शीत तुझे जाना ही होगा
आज समय की यही माँग है
बसंत को लाना ही होगा
शीत तुझे जाना ही होगा
खुश होकर जा या कि रूठकर
चाहे रो ले फूट फूटकर
साथ रहेगा किन्तु छूटकर
विरह गीत गाना ही होगा
शीत तुझे जाना ही होगा
कुहरा, पाला, सर्द हवाएं
जुकाम, खाँसी, और दवाएं
कितना ही चीखे चिल्लाएं
इनको विष खाना ही होगा
शीत तुझे जाना ही होगा
आया पहन शरद का मुखड़ा
लेकिन मुझे ठण्ड में जकड़ा
और कहाँ तक रोऊँ दुखड़ा
छुटकारा पाना ही होगा
शीत तुझे जाना ही होगा
तूने घमण्ड ऐसा ओढ़ा
वृक्षों को भी तो ना छोड़ा
मार उन्हें पतझड़ का कोड़ा
तुझको पछताना ही होगा
शीत तुझे जाना ही होगा
छुप जा बसंत आते होंगे'
सब सुख मेरे माथे होंगे
बच्चे हँसते गाते होंगे
सबको मुस्काना ही होगा
शीत तुझे जाना ही होगा
शीत भी जायेगी, जब बसंत का समय आयेगा।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया।
कुहरा, पाला, सर्द हवाएं
जवाब देंहटाएंजुकाम, खाँसी, और दवाएं
कितना ही चीखे चिल्लाएं
इनको विष खाना ही होगा
शीत तुझे जाना ही होगा..
बहुत बढियां.
कुहरा, पाला, सर्द हवाएं
जवाब देंहटाएंजुकाम, खाँसी, और दवाएं
कितना ही चीखे चिल्लाएं
इनको विष खाना ही होगा
शीत तुझे जाना ही होगा.
लगता है इस बार की ठंड ने सब को ही बहुत विचलित कर दिया है तभी तो हार कर आपको ये कविता लिखनी पडी कविता सुन कर तो बडे बडे भाग खडे होते हैं फिर इस सर्दी की क्या मज़ाल। शुभकामनायें
जल्दी भेजिये.
जवाब देंहटाएंअब तो सचमुच जाये यह दुष्टा ... ....
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी आ रही है ..शुभकामनायें ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना, लेकिन कुदरत तो अपनी रफ़तार ही चलेगी
जवाब देंहटाएंजाना चाहिए ही इस शीत को ! हम तो घबरा गये इससे!
जवाब देंहटाएंचिल्ला जाडा दिन चालीस पूस पन्द्र्ह माह पच्चीस .
जवाब देंहटाएंबसन्त से ज्यादा शीत महत्वपूर्ण है आज जाकर खेतो मे देखे गेंहू कितना अच्छा बड रहा है . हम अधीर हो गये है हमे ज्यादा बर्दाश्त नही होता