तहाँ तहाँ ते आ दाते हैं
तलते थेद उती थाली में
दितमें में लथ थाना थाते हैं
तहाँ तहाँ ते आ दाते हैं
तलते बत अपनी मनमानी
औलों ती बातें बेमानी
बत ये ही तो बते हैं द्यानी
अपनी बात तहे दाते हैं
तहाँ तहाँ ते आ दाते हैं
विनम्लता ते बैल पुलाना
दो दी में आये तह दाना
इधल लदाना उधल बुदाना
त्वतल्तव्य तलते दाते हैं
तहाँ तहाँ ते आ दाते हैं
औलों तो इमोतनल तलते
त्वयं उदाती ते भी दलते
अत्तहास ते तान ततलते
बात बात पल मुतताते हैं
तहाँ तहाँ ते आ दाते हैं
अपना पतधल लोत न पाये
नदल हमाली ओल धुमाये
बतन्त देथा तो ललताये
ये तब त्या अत्थी बातें हैं ?
तहाँ तहाँ ते आ दाते हैं
बैथे इलाहाबाद में दातल
बोले थूब दोत में आतल
हुतैन हम ना हुए वहाँ पल
दहाँ बैथ तब बतियाते हैं
तहाँ तहाँ ते आ दाते हैं !
बैथे इलाहाबाद में दातल
जवाब देंहटाएंबोले थूब दोत में आतल
उधल जोलदाल चल्चा चल लही है भ्राता:)
निथ्त्तु है,ताम होता तो तलते,
जवाब देंहटाएंइस तलह वत्त त्यों दाया तलते,
थंदम पर बैथ मुत्लाते है,
तहाँ तहाँ ते आ दाते हैं !
विनम्रता से बैर पुराना
जवाब देंहटाएंजो जी में आये कह जाना
इधर लगाना उधर बुझाना
स्वकर्त्तव्य करते जाते हैं, कहाँ कहाँ से आजाते हैं
अपनी बात कहे जाते हैं , शाबाश विवेक सिंह !
ये भाषा/बोली तो हम भूल ही गए थे। याद कराने का धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है आजकल नित नए प्रयोग हो रहे है :)
जवाब देंहटाएंइस भाषा में भी यह रचना खूब रही |
सुन्दर प्रयास. अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंतलते थेद उती थाली में
जवाब देंहटाएंदितमें में लथ थाना थाते हैं
तहाँ तहाँ ते आ दाते हैं
विवेक जी आपका ये प्रयोग तो निराला है ....
प्रयोग जारी रखें ... बहुत पसंद आया ..
वाह! बहुत ही बढ़िया!
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
तहाँ तहाँ ते आ दाते हैं लोद?
जवाब देंहटाएंलामलाम.
हमाली तिप्प्णी इत्ती तम तैसे हो दई थलदाल?
जवाब देंहटाएंलामलाम.
पहेली बुझना है क्या कि ये कौन है??
जवाब देंहटाएंउआ यूँ ही कविता...नया प्रयोग और इसकी मौलिकता आकर्षित करती है.
हमतो थमद में नहीं आय़ा ।
जवाब देंहटाएंतहां थे आ दाते हैं ?
इसे तो वाचिक रूप मे ही सुनने मे मज़ा आता मिलने पर याद दिलाइयेगा ।
जवाब देंहटाएंबेहतलीन!!!
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंयह भी खूब रही।
अगर इसको गाकर अपलोद कल दें तो ओल मदा आ जागा।
जवाब देंहटाएंमदा आ दया।था दये गुलू।ऐथे ही लिथा तलो,थम्दे ती नई।
जवाब देंहटाएंकतम थोले वाले थूरमा दोपाली की...
जवाब देंहटाएंन दाने कां कां से आ दाते हैं...
तार रुपये में लकलियां नहीं पूला जंदल खलीदेंगे...
बिबेक बाई को बूल दए ता...जंदल ते बाहल पहले ते दो बैते हैं...
दय दिंद...
जय हिंद...
Are yah bhasha to hame patahee nahee thee..! Itnee niragas, jaise totla bachha bol raha ho...maza aa gaya is bolee se parichit hoke!
जवाब देंहटाएंटाइम मशीन मिल गयी है aisa lagta hai...
जवाब देंहटाएंजो itni jyada rewind हो गयी..
कहा कुछ नही और सबकुछ कह डाला
जवाब देंहटाएंविवेक जी सौ में से सौ नंबर दिए आपको आपकी इस रचना के लिए...तुतलाते हुए बहुत बड़ी बड़ी बातें कर गए हैं आप और वो भी किस खूबी से ...वाह...ये कमाल आपके ही बस की बात है...
जवाब देंहटाएंनीरज
:) :) बचपन याद आ गया इसको पढ़ कर
जवाब देंहटाएंमदा आ दया :)
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