हटना मत चाहे कुछ भी हो जाए गुरुजी ।
बेशर्मी का विश्व रिकार्ड बनाएं गुरुजी ॥
छ: महीने के बाद बने रहकर दिखलाओ ।
गिनीजबुक में नाम दर्ज़ हो जाए गुरुजी ॥
अभी समय है कोशिश करो चुन लिए जाओ ।
शायद कोई चमत्कार हो जाए गुरुजी ॥
जब कुर्सी से प्यार किया तो डरना कैसा ।
इसीलिए तो मेरे मन को भाए गुरुजी ॥
शायद इस दाढी में ही कुछ खोट हुआ हो ।
एकबार दाढी को तो कटवाएं गुरुजी ॥
एक ऑप्शन बचा केन्द्र में मंत्रीपद का ।
अभी समय है उसको भी अजमाएं गुरुजी ॥
आप सरीखा मुख्यमंत्री मिला भाग्य से ।
राज्य आपसे क्यों वंचित हो जाए गुरुजी ॥
हो सकता है आई एस आई की साजिश हो ।
अच्छे लोगों को ही यह हटवाए गुरुजी ॥
जब तक इच्छा करे रहोगे मुख्यमंत्री ।
डटे रहो यदि बलपूर्वक न हटाएं गुरुजी ॥
आज कल कवि बनकर जनता का भला करने का विचार अच्छा है!
जवाब देंहटाएं---मेरा पृष्ठ
तख़लीक़-ए-नज़र
एक ने तो अर्धांगिनी को नवजवाया था,
जवाब देंहटाएंतुम भी कुछ जुगाड लगवाओ गुरु जी ।
गुरु जी के बारे बहुत ही सटीक लिखा है !
जवाब देंहटाएंआजकल बेशर्मी तो नेता बनने की प्राथमिक योग्यता है . जिसने की शर्म उसके फूटे करम .
जवाब देंहटाएंवाह वाह..जय हो गुरुजी की. बडा सटीक लिखा आपने.
जवाब देंहटाएंरामराम.
जब तक इच्छा करे रहोगे मुख्यमंत्री ।
जवाब देंहटाएंडटे रहो यदि बलपूर्वक न हटाएं गुरुजी ॥
बहुत बढ़िया !
खूब व्यंग्य कसा है.
आपके गुरूजी तो शिवकुमार मिश्र हैं न!
जवाब देंहटाएं@ ज्ञानदत्त जी, आप काहे हमारे गुरुजी को भडकाते हैं साहब ! हमने यहाँ अपना शब्द का इस्तेमाल नहिन किया है :)
जवाब देंहटाएंकहलाता है गुरूजी, शर्म जरा ना आय
जवाब देंहटाएंकत्ल करे, पाए सजा फ़िर मंत्री बन जाय
फ़िर मंत्री बन जाय, मगर जनता है प्यारी,
पटका कुर्सी से नीचे और नोची दाढ़ी.
गुरु जी की बेकली व्यक्त कर दी आपने.
जवाब देंहटाएंजब कुर्सी से प्यार किया तो डरना कैसा ।
जवाब देंहटाएंइसीलिए तो मेरे मन को भाए गुरुजी ॥
शायद इस दाढी में ही कुछ खोट हुआ हो ।
एकबार दाढी को तो कटवाएं गुरुजी ॥
maja aaya. guruji ne to kamal hi kar diya
हा हा हा
जवाब देंहटाएंबेमिसाल रचना विवेक जी...
जब तक डटे रहो जबतक लोग बाहर का रास्ता न दिखा दे
जवाब देंहटाएंक्या बात है भाई सटीक व्यग्य और वो भी काव्य के साथ ...धन्यवाद्.
देखिये आप इस तरह गुरुजी के पीछे ना पडे . वो अभी अभी पुराने केस से छूटे है इसलिये कुछ नही कह रहे . और रही बात गिन्नीस की तो उसकी लाईन मे मायावती मुलायम अमरसिंह अमिताभ सोनिया बहुत लोग लाईन मे है प्रतियोगिता जारी है . लेकिन इस सब मे अव्वल भारत की जनता ही आयेगी इत्ती बेशरम है कि फ़िर से इन्हे ही चुन लेती है :)
जवाब देंहटाएंअगर नोबेल प्राइज कि बात करें तो हमारे नीतिश भी इसमें है.. उनके चमचे-बेलचे तो यही बता रहे हैं गुरूजी.. :)
जवाब देंहटाएंवाह्! क्या खूब करारी व्यंग्य रचना पेश की है.
जवाब देंहटाएंबढ़िया व्यंग्य...इनकी दाढ़ी कटवा लो या बाल मुंडवा लो...शर्म तो आएगी नहीं...फिर वहीं खड़े मिलेंगे इलेक्शन कमिशन के दफ्तर में पर्चे भरते...
जवाब देंहटाएंभई वाह....
जवाब देंहटाएंगुरुजी लगता है कविता बांच लिये, चले गये।
जवाब देंहटाएंअच्छी व्यंग्य कविता है:)
जवाब देंहटाएंहा हा, वाह वाह विवेक भाई, क्या तंज़ है यार ग़ज़ब करते हो. पद्य के महारथी बनने में अब देर नहीं. बहुत ख़ुशी हुई आपका लहजा देखकर.
जवाब देंहटाएंआप कहे ना कहे हमने तो मिश्रा जी को आपका गुरु मान लिया है.. अब आप ये क्यो लिखा गया है किसके लिए लिखा गया है.. ये फ़ैसला आप दोनो गुरु चेला मिल बाँट कर कर लो..
जवाब देंहटाएंगुरु शब्द की गरिमा पर ही कालिख पोत दी,
जवाब देंहटाएंअपनी सारी तपस्या को खुद ही खा गये,
जनता ने नकारा, फ़िर भी डटे हैं,
बेशर्मी की हद हो गई.....
....या फ़िर इस पूरे सिस्टम मे ही दोष है?...
...सोचने की बात है....उम्मेद साधक
" वाह गुरु जी का सारा का सारा biodata है सिर्फ़, नाम वाला coloum खाली क्यूँ है हा हा हा हा ?
जवाब देंहटाएंregards
wah wah!!! mast likha hai...lage rahiye...
जवाब देंहटाएंवाह गुरूजी वाह छा गए।
जवाब देंहटाएंAti sundar...
जवाब देंहटाएं''स्वामी विवेकानंद जयंती'' और ''युवा दिवस'' पर ''युवा'' की तरफ से आप सभी शुभचिंतकों को बधाई. बस यूँ ही लेखनी को धार देकर अपनी रचनाशीलता में अभिवृद्धि करते रहें.
Itnee saaree pratikriyaon ke baad mai aur kya likhun, ye badaa kathin prashn hai mere aage...!
जवाब देंहटाएंPar itnaa behtareen vyang padhe muddaten ho gayee...!
एक ने तो अर्धांगिनी को नवजवाया था,
जवाब देंहटाएंतुम भी कुछ जुगाड लगवाओ गुरु जी ।
Sundar rachana...
Regards...
आपकी पुकार सुन ली गई है ....सुना यही था की वे हट रहे है....ओर लालू को नए भी पसंद नही है....जे हो कुर्सी मय्या की
जवाब देंहटाएंजय हो गुरूजी :-)
जवाब देंहटाएंबडा सटीक
जवाब देंहटाएंसभी भोंथरे दिख रहे ,चाकू और तलवार |
जवाब देंहटाएंइस विवेक के व्यंग की , तीखी बहुत है धार ||
बहुत सुंदर धनयबाद
बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंपर देखिए कहीं यह रिकार्ड भी टूट न जाए।