संभव है कि इस ब्लॉग पर लिखी बातें मेरी विचारधारा का प्रतिनिधित्व न करती हों । यहाँ लिखी बातें विभिन्न दृष्टिकोणों से सोचने का परिणाम हैं । कृपया किसी प्रकार का पूर्वाग्रह न रखें ।
शनिवार, जून 13, 2009
स्वप्नलोक में फ़िर स्वागत है !
फ़ेर न पायें जिन्हें पाठ वे,
जल्दी बहुत विसरते हैं .
एक बार फ़िर से बतला दो,
ब्लॉगिंग कैसे करते हैं .
तारतम्य सा टूट गया है,
कोई विषय नहीं मिलता .
कीचड़ है मौजूद अभी भी,
लेकिन कमल नहीं खिलता .
जिस ब्लॉगिंग बिन चैन नहीं था,
उसको छोड़ जिये कैसे ?
परखा स्टेमिना स्वयं ही,
निकल गए इस लत में से .
प्रथम सूत्र यह फ़ुरसतिया का,
पालन हुआ सफ़लता से .
कार्य कठिन था फ़िर भी हमने,
पूरा किया चपलता से .
निपटाये सब काम जरूरी,
अब फ़िर से फ़ुरसत पाई .
चलो गिरा दें सब दीवारें,
और पाट दें सब खाई .
स्वप्नलोक में फ़िर स्वागत है,
सपने फ़िर से देखेंगे .
शायद अब हम जल्दी जल्दी,
यहाँ हाज़िरी दे देंगे ..
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उफ़ कहाँ गए थे vivek भाई..
जवाब देंहटाएंआप हमसे यूँ जुदा हो के..
सपनो का क्या कहें..
नींद चली गई खफा हो के..
आये वापस तो मन किया...
आपके ब्लॉग को गले लगा लूँ मैं..
कल से सपने देखेंगे..
क्या सारे जहां को बता दूं मैं..
विवेक भाई..सिर्फ एक वादा कर दो..अब यूँ न जाओगे रूठ कर...
शायद शब्द हँटा करके हो ब्लागिंग की शुरूआत।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सपने स्वप्न लोक के तभी बनेगी बात।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail
चलिये आप आ गये । तसल्ली हुई । सपने देखने वालों की जरूरत है यहाँ बहुत ।
जवाब देंहटाएंहम भी निरन्तर हाजिरी लगायेंगे । आभार ।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआप चले तो आये पर मेरा मन अब मुरझाता है
जवाब देंहटाएंजाने क्यों मुझे भी जगत यह रास नहीं आता है
सुन्दर। जय हो। बहुत अच्छा। लगे रहो।
जवाब देंहटाएंस्वागत मित्र.
जवाब देंहटाएंरामराम.
wow..
जवाब देंहटाएंnice poem..
mean koi aise vishay per bhi poem likh sakta hai..
mai to soch hi nahi sakti.. :D
u r so creative..so ur poems..
mujhe tukant kavitaye bahut pasant hai..kyonki unko padhne kaa apne ek maza hai..
welcome back.. :)
बहुत बढ़ीया.. मन खुश हो गया...
जवाब देंहटाएंdubara swagat hai..niymit rahen.
जवाब देंहटाएंस्वागत है विवेक जी ! बहुत खुशी हुई आपकी वापसी पर !
जवाब देंहटाएंस्वागत है। अब हम भी स्वपनलोक मे रोज़ हाज़िरी देगे।
जवाब देंहटाएंएक कविता सिर्फ कविता जैसी सुन्दर्
जवाब देंहटाएंफ़ेर न पायें जिन्हें पाठ वे,
जवाब देंहटाएंजल्दी बहुत विसरते हैं .
एक बार फ़िर से बतला दो,
ब्लॉगिंग कैसे करते हैं .
बहुत बढ़िया आपका स्वागत है .
स्वप्नलोक में फ़िर स्वागत है,
जवाब देंहटाएंसपने फ़िर से देखेंगे .
शायद अब हम जल्दी जल्दी,
यहाँ हाज़िरी दे देंगे ..
स्वागत है विवेक जी आपका.............. आप दिल से दूर गयी ही नहीं थे कभी.......
अरे भाई मुझे पता था आप जरुर वापिस आयेगे, क्योकि आज कल इतनी लू जो चल रही है फ़िर टंकी पर गर्मी भी तो खुब लगती होगी.
जवाब देंहटाएंचलिये आप का फ़िर से स्वागत है, अब आईंदा हमारे साथ ही रहे, यह एक परिवार सा बन गया है इस से दुर रह पाना अब कठिन है, लडो झगडो लेकिन रुठॊ नही.
मुझे बहुत खुशी हुयी आप की वापसी की, मेरे मजाक को सिर्फ़ मजाक ही समझना बुरा ना मनाना ऊपर लिखी बातो का.
धन्यवाद
hamaari bhi haaziri...
जवाब देंहटाएंअरे विवेक भाई,
जवाब देंहटाएंकल हममे आपस के कैसी अजीब सी गलतफहमी बन गयी, मिलते-मिलते रह गए. चलो आपकी बात बड़ी हो गयी, हम ही आते हैं जल्दी ही पानीपत.
लागी छूटे ना......:) भई विवेक जी, हमारी ओर से भी स्वागत है।
जवाब देंहटाएंस्वागत है !!
जवाब देंहटाएंलिखो, कम लिखो, मत लिखो पर सदा साथ बने रहो। आपका लौटना हर्षदाई है।
जवाब देंहटाएंआओ प्यारे मित्र!
जवाब देंहटाएंदेर आये दुरस्त आये ।
जवाब देंहटाएंwelcome back Vivek bhai.
जवाब देंहटाएंkhoob achha svaagat ho raha hai....aur kyon naa ho...likhte rahiye
जवाब देंहटाएंपुनर्वापसी का स्वागत है !!!
जवाब देंहटाएंविश्वास हुआ की पुनर्जन्म भी होता है
जवाब देंहटाएंस्वागतम, स्वागतम!
जवाब देंहटाएंkahi kuch kami lag rahi thi blog jagat me aapke bina..... swagat hai
जवाब देंहटाएंआपका भी स्वागत है :)
जवाब देंहटाएंस्वागत कर के फिर गायब हो गये।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
विवेक जी आपने बहुत ही सुंदर कविता लिखा है!
जवाब देंहटाएंपैदल चलना और ब्लागिंग, जो एक बार कर ले, फिर भूल नहीं सकता. वापसी पर कविता के माध्यम से जो कुछ कहा, उसे पढ़कर मन प्रसन्न हो गया.
जवाब देंहटाएंजय हो.