सोमवार, अगस्त 30, 2010

तू जला डाल कुछ कैलोरी

तू जला डाल कुछ कैलोरी

मत बैठ हाथ पर धरे हाथ
बातें न बना केवल कोरी
तू जला डाल कुछ कैलोरी

काया अपनी गौर से देख
है मोटू इसमें छिपा एक
मत सुला इसे गाकर लोरी
तू जला डाल कुछ कैलोरी

तू डर न परिश्रम से बिल्कुल
काँटों में ही खिलते हैं गुल
कर शुरू अभी मेहनत थोड़ी
तू जला डाल कुछ कैलोरी

ले सीख पुन: पैदल चलना
दे छोड़ स्वयं को ही छलना
कितनी कसमें खाकर तोड़ीं
तू जला डाल कुछ कैलोरी

साइकिल को ठीक करा फिर से
बाइक का भूत उड़ा सिर से
सब छोड़ कार हो या घोड़ी
तू जला डाल कुछ कैलोरी

इससे पहले कि लगे ठोकर
घुटने ये रह जाएं रोकर
बढ़ जाएं वजन व कमजोरी
तू जला डाल कुछ कैलोरी

घर में रख ले डम्बल लाकर
या जिम जाकर कुछ कसरत कर
यूँ पकड़ न आलस की डोरी
तू जला डाल कुछ कैलोरी

जब तू हो जाएगा मोटा
कर देगी खाने का टोटा
पत्नी काली हो या गोरी
तू जला डाल कुछ कैलोरी

वर्जित होगा मीठा खाना
तुझको गुड़ भी होगा पाना
अपने ही घर करके चोरी
तू जला डाल कुछ कैलोरी

मोटापे के हैं रोग बहुत
क्यों बना हुआ बैठा है बुत
जैसे शर्मीली सी छोरी
तू जला डाल कुछ कैलोरी

मत बैठ हाथ पर धरे हाथ
बातें न बना केवल कोरी
तू जला डाल कुछ कैलोरी

8 टिप्‍पणियां:

  1. उत्‍तम रचना .. सही समय में आपको बोध हुआ .. आपके हमउम्रों को आपकी सलाह काम आएगी .. अब हमारी उम्र तो कैलोरी जलाने की रही नहीं .. बीमारी पालने को मजबूर हैं !!

    जवाब देंहटाएं
  2. आपने तो मेरी आँखे खोल दी आँखे..

    जवाब देंहटाएं
  3. मार्निग वाक के लिए प्रेरणा देती कविता:)

    जवाब देंहटाएं
  4. तू डर न परिश्रम से बिल्कुल
    काँटों में ही खिलते हैं गुल
    कर शुरू अभी मेहनत थोड़ी
    तू जला डाल कुछ कैलोरी

    ...सुन्दर रचना ..सार्थक सन्देश....अच्छी लगी.
    _______________________
    'पाखी की दुनिया' में अब सी-प्लेन में घूमने की तैयारी...

    जवाब देंहटाएं
  5. सुबह उठ कर सबको इस कविता का जाप करना चाहिए...अद्भुत है भाई...अगर जीवन में उतार लें तो आनंद आ जाये...
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  6. इससे पहले कि लगे ठोकर
    घुटने ये रह जाएं रोकर
    बढ़ जाएं वजन व कमजोरी
    तू जला डाल कुछ कैलोरी

    आज के दौर में सबके लिए फिटनेस मंत्र है आपकी कविता.....

    जवाब देंहटाएं
  7. सही सीख दी है आपने .... इन केलोरियों ओ जलना भी आज एक प्रॉजेक्ट ब्न गया है ....

    जवाब देंहटाएं

मित्रगण