रविवार, सितंबर 12, 2010

जनता के सेवक

इस कलयुग में जनसेवा का अवसर बड़े भाग्यवान लोगों को मिलता है । जनता के नखरे ही निराले हैं । नेता बेचारे सेवा का पुण्य पाने को तरसते रहते हैं । जनता देवी हैं कि किसी एक सेवक की सेवा से इनको संतुष्टि ही मिलती । माना कि एक सेवक से सेवा कराते कराते थोड़ी बोरियत होने लगती होगी । लेकिन कुछ तो सही गलत का विचार करना चाहिए । ऐसा भी क्या हुआ कि आप सबको एक ही साथ बुला भेजती हो । कम से कम पाँच पाँच साल तो एक सेवक को मौका मिलना चाहिए कि नहीं । लेकिन जनता देवी को तो सबकी सेवा चाहिए । शायद इन्हें खण्डित जनादेश देकर सब सेवकों को आपस में सेवा के लिए झगड़ते देखकर अपने पर गर्व करने में थोड़ी और आसानी होती होगी ।
बेचारे सेवक अभी चुनाव की थकान भी उतार पाते कि फिर से अपने प्रतिद्वन्दी सेवकों से लड़ना पड़ता है । ऐसे लड़ झगड़कर मान लो सेवा का आधिकार हासिल कर भी लिया तो क्या उतनी अच्छी तरह जनता देवी की सेवा कर पाएंगे जितनी फ्रेश मूड में होने पर कर पाते ।
चतुर व्यक्ति वही है जो दूसरों की गलतियों से ही सीख ले । ऐसे ही आजकल के जन सेवक हैं । इन्होंने अपने पूर्ववर्तियों को लड़ाई झगड़े के कारण नुकसान उठाते देखा है इसलिए ये उस गलती को दोहराना नहीं चाहते । मिल बैठकर सेवा अधिकार को बाँट लेते हैं । जनता देवी ठगी सी रह जाती है । और ये उसकी खूब सेवा कर जाते हैं ।

समझ नहीं आता इन्हें जनता के सेवक कहें या नाथ ?

चलते-चलते

अवसर फिर से लग गया, जनसेवा का हाथ
अनाथ जनता को इधर, नया मिल गया नाथ
नया मिल गया नाथ, भाग्य सोये जागे हैं
होन लगे शुभ शकुन, अपशकुन सब भागे हैं
विवेक सिंह यों कहें, बनी है बढ़िया जोड़ी
खड़े हुए हैं साथ आज फिर अन्धे-कोढ़ी

7 टिप्‍पणियां:

  1. वोट उसे दो जिस ने अपने वादे पुरे किये हो , हमे आपस मै लडने से इन लोगो को ही लाभ मिलता है,ओर जनता देवी इन की दासी बन जाती है

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  2. जो जनता अपने अधिकारों के प्रति जागरूक न हो,उसका यही हश्र होता है।

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  3. विवेक सिंह यों कहें, बनी है बढ़िया जोड़ी
    खड़े हुए हैं साथ आज फिर अन्धे-कोढ़ी
    बिलकुल सही कहा। मेरा भारत महान।

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  4. .
    कोढ़ी नेताओं के पीछे अन्धी जनता जो खड़ी रहती है ।

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  5. सार्थक और सराहनीय प्रस्तुती ,लेकिन इसमें दोष सिर्फ जनता का नहीं बल्कि कुछ गद्दार टाइप कुकर्मी उद्योगपतियों के तिकरम का भी है ...जो इस देश और समाज को लूटकर दुनिया के सबसे ज्यादा अमीरों की श्रेणी में शामिल हो रहें और देश भूखमरी की श्रेणी में ....

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