तनिक तो देखो बुश की ओर ।
करो उन पर अन्याय न घोर ॥
देशहित जिसमें आया नज़र ।
न छोडी उसमें कोई कसर ॥
देश हो दुनिया का सिरमौर ।
किये बस वही उपाय कठोर ॥
मान लो चाहे उनको फेल ।
न था पर मन में कोई मैल ॥
शत्रु का जीना किया मुहाल ।
लिया था बिल से उसे निकाल ॥
कभी आने वाला इतिहास ।
करेगा शायद यह आभास ॥
सही थे बुश के सारे काम ।
स्वयं को करके भी बदनाम ॥
राष्ट्र को रखा सदा आश्वस्त ।
स्वयं जूते खाकर भी मस्त !!
आप बुश के प्रशंसक कबसे हो गए भाई? चलिए यह भी अच्छा है|जुटे खाकर मस्त रहना सही में जबरदस्त चीज है| खासकर मन में गुस्सा पर जुबान पर दिखाना!!
जवाब देंहटाएंसही थे बुश के सारे काम ।
जवाब देंहटाएंस्वयं को करके भी बदनाम ॥
राष्ट्र को रखा सदा आश्वस्त ।
स्वयं जूते खाकर भी मस्त !!
प्रेषक: विवेक सिंह
जय हो सन्तो की. रामराम.
aapne kavita to acchi likhi hai,bush ke baare me ,aapka vyang bahut hi jabardast hai, wah
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा जोरदार रचना ......
जवाब देंहटाएंभाई, बहुत अच्छा लिखा है। बुश को चाहे किसी भी फ्रंट पर पास या फेल करार दिया जाए, उनकी राष्ट्रनिष्ठा पर सवाल नहीं उठा सकते।
जवाब देंहटाएंबहुत सही लिखा है....
जवाब देंहटाएंbahut khuub!
जवाब देंहटाएंbaat to sahi kahi aapne....
जवाब देंहटाएंस्वयं जूते खाकर भी मस्त !! :-)
जवाब देंहटाएंlage raho...
जवाब देंहटाएं---आपका हार्दिक स्वागत है
गुलाबी कोंपलें
इसमें हा हा हा नही,
जवाब देंहटाएंआपने सही कहा, व्यक्ति महात्वाकांक्षाओं में सब भूल जाता है रिस्ते भी नाते भी और सबसे प्यार भी। और फिर शुरू कर देता है बुराई
जय हो, जय हो!
जवाब देंहटाएंसमय बलवान है। कुछ महीने बाद ओबामा गलतियां करेंगे तो बुश की याद आयेगी। आपने पहले ही याद कर ली।
जवाब देंहटाएंबुश के प्रति आपकी संवेदना की कद्र करता हूं.
जवाब देंहटाएंन्यूक्लियर डील के लिये बुश और मनमोहन- दो ही न याद किये जायेंगे.
सारी व्यक्तिगत खुन्नस निकालने के बाद भी उस शख्स के कार्य देशहित में कहलायें -तब तो वाकई जय हो!!
जवाब देंहटाएंअब कौन करेगा आतंकियों को त्रस्त ?
जवाब देंहटाएंसभी दिख रहे ओबामा में मस्त !
मैं भी हूँ आप ही जैसा बुश परस्त !
बुश ने अपनी जिद के चलते ये मुकाम हासिल किया. फ़िर भी थोडी बहुत सहानुभूति तो होनी चाहिए उनसे.. जो किया अमेरिकांस की भले के लिए ही सोचकर.. कविता सही वक़्त पर सही शब्दों में प्रस्तुत की गई है..
जवाब देंहटाएंसही थे बुश के सारे काम ।
जवाब देंहटाएंस्वयं को करके भी बदनाम ॥
राष्ट्र को रखा सदा आश्वस्त ।
स्वयं जूते खाकर भी मस्त
"" जूतों की माया है......"
Regards
वाह! वाह! आपने अच्छा लिखा.
जवाब देंहटाएंरचना सुंदर है. आपने कविता के माध्यम से बिल्कुल खरी बात कही है.
आपको साधुवाद.
कभी मेरे ब्लॉग पर पधारें. पता है:
www.shiv-gyan.blogspot.com
ये क्या हुआ आपको? 'सही थे बुश के सारे काम'???
जवाब देंहटाएंआम अमरीकियों को सारी दुनिया की घ्रणा का पात्र बना कर और हर पल
हर जगह किसी न किसी आतंकवादी हमले की दहशत में जीने को मजबूर करने वाले बुश(अमेरिकी साम्राज्यवाद) का ऐसा गुणगान। शान्ति का अगला नोबेल पुरस्कार तो तय समझिये अपने लिये।:)यदि आपने यह सब व्यंग मे कहा है तो ऐसी कठोर टिप्पणी के लिये क्षमा प्रार्थी हूं।
जूते खाकर भी मस्त...
जवाब देंहटाएंजय जुतों की!!
जूते खाकर भी मस्त...
जवाब देंहटाएंनही भैय्या उनकी बीवी से तो पूछ लो ..
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंवाहवा विवेक भाई बधाई स्वीकारें...
जवाब देंहटाएंवाह! वाह! आपने अच्छा लिखा.
जवाब देंहटाएंरचना सुंदर है. आपने कविता के माध्यम से बिल्कुल खरी बात कही है.
आपको साधुवाद.
कभी मेरे ब्लॉग पर पधारें. पता है:
www.kushkikalam.blogspot.com
सही थे बुश के सारे काम ।
जवाब देंहटाएंस्वयं को करके भी बदनाम ॥
राष्ट्र को रखा सदा आश्वस्त ।
स्वयं जूते खाकर भी मस्त !!
bahut dhar he sahab shabdoan me
bahut khub
वाह विवेक भाई वाह,
जवाब देंहटाएंकहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना
बुश के बहाने दिल्ली पे जूता ताना
जय हो वाह विवेक भाई वाह,
कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना
बुश के बहाने दिल्ली पे जूता ताना
जय हो वाह विवेक भाई वाह,
कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना
बुश के बहाने दिल्ली पे जूता ताना
जय हो