आज खेल-दिवस है । मेजर ध्यान चंद सिंह का जन्म दिवस । ध्यान चंद जी का जन्म इलाहाबाद में 29 अगस्त 1905 को श्री समेश्वर दत्त सिंह के घर हुआ था । प्रस्तुत है एक छोटी सी कविता ।
हिटलर भी सहम गया था
बर्लिन में जिनके डर से
वह मेजर ध्यान चंद ही
हॉकी के जादूगर थे
वे इलाहाबाद में जन्मे
वालिद खुद भी थे फौजी
मन लगता था कुश्ती में
थे ध्यान चंद मनमौजी
जब हुए फौज में भर्ती
हॉकी से प्रेम हुआ तब
राष्ट्रीय टीम में पहुँचे
लख उनको चकित हुए सब
जीते ऐमस्टर्डम में
फिर लॉस ऐन्जलिस जीता
बर्लिन में पीट जर्मनी
हिटलर का किया फजीता
हिटलर ने यूँ बहलाया
"तुम म्हारे देश पधारो
जर्मन सेना में आकर
कर्नल का पद स्वीकारो"
पर देशप्रेम के आगे
पद का लालच ठुकराया
अपना भारत हॉकी में
सबसे ऊपर पहुँचाया
ऊपर, ऊपर से ऊपर
इतने ऊपर जा बैठे
हम भूल गए बाकी सब
अपनी ही धुन में ऐंठे
अब ध्यान चंद का जादू
भारत में कहीं नहीं है
हॉकी निराश रोती है
इतनी हारें सह लीं हैं
अब खेल दिवस होता है
पर ध्यान चंद को भूले
हॉकी रख दी कोने में
हम झूल रहे हैं झूले
Kahte hain na ki,Public memory is short!
जवाब देंहटाएंHam to na jane kin,kin ko bhool gaye hain!
Yaad dilane ke liye bahut,bahut shukriya...aur wo bhi itne sundar tareeqese
जवाब देंहटाएंमानता हूँ और स्वीकार करता हूँ, मैं यह तो भूल गया था कि आज खेल दिवस है, पर ध्यानचँद, मिल्खा सिंह जैसे जीवट वाले आदर्शों को जीवनपर्यँत नहीं भूल सकता, जिन्होंनें भारत को गौरव दिलाने के साथ ही विषम परिस्थितियों और अभाव को जीतने का अभूतपूर्व उदाहरण प्रस्तुत किया !
चंद लोगों का ध्यान तो रखना चाहिए :)
जवाब देंहटाएंअजी नही ध्यान चंद जी को नही भुले, जब भी कभि हाकी का नाम आता है तो सब से पहले जुवां पर ध्यान चंद जी का ही नाम आता है,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता कही आप ने धन्यवाद
एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !