बीड़ी सुलगाई!
"चूँकि दशहरा आने वाला है इसलिए वास्तव में यह रामलीला की रिहर्सल ही चल रही है । चिन्ता न करें । "
जवाब देंहटाएंहां जी, चिन्ता की कोई बात नहीं, चिन्तन चल रहा है:)
इस संतराल के करताल के लिए बीड़ी तो दी है पर माचिस नहीं...:)
बीडी ब्रेक ! जिगर बचा के !हा हा !
जवाब देंहटाएं;-)
जवाब देंहटाएंये तो "गडबड घोटाला रामायण " लगती है :-)
- लावण्या
लगता है ये बीडी जिगर से जलाई गयी है.. क्योंकि जिगर मा बड़ी आग है..
जवाब देंहटाएंश्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंलाजवाब पोस्ट् बधाई
जवाब देंहटाएंइतना कुछ लिखने के बाद भी कहते हैं कि आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है.. ई तो वही बात हुई कि लट्ठ लेकर दरवाजे पर खड़े हो जाईये और लाउडस्पीकर पर चिल्लाते रहिये कि आईये-आईये, आपका यहां स्वागत किया जायेगा..
जवाब देंहटाएंये पक्के से फुरसतिया जी की छाया आप पर पड़ गई है.. :)
aapne acchi baat likhi hai.
जवाब देंहटाएंहिन्दीकुंज
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंbidi break ......kya kah rahe hain ?
जवाब देंहटाएंबहुत रहस्यात्मक और चिंतन मिश्रित पोस्ट है
जवाब देंहटाएंबीडी ब्रेक दिलचस्प लगा :)
आज की आवाज
इतना तो सोच भी नहीं सकती मैं ,रामलीला से विज्ञान तक .वाकई बहुत अच्छी पोस्ट :-)
जवाब देंहटाएंबीडी से बीडी जलाते चलो
जवाब देंहटाएंमाचिस का पैसा बचाते चलो
"हमारी टिप्पणी का हमारी विचारधारा से मेल खाना जरूरी नहीं"
धन्यवाद् !
हमें आजकल sms मिल रहे हैं ,'एक electronic gadget इस्तेमाल करें ,जो बीडी या सिगरेट का पर्याय है !'हैना मज़ेदार बात ! इन tele com companies की ...ना जाने किसको नम्बर देते हैं ...और जिन्होंने बीडी -सिगरेट को छुआ नही ,वो मेसेज पते हैं !
जवाब देंहटाएंखैर , आपने अपना आलेख बड़ा मज़ेदार लिखा है ....विडम्बना है...व्यंग है, साथ संजीदगी भी...
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://shama-baagwaanee.blogspot.com
http://lalitlekh.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
अच्छा-नहीं बहुत अच्छा लिखा है. व्यंग्य की इस धार को बरकरार रखने की जरूरत है.
जवाब देंहटाएंविवेक जी
हास्य से सराबोर तीखे व्यंग बाण छोड़ती ,वर्तमान परिद्रश्य की चिंताओं और सामाजिक सरोकारों से ओत प्रोत सम्पूर्ण व्यंग्य रचना के जन्म पर बधाई. जन्म इस लिए कहा कि ऐसा विचार कर के नहीं लिखा जा सकता . जो व्यक्ति अपनी चेतना को समाज व्यापी वनाये रखता है और जीवित मनुष्य की तरह उसमे रहता है जो दुनिया के दर्द का स्पंदन अपने हृदय में निरंतर बहते पाता है उसी की लेखनी को परमात्मा ंऐसे परिपूर्ण सृजन का माध्यम बनाता है
अपने सामाजिक चेतना और सरोकारों को यूँ ही संवेदनशील और जाग्रत बनाये रखे
साधुवाद
बीडी की शान ही अलग है सिगरेट तो अकेलेपन का साथी है लेकिन बीडी मित्रता का प्रतीक है ।
जवाब देंहटाएं