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मंगलवार, अप्रैल 13, 2010
बेचारे नेता हैं
हुए आमने-सामने, मोदी और थरूर । लेनदेन में हो गई, कोई चूक जरूर ॥ कोई चूक जरूर, उधारी का चक्कर है । डूब न जाए रकम, यही दाता को डर है ॥ विवेक सिंह यों कहें अजी कुछ तो कम ले लो । कुछ चन्दा करवा दो, बाकी कुछ तुम दे दो ॥
बहुत खूब! सामयिक.
जवाब देंहटाएंनेताओं पर अच्छी टिप्पणी है।
जवाब देंहटाएंnice.
जवाब देंहटाएंnice
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