शनिवार, अक्तूबर 18, 2008

ब्लॉग समाचार

समाचार हिन्दी चिट्ठों के सुनिए आप लगाकर ध्यान ।
रद्दी कविता प्रस्तुत करते पकड़े शिवकुमार ने ज्ञान ।।
आर्थिक मंदी शुरू हुई के ? पूछें ताऊ देउ बताय ।
चिडिया गदही पुकारती थी कैसा कलयुग आया हाय ॥
फिर हाज़िर एक चित्रपहेली अरविंद मिश्रा ने की आज ।
सरिताजी ने खोला आखिर
छलिया चाँद छलनी का राज ।।
मार्क्सवाद आपराधिक है घोस्टबस्टर के सुनें विचार ।
जागा मगर प्रेत इसका ये कहें द्विवेदी जी इस बार ॥
फुटकर सोच पाण्डेय जी की बढा
ब्लॉग पर यातायात
मिला खज़ाना अलमारी में वडनेरकरजी की क्या बात ॥
मॉर्डन नारी बनना हो तो अचूक नुस्खा है तैयार ।
अगर डराना है दोस्तों को है षडयन्त्र यहाँ तैयार ॥
मनविंदर भिंभर कहती हैं
वे रब तेरा भला करे
यहाँ नीलिमा सुना रही है
मृत्युगीत अब कौन मरे ॥
छणिकाएं जो पढनी हों तो नीशू ने की हैं तैयार ।
किन्तु राधिका बुधकर का यह है मार्मिक आरोही
प्यार !

11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब चिटठा चर्चा वह भी कविता में शायद पहली बार

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  2. bahut khunb . kya baat hai . vivek bahi bahut hi accha laga . likhte rahiye yun hi

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  3. ये तो काव्यमय चिठ्ठाचर्चा हो गई ! आईडिया जोरदार है ! बधाई और शुभकामनाएं !

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  4. कविता के रूप में चिटठा चर्चा रोचक लगी . विवेक जी बधाई .

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  5. ye angle to wakai naya hai aur rochak bhee, lage rahiye shaayad kisi din hamaaraa bhee nambar aaye.

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  6. बहुत सही कवितमय चर्चा..मुख्य मंच से ही कर देते मेरे भाई.

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  7. ये शानदार चर्चा है ! इस कविता को पढ़ कर मजा आया !

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  8. चिठ्ठा-चर्चा का काव्य संस्करण बढ़िया और पेटेण्ट कराने योग्य है। जमाये सहिये।

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  9. चर्चा पढ़कर आनन्द आ गया। अब निकलते हैं चिठ्ठा पढ़ने। जमाए रहिए जी।

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