सोमवार, जनवरी 18, 2010

शीत तुझे जाना ही होगा


शीत तुझे जाना ही होगा

आज समय की यही माँग है
बसंत को लाना ही होगा
शीत तुझे जाना ही होगा

खुश होकर जा या कि रूठकर
चाहे रो ले फूट फूटकर
साथ रहेगा किन्तु छूटकर
विरह गीत गाना ही होगा
शीत तुझे जाना ही होगा

कुहरा, पाला, सर्द हवाएं
जुकाम, खाँसी, और दवाएं
कितना ही चीखे चिल्लाएं
इनको विष खाना ही होगा
शीत तुझे जाना ही होगा


आया पहन शरद का मुखड़ा
लेकिन मुझे ठण्ड में जकड़ा
और कहाँ तक रोऊँ दुखड़ा
छुटकारा पाना ही होगा
शीत तुझे जाना ही होगा


तूने घमण्ड ऐसा ओढ़ा
वृक्षों को भी तो ना छोड़ा
मार उन्हें पतझड़ का कोड़ा
तुझको पछताना ही होगा
शीत तुझे जाना ही होगा

छुप जा बसंत आते होंगे'
सब सुख मेरे माथे होंगे
बच्चे हँसते गाते होंगे
सबको मुस्काना ही होगा
शीत तुझे जाना ही होगा

9 टिप्‍पणियां:

  1. शीत भी जायेगी, जब बसंत का समय आयेगा।

    बहुत बढ़िया।

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  2. कुहरा, पाला, सर्द हवाएं
    जुकाम, खाँसी, और दवाएं
    कितना ही चीखे चिल्लाएं
    इनको विष खाना ही होगा
    शीत तुझे जाना ही होगा..
    बहुत बढियां.

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  3. कुहरा, पाला, सर्द हवाएं
    जुकाम, खाँसी, और दवाएं
    कितना ही चीखे चिल्लाएं
    इनको विष खाना ही होगा
    शीत तुझे जाना ही होगा.
    लगता है इस बार की ठंड ने सब को ही बहुत विचलित कर दिया है तभी तो हार कर आपको ये कविता लिखनी पडी कविता सुन कर तो बडे बडे भाग खडे होते हैं फिर इस सर्दी की क्या मज़ाल। शुभकामनायें

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  4. अब तो सचमुच जाये यह दुष्टा ... ....

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  5. बसंत पंचमी आ रही है ..शुभकामनायें ।

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  6. बहुत सुंदर रचना, लेकिन कुदरत तो अपनी रफ़तार ही चलेगी

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  7. जाना चाहिए ही इस शीत को ! हम तो घबरा गये इससे!

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  8. चिल्ला जाडा दिन चालीस पूस पन्द्र्ह माह पच्चीस .
    बसन्त से ज्यादा शीत महत्वपूर्ण है आज जाकर खेतो मे देखे गेंहू कितना अच्छा बड रहा है . हम अधीर हो गये है हमे ज्यादा बर्दाश्त नही होता

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