मंगलवार, सितंबर 22, 2009

जानिये 108 और 786 के बारे में

108

आपने बड़े बड़े संत महात्माओं और पूज्यनीय व्यक्तित्वों के नाम के पहले 'श्री-श्री १०८ श्री' जैसे विभूषण अवश्य देखे होंगे । क्या आपको पता है यह संख्या १०८ का क्या महत्व है । यदि पता है तो हमें बताया क्यों नहीं ? और यदि नहीं पता है तो अब जान लीजिये :

असल में हिन्दी वर्णमाला के सभी अक्षरों को यदि क्रमानुसार अंक दिये जाएं तो । 'ब्रह्म' शब्द के सभी अक्षरों से संबंधित अंकों का योग करने पर १०८ बनता है । यही कारण है कि हिन्दू धर्म में इस संख्या को पवित्र माना गया है ।

'सीताराम' शब्द के अक्षरों से संबंधित अंकों का योग करने पर भी १०८ की संख्या ही मिलती है । इस प्रणाली से किसी शब्द से संबंधित संख्या प्राप्त करने के लिए । वर्णमाला के स्वर और व्यंजनों को अलग अलग अंक दिये जाते हैं ।

ब्रह्म = ब + र + ह + म = 23 + 27 + 33 + 25 = 108

सीताराम = स + ई + त + आ + र + आ + म = 32 + 4 + 16 + 2 + 27 + 2 + 25 = 108

786

यही कहानी संख्या 786 के पीछे भी है । 786 की संख्या को इस्लाम धर्म में पवित्र समझा जाता है । आमतौर पर अधिकांश मुस्लिम इस संख्या से किसी न किसी तरह जुड़े रहना चाहते हैं ।

पवित्र कुरआन की शुरुआत होती है ' बिस्मिलाह-उर रहमान-उर रहीम' से जिसका अर्थ होता है ' आरम्भ उस ईश्वर के नाम पर किया जाता है जो अनुग्रही और दयालु है' । इसी 'बिस्मिलाह-उर रहमान-उर रहीम' को अरबी लिपि में लिखने पर यदि इसके सभी अक्षरों से संबंधित अंकों का योग किया जाय तो 786 की संख्या मिलती है । इस प्रणाली में अक्षरों को अंक विशेष पद्यति से दिये जाते हैं जिसमें 10 के बाद 100 , 200, 300,......... आदि आते हैं और 900 के बाद 1000, 2000, 3000,... आदि आते हैं ।

विभागीय सूचना :श्री श्री १०८ श्री समीर लाल 'समीर' उर्फ़ बाबा समीरानंद जी 'उड़न तश्तरी वाले' स्वप्नलोक पर टिप्पणियों का शतक लगाने में सफल हुए हैं . उन्हें कम्पनी की ओर से बहुत बहुत बधाइयाँ .

31 टिप्‍पणियां:

  1. bahut badhiya ..kabhi kabhi sochata tha kuch khas to hai hi in number ka matlab aaj aapne bata di...bahut achchi jaankari..abhar..

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  2. यह गणित मात्र से बना संयोग है. किसी भी ग्रन्थ में चाहे वो वेद हों या कुर-आन इसका कहीं भी उल्लेख नहीं मिलता.

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  3. अब समझा असलियत. बहुत अच्छी जानकारी

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  4. यह जो संख्याएं(108) बतायीं हैं, वे तो देवनागरी वर्णमाला के अनुसार हैं. यह वर्णमाला तो ९ वीं शताब्दी के बाद ही अस्तित्व में आयीं थीं. हमारी प्राचीनतम लिपि तो कुछ और ही थी. श्री श्री १००८ का भी उल्लेख देखने मिला है. पुराने जैनियों के मंदिरों में भी लिखा मिलता है फलाना फलाना श्री श्री १००८ अतिशय क्षेत्र. कृपया ज्ञान वर्धन करें.

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  5. आभार इस रोचक जानकारी के लिए,

    regards

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  6. हम तो P.N. Subramanian के संग है जी.
    धन्यवाद

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  7. अच्छी जानकारी। पर साथ ही हम यह भी बता दें कि हम जहां रहते हैं वहा १०८ डायल करने पर एम्बूलेन्स आ जाती है:)

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  8. आभार ज्ञानवर्धन का.


    कम्पनी को आभार. :)

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  9. रोचक और ज्ञान वर्धक जानकारी...
    नीरज

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  10. जे अंको की कारगुजारी भाई आज पता लगी. बहुत बढ़िया जानकारी थोडा ज्ञान बढा .

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  11. जो भी हो आज कंपनी की और से जानकारी बहुत ज्ञान वर्धक मिली है |

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  12. ज्ञान देने के लिये आपका अतिशय आभार, हमको आज ये प्रथम बार मालूम हुआ. बहुत शुभकामनाएं. आगे भी ज्ञान प्रदान करते रहें.

    रामराम.

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  13. वाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने! आपके पोस्ट के दौरान अच्छी, महत्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त हुई!

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  14. यह एक संयोग है, सच्चाई नहीं. फिर भी रोचक तो है ही.

    भगवान की माला जपते है उसे नवकरवाली भी कहा जाता है. हथेली यानी पंजा या कर में चार उँगलियाँ होती है और हर उँगली के तीन हिस्से. अंगुठे की सहायता से गिनती की जाती है. अगर नौ बार चक्कर पूरा करें तो 108 होते है.

    वैसे 108 का कोई और ही फँडा है.

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  15. सही है.. वैसे बरहम और ब्रह्म एक होता है क्या?

    कुछ लोग १००८ भी लिखते है.. उसका क्या?

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  16. vivek bhai,
    bahut achchhi jaankari di iske liye badhai!!
    apko ek aur jaan kaari deta hoon .

    vivek bhai,
    jyotish ke anusar brahmand mein 27 nakshatras hote hain. 27 nakshatron mein har nakshatr ke chaar bhag hote hain yani 27*4= 108 yani samoorn brahmand.

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  17. बबलीजी की टिप्पणी से सहमति!
    समीरलाल जी को बधाई!

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  18. मुझे तो इस बात पर आश्चर्य लग रहा है आखिर मुझ पर ऐसा घिनौना इल्ज़ाम क्यूँ लगाया गया? मैं भला अपना नाम बदलकर किसी और नाम से क्यूँ टिपण्णी देने लगूं? खैर जब मैंने कुछ ग़लत किया ही नहीं तो फिर इस बारे में और बात न ही करूँ तो बेहतर है! आप लोगों का प्यार, विश्वास और आशीर्वाद सदा बना रहे यही चाहती हूँ!

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  19. mujhe bahut achchha laga kyoki iske baare me maine pehle kabhi nahi suna tha or ab jankar mujhe bahut khushi ho rahi hai ki maine iske bare me jaan liya hai. bus aap esi tarah kuch gyan ki chiz batate rahe.

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