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करते हैं तारीफ हम तेरी मित्र विवेक तुम मुझको लगते सदा हो लाखों में एक हो लाखों में एक, सत्य हर रचना तेरी तेरे सम्मुख झुकती जाए गर्दन मेरी कह "नीरज" कविराय ब्लॉग के तुम हो राजा तुम को पढ़ कर सच हम हो जाते हैं ताजा
आप चने के पेड पर, मुझको रहे चढाय ? अविश्वास सा हो रहा, इतना आदर पाय . इतना आदर पाय बढ रहे भाव हमारे . हम पहले ही नतमस्तक हैं सम्मुख थारे . विवेक सिंह यों कहें ,आपका वरदहस्त हो . फिर क्या चिंता मोइ लिखूँगा सदा मस्त हो .
वाह वाह ....विवेक जी वाह क्या खूब कही !
जवाब देंहटाएंअराजक तरीके से मनमानी करने का नतीजा तो यही होना था।
जवाब देंहटाएंवाह! वाह! सही है.
जवाब देंहटाएंबिना बिचारे जो करे रामदास कहलाय
करते हैं तारीफ हम तेरी मित्र विवेक
जवाब देंहटाएंतुम मुझको लगते सदा हो लाखों में एक
हो लाखों में एक, सत्य हर रचना तेरी
तेरे सम्मुख झुकती जाए गर्दन मेरी
कह "नीरज" कविराय ब्लॉग के तुम हो राजा
तुम को पढ़ कर सच हम हो जाते हैं ताजा
ये जो ऊपर नीचे सिगरेट लगा दी है ना आपने...चार चांद..
जवाब देंहटाएंbahut sundar. maja aa gaya.
जवाब देंहटाएं@ नीरज जी ,
जवाब देंहटाएंआप चने के पेड पर, मुझको रहे चढाय ?
अविश्वास सा हो रहा, इतना आदर पाय .
इतना आदर पाय बढ रहे भाव हमारे .
हम पहले ही नतमस्तक हैं सम्मुख थारे .
विवेक सिंह यों कहें ,आपका वरदहस्त हो .
फिर क्या चिंता मोइ लिखूँगा सदा मस्त हो .
बहुत आस है इनसे; राम के दास जो हैं!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब जी :)
जवाब देंहटाएंखूब सुलगेगी अब तो....जब मिल बैठेगे रामू ओर रामदास
जवाब देंहटाएंभाई हमें रामदास नहीं बनना इसलिए कमेंट बहुत सोच समझकर दे रहे हैं
जवाब देंहटाएंआपने तो डरा ही दिया....बहुत सोंचसमझकर कमेंट कर रही हूं....अच्छा लिखा है।
जवाब देंहटाएंसही कुण्डली रच रहे हैं..बहुत उम्दा!
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब जी.
जवाब देंहटाएंरामराम.
bahut sahi sateek
जवाब देंहटाएंदेश चल रहा है?..
जवाब देंहटाएंआप कह रहे है तो चल ही रहा होगा..
जै राम दास की..
आपकी कुण्डली तो 'जनवाणी' है।
जवाब देंहटाएंशानदार।
बहुत अच्छे, बिलकुल सच्चे!
जवाब देंहटाएंकह गये कवि विवेक सारी बात बड़ी चतुराई से
जवाब देंहटाएंरामदास भये पानी-पानी धुँयें की परछाई से
लगे रहो तुमको मंत्री बना देंगे! फिर बाद में हम चुनाव लड़ेगे!
जवाब देंहटाएं---आपका हार्दिक स्वागत है
गुलाबी कोंपलें
यही आश्चर्य है कि देश चल कैसे रहा है..?
जवाब देंहटाएंरामदास की भली चलायी!
खूब बटोरें वाह वाही ,आप बस बोल के दोहे |
रामदास से मुक्ति दिला दो ,देश बोल गया मोहे||
छोटी और बढ़िया रचना। वाह
जवाब देंहटाएंसटीक और धारदार्।गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंkya yahi purn satya hai gantantrik bharat ki? agar satya hai to kaun badlega is bharat ko?
जवाब देंहटाएंलिखते रहो बबुआ। जो तारीफ़ कर रहें उनकी बात मान ही लो!
जवाब देंहटाएंघिसट घिसट कर देश चल रहा जैसे तैसे
जवाब देंहटाएंक्योंके सब रहने वाले हैं ऐसे वैसे
बिना बिचारे जो करे, रामदास कहलाय ।
जवाब देंहटाएंहर बात लिखे कविता ,वह विवेक कहलाये