मंगलवार, मार्च 16, 2010

उदास मत हो ब्लॉगिंग

प्रिय ब्लॉगिंग,
आशा है तुम मज़े में होगी । मैं भी मजे में हूँ । अब यह न पूछना कि मैं तुमसे दूर रहकर भी मजे में कैसे रह रहा हूँ जबकि तुम तो मेरे बिना अधूरी अधूरी सी फील करती हो । वैसे अगर तुम ऐसा पूछ भी लो तो भी मेरे ऊपर कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला क्योंकि मुझे तुम्हारा वह प्रश्न निहायत ही औपचारिक लगने वाला है ।
मुझे अच्छी तरह याद है कि जब तुमसे पहली बार मुलाकात हुई थी तो मैं तुम्हें अच्छी तरह जानता भी न था । किन्तु कुछ ही दिनों में हालात ऐसे हो गए कि मुझे तुम्हारे सिवाय कोई दूसरा नज़र ही न आता था । तुमने मेरा परिचय आभासी दुनिया के ऐसे ऐसे पात्रों से कराया जिनके सम्पर्क में रहकर मैं रोमांचित हुए बिना न रह सका । ऐसे ऐसे अनुभव इस दुनिया में हुए जो वास्तविक जीवन में शायद संभव न थे । मेरा ज्ञान बढ़ा ।
जैसा कि शास्त्रों में कहा गया है कि अति किसी भी चीज की बुरी होती है । यह कहावत तुम्हारे विषय में भी सटीक बैठी । जल्दी ही मुझे महसूस होने लगा कि मैं वास्तविक दुनिया से कटता जा रहा हूँ । संयोगवश मैं तुमसे मिलने से पूर्व ही इंजीनियरिंग करने के लिए The Institution of Engineers(India) के सम्पर्क में आ चुका था । और वह मेरी रोजी रोटी से जुड़ा सवाल था । मेरे समय और रुचि की जब अध्ययन के लिए अतिआवश्यकता थी तब तुमने भी बड़ी चालाकी से इन दोंनो चीजों को अपने कब्जे में कर लिया और मुझे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया । बच्चों के पढ़ाने की ओर ध्यान देना तो बहुत दूर की बात हो गयी थी ।
लेकिन जो होता है अच्छे के लिए होता है यह कहावत भी सटीक निकली । मानो मेरी तुमसे मुलाकात ही भले के लिए हुई थी । मैंने तुम्हारे और अपने बीच से इंजीनियरिंग को शीघ्रातिशीघ्र हटाने के लिए कमर कस ली । तुम्हारे प्यार में मैंने ने AMIE(Associate Member of Institution of Engineers) नाम की यह बाधा महज दो साल में ही पार कर ली । हालांकि इसके लिए कुछ समय के लिए मुझे तुमसे ज़ुदा भी होना पड़ा । जिसे तुम्हारे आभासी पात्रों ने टंकी पर चढ़ना बताया ।
यह सब ठीक उसी तरह हुआ जैसे किसी लड़की को चाहने वाले लड़के के सामने लड़की का पिता उच्च शिक्षा हासिलकरने की शर्त रख दे । किन्तु असल में लड़की का पिता यही सोचता है कि इस अवधि में यह बेमेल प्यार नाम की चीज हवा में वाष्पीकृत हो जायेगी । फिल्मों में तो हालांकि ऐसा नहीं होता लेकिन मेरे साथ यही हुआ ।
अब जब कल मेरा परीक्षा परिणाम घोषित हो गया है । मैं पास हो गया हूँ , और मेरे पास समय काफी है । ऐसे में मेरा तुम्हारे लिए वह प्यार कहीं ढूँढ़े नहीं मिल रहा है ।
फिर भी तुम्हें धन्यवाद पाने का हक तो है ही । धन्यवाद ब्लॉगिंग ।
अरे अरे तुम्हारा चेहरा क्यों लटक गया ? मैं कहीं तुमसे दूर थोड़े ही हूँ । हम अच्छे दोस्त तो बने रह ही सकते हैं न । इसी बहाने तुम्हारे पास आना-जाना लगा रहेगा । क्या पता कल को तुमसे फिर प्रेम हो जाये । ऐसी क्या बात है !

22 टिप्‍पणियां:

  1. खत किताबत जारी रहे. आप जहाँ है मजे से रहें. बाकी सब ठीक है

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  2. blog ke binaabhee umra kaat lenge aap kintu
    kahee to adhooree jindgaanee rah jaayegee
    yaani rah jaayege ena man mai umang naa hee lekhan mai dilkash ravaanee rah jaayegee
    dosto ke blog par hee na teepiye huzoor, achchha likhe us par bhee nazre to ghumaaiye
    kisee ek ko nishaanaa mat he banaao prabhu, lekhane kee dhaar yoo to kund ho jaayegee


    nar maadaa mai bhee mat baantiyegaa blogar ko
    duniyaa haseen aise gandee ho jaayegee
    ek tukka maraa hai

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  3. विवेक भाई,

    बहुत बहुत बधाई और करियर के लिए शुभकामनाएं...

    रही ब्लॉगिंग, वो तो बेचारी गा रही है...

    अभी तुमको मेरी ज़रूरत नहीं,
    बहुत चाहने वाले मिल जाएंगे,
    जवानी जब दर्पण से मुंह चुराने लगे,
    तब तुम मेरे पास आना प्रिय,
    मेरा दर खुला है, खुला ही रहेगा,
    तु्म्हारे लिए...

    जय हिंद...

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  4. तो... आप मतलबी आशिक निकले,
    बस अपना ही दिल बहलाया, कईयों के दिल से खेला, कुछ का जोड़ा..
    पर इस तरह परमानेन्टली दिल तोड़ने की बात तो न कीजिये ।
    आख़िर मेरी कोख में आपके पोस्ट-रूपी बच्चे हैं, इन्हें कौन देखेगा ।
    क्या इंज़ीनियर लोग पढ़ने लिखने का शौक भूल जाते हैं ?
    मुझे आपका धन्यवाद न चाहिये, जब भी आप अकेले होंगे, मैं आपको परेशान किया करूँगी.. हाँ नहीं तो !
    बड़े आये मुझसे दूर जाने वाले.. आपकी ब्लॉगिंग !

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  5. बधाई हो जी :)
    आप कवि , कार्टूनिस्ट , ब्लोगर आदि के साथ आब इंजिनियर भी हो लिए |
    हार्दिक शुभकामनाएँ

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  6. यह अंदाज़ भी खूब है विवेक जी.
    'ब्लॉग्गिंग' की शिकायत है कि आप ने उसको लिखा पत्र सार्वजनिक कर दिया !
    बेचारी ! वो तो अहिल्या की तरह पत्थर बनी हुई है[पाषाण की शिला].फ़र्क यही है कि आज इस' पत्थर 'का उपयोग इस हाथ /उस हाथ -
    इस पर /उस पर प्रहारों के लिए किया जा रहा है.

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  7. अब, ब्लॉगिंग को शुभकामनाएँ :-)

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  8. आपकी ब्लोगिंग की भावनाए तो गुरुवर अमर कुमार जी ने ही बयां कर दी,, अब हम क्या कहे..
    पर हाँ आपको पास होने के लिए तार नंबर सात दे सकते है..

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  9. बहुत बहुत बधाई हो विवेक भाई ये वाला आईडिया पहले बताते तो हम भी ट्राई कर लेते मगर अब तो फ़्रेंड्स बोल कर चेंज भी नही कर पा रहे हैं गले तक़ डूब गये हैं इसके प्यार मे दरअसल ये हमारा पहला और बुढापे का प्यार है ना। हा हा हा हा हा,चलो दोस्ती के बहाने ही सही इससे रिश्ता तो बनाये रखोगे।एक बार फ़िर बधाई।

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  10. बहुत-बहुत बधाई के साथ शुभकामनायें ।

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  11. bahut bahut badhayi..........vaise khushdeep ji ne kah to diya hai.

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  12. @ khushdeep

    Gone are the days when she used to sing like that. now she sings something like...."Ja ja ja re, tujhe hum jaan gaye, kitne paani mein ho, pehchaan gaye..."

    @ Dr. Amar

    Hope he won't suggest her to go for abortion.

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