पाकिस्तान में एक अमेरिकी से छेड़छाड़ का एक नया मामला प्रकाश में आया है . इस बार छेड़छाड़ का शिकार बेचारी हारपून को होना पड़ा है . यूँ तो विदेशियों से छेड़छाड़ के मामले हमारे देश में भी यदा-कदा प्रकाश में आते रहते हैं, लेकिन हम उन्हें जल्दी ही घसीटकर वापस अँधेरे में पहुँचाने में सफल हो जाते हैं . कोशिश तो पाकिस्तान ने भी की होगी छेड़छाड़ की इस घटना को अँधेरे में पहुँचाने की लेकिन किस्सा आम हो ही गया . जब आम हो गया तो आम के आम और गुठलियों के दाम तो होंगे ही .
पाकिस्तान को छेड़ू मुल्क घोषित करने की माँग भारत द्वारा अमेरिका से पुराने समय से की जाती रही है . लेकिन अमेरिका ने कभी कान नहीं दिया इधर . हारपून को पाकिस्तान में इसी शर्त पर भेजा गया था कि उसके साथ छेड़छाड़ नहीं की जाएगी, हाँ यदि सुन्दरी का छिड़वाने का मन करे तो छेड़ने के लिए अमेरिकियों को ही बुलाया जाएगा । फिर भी कुछ मनचलों का मन हारपून को देखकर मचल ही गया और उनसे छेड़े बिना न रहा गया .
पाकिस्तान में छेड़ुओं की कमी नहीं है . वहाँ के कबीले सरकार को छेड़ देते हैं . तालिबान परमाणु बम को छेड़ने की ताक में रहता है . सुन्नी शियाओं को छेड़ते हैं और शिया सुन्नियों को . कुछ स्वयंभू ऑरिजिनल लोग मुहाजिरों को छेड़ते हैं .
वहाँ के शासक भी कम छेड़ू नहीं रहे . वे भारत से छेड़छाड़ करते रहते हैं . जनरल मुशर्रफ ने कारगिल वार छेड़ दिया . आतंकवादी तथाकथित जिहाद छेड़ देते हैं .
वहाँ बाकयदा छेड़छाड़ की ट्रेनिंग दी जाती है . कैम्प चलते हैं . कुछ लोग छेड़ने भारत तक चले आते हैं . कभी मुम्बई में आकर छेड़ दिया तो कभी दिल्ली में छेड़ दिया .
भारत को चाहिये कि हारपून को अपने यहाँ बुलाकर सम्मानित करे । और साबित करे कि हमारे यहाँ विदेशियों से छेड़छाड़ नहीं होती ।
यदि हारपून को यहाँ कोई सुयोग्य वर पसंद आ जाय तो हो सकता है हमें भी बारात में नाचने का सुअवसर मिल जाए । बारात किए बहुत दिन हो गए । इसी बहाने हारपून को देखने का मौका भी मिल जाएगा ।
देखें तो सही, जिस हारपून से छेड़छाड़ के किस्से इतने प्रचलित हो लिए वह कितनी सुन्दर है ?
देखना छेडूओ के हारपून की बारात मे नाचूओं की वेकेन्सी हो तो बताना,हम भी चले चलेंगे बारात।
जवाब देंहटाएंबस इन्तजार और सब्र की जरुरत है ! जिस दिन किसी छेडू पाकिस्तानी की मति भ्रष्ट होगी, हार्पून हवाई टिकट कटवाकर सीधे दिल्ली अथवा आसपास के राज्यों में ही उतरेगी ! जरुरत है तो बस स्वागत के लिए फूल मालाये तैयार रखने की !आपको याद होगा कि १९७१ में वे गलती से आगरा उतर गई थी, या यूँ कहे कि अनाडी पाकिस्तानी छेडू ने उसे गलत हवाई जहाज में बिठा दिया था !
जवाब देंहटाएंमौका मिलते ही तुम पाकिस्तान से छेड़छाड़ करने लगे।
जवाब देंहटाएंहम हारपून से छेड़छाड़ करते हैं...ये हारपून है या ‘हार पूर्ण’। अब यदि हारपूर्ण है तो यह तो निश्चित ही है कि पूर्ण हार के बाद ही पाकिस्तान मानेगा- है कि नै:)
जवाब देंहटाएंयु छेडू ब्लोगर.. पाकिस्तान को भी छेड़ दिया..
जवाब देंहटाएंअभी शादी का सीजन नहीं है.....थोडा इंतजार
जवाब देंहटाएंआप भी कम छेड़ू हैं क्या :-)
जवाब देंहटाएंपाबला जी ने सही कहा - आप भी कम नहीं । आपके भी किस्से कम प्रचलित नहीं ।
जवाब देंहटाएंहारपून जी मिस पाकिस्तान हैं क्या? ब्यूटी कॉण्टेस्ट वहां होते हैं?
जवाब देंहटाएंआपके रहते पाकिस्तान की ये हिम्मत.
जवाब देंहटाएंरोको, वरना यह ताज उनके सिर न चला जाये वरना बारात में नाचने के अलावा और कुछ रास्ता भी न बचेगा. :)
वैसे पता चला है कि पाकिस्तान के छेड़ने से रुठ कर हारपून भारत की तरफ ही मूँह किये बैठी है. अबकी छेड़ा तो सीधे भारत में ही जाऊँगी. :)
जवाब देंहटाएंये छेडू छेडू क्या बला है? इसे वहीं रहने दो.
जवाब देंहटाएंरामराम.
पाबला जी ने सही कहा - आप भी कम नहीं:)
जवाब देंहटाएंघबराइये मत विवेक जी, वो हमें छेड़ेंगे नहीं,
जवाब देंहटाएंक्योंकि वो हमें छेड़ेंगे तो हम उन्हें छोडेंगे नहीं!
सही समय पर सही बात.........
जवाब देंहटाएंउम्दा आलेख
आपसे पूर्ण सहमति..............
__अभिनन्दन !
छेड़छाड़ ज़िन्दाबाद !
हुई न जलन..अमां विवेक भाई..आपको क्या लगा..सिर्फ़ आप ही सबको छेडते रहोगे...ये हारपून ..सुना है हरयाणा की तरफ़ को निकली है..
जवाब देंहटाएंहारपून पर एक रोचक पोस्ट है..लेकिन अंत में अगर आप मिजाइल का जिक्र कर देते तो बेहतर होता..
जवाब देंहटाएंछेडने और छोडने दोनों में ही आपने पीएचडी की हुई लगती है.:)
जवाब देंहटाएंसावधान विवेक जी पाकिस्तान के ब्लॉगर सीधे इधर ही आ रहे हैं, हारपुन के साथ छेड़...पे..व्यं..जो...लिख... है।
जवाब देंहटाएंतो यह तय पाया गया कि ब्लॉगजगत में एक सीरियस टाइप का छेड़ू पाँव पसार चुका है। साथ ही उसकी छेड़छाड़ का लुत्फ़ उठाने वालों की कोई कमी नहीं है।
जवाब देंहटाएंअरे वाह यहा तो बडे बडॆ महारथी छाये हुये है हार पुन के वास्ते, राम राम जी की हमारी दाल यहां नही गलने वाली, लेकिन आप ने लिखा मन भावन
जवाब देंहटाएंभाई छेड़ने मैं हम भारतीय भी किसी से कम नहीं हैं | ये अलग बात है की हमारी छेड़खानी अपने देश तक ही सिमित रहती है (सिवाए श्री लंका मैं LTTE को समर्थन के) |
जवाब देंहटाएंकभी आरक्षण का मुद्दा तो कभी अल्पसंख्यकों को अलग से पैकेज तो कभी अमरनाथ तो कभी ............... कितना लिखें लिस्ट बहुत लम्बी है |
समीर जी की टिप्पणी भी...कहां से कहां ....हा हा हा
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