पिछले एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मैच में सहवाग का शतक न हो सका । अच्छा नहीं लगा । जब भारत को जीतने के लिए एक रन की आवश्यकता थी तो सहवाग को भी अपना शतक पूरा करने के लिए एक रन ही चाहिए था । दोनों टीमों का स्कोर बराबर हो चुका था । श्रीलंकाई गेंदबाज सूरज रनदीप ने दो बॉल फेंकीं भी लेकिन सहवाग एक रन न ले सके ।
तभी एक खुराफाती आइडिया रनदीप को आया या फिर उन्हें बताया गया कि सहवाग का शतक रोका जा सकता है । यह भावना कोई नई नहीं है । ईर्ष्या मनुष्य का स्वभाव ही है । यहाँ जब अपने ही देश के साथी खिलाड़ी एक दूसरे को शतक या दोहरा शतक बनाते नहीं देखना चाहते तो विरोधी टीम के खिलाड़ियों की तो बात ही क्या ?
सचिन जब एक बार टेस्ट मैच में 194 पर थे तो तत्कालीन कप्तान ने पारी समाप्ति की घोषणा कर दी थी । सचिन जब पहली बार एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मैच में 180 रन के ऊपर पहुँचे थे तो भी उन्हें पर्याप्त बॉल खेलने को न मिल सकीं । गांगुली भी जब 180 के पार पहुँचे तो साथी खिलाड़ी ने पर्याप्त सहयोग नहीं किया था । ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है ।
लेकिन यहाँ मुद्दा सहवाग के शतक से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए । रनदीप ने जानबूझकर नोबॉल फेंककर सहवाग के खिलाफ भले कोई अपराध नहीं किया हो परन्तु उन्होंने श्रीलंका के समर्थकों के खिलाफ अपराध किया है । उन्होंने क्रिकेट के खिलाफ अपराध अवश्य किया है । अन्तर्राष्ट्रीय मैच में खिलाड़ी से अपेक्षा की जाती है कि वह अन्तिम क्षण तक हार नहीं मानेगा और जीतने की कोशिश करता रहेगा । इस अपेक्षा के खिलाफ रनदीप ने अपराध किया है । एक तरह से उनका यह कृत्य मैच-फिक्सिंग की श्रेणी में आता है ।
इसलिए यदि उनके ऊपर जानबूझकर नोबॉल करने का मामला बनता है तो रनदीप को सजा अवश्य मिलनी चाहिए । जानबूझकर नोबॉल फेंकना अपराध है चाहे वह पारी की पहली बॉल ही क्यों न हो ।
रनदीप ने सहवाग से माफी माँगकर अपना काम कर दिया है । क्योंकि उसने सहवाग का शतक नहीं होने दिया । पर भारतीय टीम को भी रनदीप का धन्यवाद करना चाहिए कि उन्होंने हमें जानबूझकर जिताया ।
इस खुराफ़ात के पीछे कुछ और भी लोग थे :)
जवाब देंहटाएंAisabhi hota hai!
जवाब देंहटाएंThank you ji.. बड़का वाला Thank you.. :)
जवाब देंहटाएंअब न्यूजीलैंड भी ऐसा ही मौका दे दे थैंक्यू बोलने का तो मजा आ जाये.. :)
जवाब देंहटाएंहम तो यह अग्रेजो ओर गुलमो का खेल देखते भी नही... हमे क्या जी
जवाब देंहटाएंबढ़िया पोस्ट....... ज़रा यह भी देखें !
जवाब देंहटाएंनेताजी की मृत्यु १८ अगस्त १९४५ के दिन किसी विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी।
thik hi nhin bhut thik likha he. akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंतर्क तो आपके सभी ठीक हैं.
जवाब देंहटाएंजय रणदीप तुमने जीता दिया.. वरना हम इस काबिल नहीं थे..
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