ऊधौ इतनी कहियौ जाइ !
कभी भूलकर भी मुरलीधर बृज की ओर न आइ ।
दूध, दही, लाखन कौ माखन गयौ फ्री में खाइ ।
जैसे बाँधि गयौ हो लाके द्वार हमारे गाय ।
माल मारि जा बैठ्यौ मथुरा अब लौटानौ नाइ ?
सीधे सब चुकता कर दे कहुँ कोट कचहरी जाइ ।
विवेक सिंह धमकी सुनि मोहन ठाड़े ते डकराय ।
माल मारि जा बैठ्यौ मथुरा अब लौटानौ नाइ ?
जवाब देंहटाएंसीधे सब चुकता कर दे कहुँ कोट कचहरी जाइ ।
बहुत सुंदर भाई ! बधाई !
विवेक जी ये तो बढ़िया रही।
जवाब देंहटाएंkhubsurat.........
जवाब देंहटाएंthodo makhan moko bhejo
जवाब देंहटाएंgay khadi jo dware
agar churaya makhan jo
maiyaa mare thaake
आप मेरे ब्लॉग पर आए. अच्छा लगा. क्या कहूं -
जवाब देंहटाएं"आंसू तो बहुत से हैं,आंखों में जिगर लेकिन
बिंध जाए सो मोती है,रह जाए सो दाना है."
फिर से एक बार पढ़ कर कुछ अच्छा भी लिख दीजिये.