संभव है कि इस ब्लॉग पर लिखी बातें मेरी विचारधारा का प्रतिनिधित्व न करती हों । यहाँ लिखी बातें विभिन्न दृष्टिकोणों से सोचने का परिणाम हैं । कृपया किसी प्रकार का पूर्वाग्रह न रखें ।
गुरुवार, जनवरी 08, 2009
गिनीज बुक में राजू
सच मानिए राजू जब छोटा था तो नित्य राधा के साथ हँसते गाते स्कूल जाता था . और साफ सफाई का भी विशेष ध्यान रखता था . मतलब कुल मिलाकर राजू वाज ए गुड बॉय !
लेकिन किशोरावस्था तक आते आते राजू आवारा हो गया . घराना अनाम हो गया , गंगा किनारे गावँ हो गया . अपना नाम जोकर रख लिया और टीचर से ही नयन मटक्का कर बैठा . पर बेचारा पहले प्यार में ही फेल हुआ . सिर मुडाते ही ओले पडे . एक बार फेल क्या हुआ फिर फेल ही होता गया . पर जैसे रात के बाद दिन आता है वैसे असफलताओं के बाद सफलता भी मिलती है . आखिरकार राजू ने जूही से चक्कर चलाया और सफल होगया . अब राजू जैण्टलमैन बन चुका था . पर भला कोई जैण्टलमैन कभी चैन से रह सका है ? तो राजू भी कुछ दिन बाद सडकों पर गाते सुना गया, " ओए राजू प्यार ना करियो ! डरियो, दिल टूट जाता है ! "
इसके बाद तो जैसे उसका सम्पर्क देश के बाकी हिस्सों से कट गया . राजू मुख्य धारा से हट गया . गुमनामी के कुहरे में छुप गया . लम्बे समय बाद कल राजू फिर नज़र आया तो एक नए ही रूप में , नए धमाके के साथ . उसने आठ हज़ार करोड का धमाका किया था . पर राजू ने अपनी जैण्टलमैन की इमेज को कोई नुकसान नहीं पहुँचने दिया . भई वह अपनी गलती स्वयं मान गया और कानून का सामना करने के लिए तैयार है .
सोचने वाली बात है कि किसी ने कोई अपराध किया और कानून के द्वारा निर्धारित सजा भी भुगत ली तो उसको उसकी गलतियों को भूल जाना चाहिए . जब अपराधी को सजा भुगतने के बाद भी कोई अपराधी कहे तो उसे कितनी ठेस पहुँचती होगी ? शिव शिव ! यह तो ऐसे ही होगया जैसे आप किसी से लोन लो और उसे चुका देने के बाद भी वह आपको तकादा करता रहे .
कुछ लोग तो यह भी कहते सुने गए हैं कि राजू का धमाका अपनी तरह का एक ही है इसलिए इसे गिनीज बुक में जगह मिलनी ही चाहिए .
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राजू का धमाका अपनी तरह का एक ही है इसलिए इसे गिनीज बुक में जगह मिलनी ही चाहिए .
जवाब देंहटाएंबिल्कुल मिलनी चाहिये जी. और मिलनी क्या चाहिये हमने तो सिफ़ारिश भी कर दी. :)
"राजू" को केन्द्रीय पात्र बना कर एक रोचक लेख आपने प्रस्तुत कर दिया. साधुवाद.
जवाब देंहटाएंराजू वाज ए गुड बॉय
जवाब देंहटाएंअब राजू जैण्टलमैन बन चुका था
ओए राजू प्यार ना करियो ! डरियो, दिल टूट जाता है !
हर पंक्ति के 100 नंबर... इसी को तो कहते है धांसु लेखन...
आदियुग से कलियुग तक,
जवाब देंहटाएंपुत्र-मोह,
नारायण, नारायण।
मै 'गिनीज बुक' का सौतेला भाई बोल रहा हूँ. मेरा नाम है ''गिनीज भूख''. 'गिनीज बुक' ने इन्डिया के लिए अब एंट्री बंद कर दी है. हर साल इन्डिया ही बाजी मार ले जायेगी क्या? कभी बोफोर्स, कभी चारा, कभी तेलगी, कभी हवाला, और साल शुरू हुआ की नही, कि बुकिंग शुरू ? इसलिए भाई मै आपके काम का हूँ. मेरे यहाँ सिर्फ़ "भूखे" करोड़ पतियों का नाम दर्ज होगा और नेताओं के लिए अस्सी फीसदी का आरक्षण है. साल के सबसे बड़े "घोटालेश" को "ट्रेन इज लेट मंत्रालय" द्वारा "चारा" सम्मान दिया जाएगा. आईये अपना अपना नाम दर्ज कराइए, कुछ ही सीटें खाली हैं.
जवाब देंहटाएंविवेक जी, नमस्कार
जवाब देंहटाएंभाई, असल में बात ये है कि ये राजू वाजू का चक्कर अभी तक मेरी समझ में नहीं आया है. और सच कहूं तो समझने की कोशिश ही नहीं की है. सुबह अखबार में पढ़ा था.
अन्तत राजू ने सत्य बोला। सत्यम वद, धर्मम चर!
जवाब देंहटाएंसत्यम अशिवम असुन्दरम.........
जवाब देंहटाएंbahut acchi rahi vivek je...bahut mast likha hai......
जवाब देंहटाएंराजू के गिनीज बुक में नाम के लिए एक सिफारिश मेरी भी तरफ से :)
जवाब देंहटाएंहमारी भी वोट राजु को जी ...............
जवाब देंहटाएंregards
हम हर मामले में अमेरिका की नक़ल करते हैं तो इस मामले में क्यों पीछे रहते! राजू ने देश का नाम रौशन किया है :-)
जवाब देंहटाएंराजू मेरा घराने का नाम
जवाब देंहटाएंकहती है गंगा
जहाँ मेरा धाम
क्या बात है विवेक जी
जमाये रहिये जी
ठीक है चलने दो ....
राजु अकेला नहीं हो सकता.. बहुत सयाने होगें.. कितनी आसानी से ७००० करोड़ पचा गये.. मेरे ख्याल से तो गिनिज बुक ओफ फ्रोड़ बननी चहिये.. राजु से शुरू करें.. अंत की जरुरत तो पडे़गी नहीं...
जवाब देंहटाएंअभी आगे आगे देखिये होता है क्या ?
जवाब देंहटाएंघोटाले बाजों के लिए तो एक अलग से गिनीज बुक होनी चाहिए !
जवाब देंहटाएंओय राजु...घोटाला करियो न डरियो
जवाब देंहटाएंraju ke paas koi chaara hi nahi tha gentleman banne ke alawa.. chori ke bhi kuch usool hote hain..
जवाब देंहटाएंlekh kaafi rochak laga..raju ki saari generations aapas mein jod di!!
मज़ा आ गया राजू-गाथा सुनकर. सूना है मंदी के दिनों में दाऊद इब्राहीम का धंधा भी काफी मंदा चल रहा है. बन्दों को टपकाने का रेत भी काफी कम हो गया है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर राजू!
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