क्यों चारो ओर उदासी है ?
मन में कुछ आशंका सी है
शायद आ पहुँचा है वह क्षण
जब रक्त पिपासु बने कण-कण
विधि का विधान सर्वदा अटल
मन पूछ रहा क्या होगा कल
क्या बन्धु लड़ेंगे आपस में
यह प्रश्न समाया नस-नस में
क्या संभव है यह किसी भाँति
हो बन्द युद्ध हो जाय शांति
यदि लहू बहा तो क्या होगा
जिस ओर बहे मेरा होगा
मेरे ही पुत्रों का यह रण
जाने कैसा होगा भीषण
मैं किसकी जय कामना करूँ
अब भला कौन विधि धैर्य धरूँ
किससे अपना दुख-दर्द कहूँ
चुप हो कैसे यह पीर सहूँ
दोनों में से किसको चुन लूँ
मैं ही तो कर्ण व अर्जुन हूँ
अब नहीं महाभारत का रण
फिर चिन्तित हो तुम किस कारण
वह युगों पुराना प्रश्न कठिन
है खड़ा सामने उत्तर बिन
खाए जाता है कुतर कुतर
क्यों माँग रहा अब तक उत्तर
कुन्ती अब तक न समझ पायी
लो इक्कीसवीं सदी आयी
और हम भी २१ वी सदी मे आ गये
जवाब देंहटाएंकुन्ती अब तक न समझ पायी
जवाब देंहटाएंलो इक्कीसवीं सदी आयी
पता नही अभी कितनी और सदियाँ लगेंगी इस प्रश्न को समझने मे। बहुत अच्छी लगी आपकी्रचना। शुभकामनायें।
वाह विवेक भैया
जवाब देंहटाएंखाए जाता है कुतर कुतर
क्यों माँग रहा अब तक उत्तर
इसे फ़िर देखिये
वैसे इसके लिये शब्द मैं भी नही खोज पाया
पुन: बधाइयां
बहुत बढिया लिखा है !!
जवाब देंहटाएं`लो इक्कीसवीं सदी आयी'
जवाब देंहटाएंदस वर्ष बाद याद आयी :)
थोडी देर से आई.लेकिन शुक्र आई तो सही, सुंदर रचना जी
जवाब देंहटाएंआ गई जी आ गई.. २१ वी भी आ गई.. वैसे अच्छा है हमने २००० साल पहले गिनती फिर से शुरू कर दी.. नहीं तो पता नहीं कौनसी सदी चल रही होती..
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
सच में २१ वी सदी आ गयी है .... पर हमारी सोच अभी भी वहीं की वहें है ....
जवाब देंहटाएं21 SADI ME SWAGAT HAI ..
जवाब देंहटाएंआशा है इक्कीसवी सदी में कुंती की चिंतायें मिट जायेंगी । आज के निकाल से तो यही लगता है ।
जवाब देंहटाएं