हड़प्पा मोहनजोदड़ो के बारे में हमने पढ़ा है । आपने भी पढ़ा होगा । वहाँ खुदाई में पूरी की पूरी सभ्यता मिली है । यह पूरी सभ्यता कैसे मिट्टी में दब गयी ? हम नहीं जानते । शायद इसे दबने में बहुत लम्बा समय लगा होगा । किन्तु आजकल अनुभव हो रहा है कि हमारी आधुनिक सभ्यता भी जैसे मिट्टी में दबती जा रही है । यह दिखायी भी दे रहा है । आज से दस साल पहले जिन घरों को जमीन के स्तर से ऊपर बनते देखा था, आज उन्हीं को नीचे जाते देख रहे हैं । मथुरा में देखते हैं कि जहाँ सड़क के ऊपर रेलवे का पुल बना है वह जगह बाकी सड़क से बहुत नीची रह गयी है ।
घरों को ऊपर उठाया जा रहा है । इस क्षेत्र में विशेषज्ञ लोग भी अपनी सेवाएं देने लगे हैं । ये पूरे मकान को जैक लगाकर ऊपर उठा देते हैं ।
पूरे के पूरे गावं नीचे पड़ गये हैं । सड़क पर पानी भरने लगे तो इसका सीधा सा समाधान दिखाई देता है कि उसे ऊँचा उठा दिया जाय । गावों की तो बात ही छोड़िए हमारे अधिकतर शहरों में भी जल निकास की उचित व्यवस्था नहीं हैं । जहाँ नदी है वहाँ नदी में इसे बहा दिया जाता है । अन्य जगहों पर इसे गंदे तालाब में जमा किया जाता है । इतने पर भी सड़कों पर पानी जमा होता मिल ही जाता है । कभी कभी हादसे भी होते रहते हैं ।
सड़कों को ऊपर ऊठाकर घरों को नीचा करने की बजाय जल निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ।
ये तो घणी समझदारी वाली बात कर दी! वाह!
जवाब देंहटाएंविचारणीय मुद्दे पर अच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंयह भी एक गंभीर समस्या है |
जवाब देंहटाएंलास्ट में जय हिंद की कमी रह गई..
जवाब देंहटाएंहै कहां साहब आजकल?
मेरे गाँव का घर जिस जमीन पर है उसपर मेरे होश में ही करीब बीस फिट मिट्टी भरी गयी है। हर साल कुछ ऊँचा कराना पड़ता है क्योंकि पड़ोसी लोग भी अपनी जमीन में पानी जमा होने से रोकने के लिए अपना दुआर ऊँचा कर लेते हैं। जल निकासी की समुचित व्यवस्था का न होना इसके पीछे प्रमुख कारक है।
जवाब देंहटाएंबरोबर बोलतोय तुमि विवेक भाऊ।
जवाब देंहटाएंऐसे ही जैक वाले विशेषज्ञों की ज्यादा जरुरत है हर जगह।
जवाब देंहटाएंati sundar
जवाब देंहटाएंek nai shaili dee aapane
विवेक जी,
जवाब देंहटाएंआज तो थारा फोटू सुथरा सा लग रहा है.
और बात भी सुथरी लिखी है.
हर चीज में जैक चलता है आज कल. बाकी आपसे बिल्कुल सहमत नहीं. मजा तब है कि एक छोटी समस्या को उससे बड़ी समस्या खड़ी कर तरलीकृत कर दिया जाये.
जवाब देंहटाएंSahi kaha aapne...
जवाब देंहटाएंइतनी बडी समस्या पर आज शायद पहली बार कुछ अच्छा पढा है। सही विचार है शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंकहाँ हो आजकल , लिखना नियमित नहीं है ?
जवाब देंहटाएंघरो को नीचे जाते देख यह चिंता मुझे भी होती है ।
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