हर इक बात पै कहते हो तुम कि तू क्या है .
तुम्हीं कहो कि ये अन्दाजे गुफ्तगू क्या है .
शायद मिर्ज़ा गालिब ने यह शेर काफी आजिज आकर कहा होगा . अगर कहने वाला यह कहता या कहती कि ," तुम क्या हो ?" तो शायद उनके दिल पर इतनी चोट न लगती . पर "तू" शब्द शायद ज्यादा चोट कर गया .
वैसे तो हिन्दी व्याकरण में हमने पढा है कि अपने से छोटों के लिए "तू" , बराबर वालों के लिए "तुम" और अपने से बडों के लिए "आप" का प्रयोग किया जाता है . मगर इस नियम का पालन व्यवहार में कम ही देखने को मिलता है . अक्सर देखते हैं कि गावँ में माँ को तू कहकर पुकारते हैं . स्वयं मैं भी अपनी मम्मी और अम्मा को तू कहकर सम्बोधित करता हूँ . सूरदास जी ने भी कहा था ," तू मो ही को मारन सीखी ." भगवान को भी तू कहा गया है .
हालाँकि शहरों में यह कम देखने को मिलता है . बल्कि यहाँ तो लोग छोटे छोटे बच्चों तक को आप ही कहकर पुकारते हैं . इससे तू शब्द लुप्तप्राय: सा हो चला है . हरियाणा में ऐसे स्थान भी हैं जहाँ पर तू के अलावा दूसरा सम्बोधन देखने को ही नहीं मिलता . माँ भी तू , बापू भी तू और भाई भी तू . शायद उसी का प्रभाव है कि हमारे ब्लॉगजगत के ताऊ को भी प्राय: लोग तू कह देते हैं . पर किसी को भी इसमें उनका अपमान होता नहीं दिखता क्योंकि ताऊ हरियाणा की पहचान हैं .
फिल्मों में तो माँ को अब तक तू कहा जा रहा है . फिर फिल्म चाहे नए जमाने का प्रतिनिधित्व करती हो या पुराने जमाने का . बल्कि फिल्म वाले तो प्रेमिका और प्रेमी को भी आपस में तू तडाक कराते हैं . किंतु इस मामले में हमारे फिल्म वाले काफी फ्लेक्सीबिल हैं जैसी तुक गाने में सही बैठे वैसा कहला देते हैं . कभी कभी तो एक ही गाने में तीनों रूप देखने को मिल जाएंगे .
कितने अपने लगते हैं बचपन के मित्र जो हमें तू कहकर बुलाते हैं ! और हम भी जिन्हें तू कहते हैं .
इससे तो यही निष्कर्ष निकलता है कि तू में प्यार , अनन्यभाव और अपनापन छुपा है जबकि बाकी सम्बोधनों में औपचारिकता और डर छुपा रहता है . पर इसमें बहस की गुंजाइश पूरी है क्योंकि ये हमारे निहायत ही निजी विचार हैं . हमारी पार्टी लाइन का इससे कोई सम्बन्ध नहीं है .
आप भी अपने विचार रखें तो कुछ बात बने . क्या तू कहना असभ्यता है ? किसको तू कह सकते हैं ?
जो ज्यादा प्यारे और करीब होते है उन्हे "तू" कहते है.. अपरिचितों को "आप" कहते हैं..
जवाब देंहटाएंवैसे फर्क पड़ता है अन्दाज का.. आप तू ्किस अन्दाज में कहते है.. बाकी क्या फर्क पड़ता है..
"तू" और "तुम" संबोधन को सभ्य समाज अच्छे नजरिये से नही देखता है . छोटे बच्चो को भी "आप" कह कर संबोधित किया जाता है. लोगो को अपने बोलने का अब नजरिया बदलना होंगे.
जवाब देंहटाएंभाषा को जगह और परिवेश देख कर इस्तेमाल करना चाहिए| पटना में तू बोल के देखिये किसी को!!!
जवाब देंहटाएंभाई आपने बडा अहम सवाल ऊठाया है. हमारे हरयाणा मे आप किसे कहते हैं हम नही जानते. पर ये जानते हैं कि ताऊ को जो तू कहते हैं उनको अगर तू सुनने की आदत हो तब ही मजा आयेगा. हम चाहे कोई भी हो सबको तू ही कहते हैं और फ़िर आजकल आप जानते ही हो कि लोगो मे वो मजाक सहन करने की क्षमता भी नही है सो हमको तो जो जैसा संबोधन करता है उसी के अनुरुप संबोधन करते हैं. अब जिसको जो रिश्ता रखना हो. हरयाणवी भाषा व्यवहारिक रुप से बहुत थोडा लोगो के कम गले उतरती है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
तू ही है जो तू को आज के औपचारिकता भरे समाज मे चर्चा का विषय बना रहे हो
जवाब देंहटाएंpahle upr likhe galib ji ke sher ko thik se likh lo ji
जवाब देंहटाएंलहज़ा ज़रूरी चीज़ है, आप, तुम और तू नहीं। आप जब किसी दोस्त से बात करते हैं और वह कहता है कि तू कल कल वह किताब लेते आइओ तो हंसकर हाँ कह देते हैं और और जब कोई कहता है तू कुछ मेरा उखाड़ लेगा तो हमें तैश आ जाता है। बस इतनी सी बात है।
जवाब देंहटाएंमाँ तू कितनी भोली है कितनी अच्छी है। इस वाक्य को ही ले लीजिए!
जवाब देंहटाएंkuch bhi bolo par kisi ko bura na lage to accha hai.
जवाब देंहटाएंबड़ा अच्छा तू-तड़ाक कर दिया आपने! :)
जवाब देंहटाएंदूर-पास का मामला भी छुपा हुआ है।
जवाब देंहटाएंसामने वाला तू जितना पास है या तुम जितना दूर है। ये दूर-पास दिल वाला नहीं बल्कि शिष्टाचार और लिहाज़ वाला है जैसा विनय कह रहे हैं।
तू तू तू... तू तू तारा..
जवाब देंहटाएंतोडो ना दिल हमारा..
नए साल की मुबारकबाद ।
जवाब देंहटाएंit depends on the nature and relation of an individual
जवाब देंहटाएंहे ईश्वर ये तू ने कहाँ तू-तड़ में पहुँचा दिया ? अन्योनास्तिए कह ,'नववर्ष मंगल मय हो ' और सटक ले तू to
जवाब देंहटाएंहमारे यहाँ भी तो ऐसा ही होता है...मैं मिथिलांचल का हूं.इसमे में विभाजन है....जो शुद्ध मैथिली बोलते हैं वहां तो माँ,बेटी,पुत्र,छोटे-बड़े सबको आप से ही संबोधित किया जाता है और मगर कुछ दूर और चल पड़ने पर उसी भाषा में मां के लिये तुम आ जाता है मगर पिता आप ही रहते हैं
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