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माया को चंचल कहें अगर माया इसे पढे तो कितना खुश होयेगी जी, फ़िर झट से ईंडिया गेट की बगल मै आप की भी मुर्ति सज जायेगी जी. बहुत अच्छी ओर सुंदर सीख धन्यवाद
सीख किसने माँगी यह बहस का मुद्दा नहीं जी, किसने दी यह देखिए . वैसे यहाँ माया से अर्थ मायामोह से लें और रीता का अर्थ खाली लें तो आपको शायद अपने प्रश्न का उत्तर मिल जाय :)
@ समीर जी, वैसे तो सब ठीक है,पर आज किसी ने कुछ लोगों को आहत और कुछ को घायल कर दिया है :)
@ SAHITYIKA जी, ऐसी ही प्रतिक्रियाओं का इन्तजार रहता है जो मुझे राह दिखा सकें .
वैसे मुझे लगता है कि इसको सही सन्दर्भ में लेने पर शायद आपको निराश न होना पड़े .
जानकर प्रसन्नता हुई कि मुझसे भी पाठकों की कुछ अपेक्षाएं रहती हैं, अन्यथा कभी-कभी लगता है कि हम क्यों लिख रहे हैं
अरे वाह, विवेक जी, अच्छा संदेश दिया है, कुछ तो मिले ही.
जवाब देंहटाएंvaah bahut badhiya sandesh . kash ye maya bhi samjhe .
जवाब देंहटाएंसही कहा.. फोकट का बवाल है... टाइम पास करते है..
जवाब देंहटाएंbadhiya hai sandesh......ek achchhi prastuti
जवाब देंहटाएंकिसने मांगी यह आप से सीख -माया या रीता ?
जवाब देंहटाएंजो आज्ञा भतीजे.
जवाब देंहटाएंरामराम.
भई वाह्! बहुत बढिया सीख दी आपने!
जवाब देंहटाएंलगता है कि बाबागिरी के रास्ते पर पहला कदम रख ही दिया आपने:)
माया के जज़्बात फिर आहत हो गये राम।
जवाब देंहटाएंरीता का घर फुँक गया, देने चलीं ईनाम॥
देने चली इनाम रुपइया पूरे एक करोड़।
दलित विरोधी बात थी उठने लगी मरोड़॥
कुण्डलिया बन गयी, अहा क्या खूब बनाया।
कवि विवेक पर बरसेगी अब अतुलित माया॥
माया को चंचल कहें अगर माया इसे पढे तो कितना खुश होयेगी जी, फ़िर झट से ईंडिया गेट की बगल मै आप की भी मुर्ति सज जायेगी जी.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी ओर सुंदर सीख
धन्यवाद
बिल्कुल सटीक कहा विवेक भाई और यह आप ही कह सकते थे।
जवाब देंहटाएंएकाएक बोध प्राप्ति और ज्ञान बाटन-सब ठीक तो है?
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ....विवेक जी हर बार की तरह इस बार भी बाजी मार ली |
जवाब देंहटाएंजय हो! जमे रहो! जमाये रहो!
जवाब देंहटाएंजय हो!
जवाब देंहटाएंachchi kavita hai..
जवाब देंहटाएंlekin naa jaane kyo .. pehle ki aur kavitaon jaise baat nahi lagi.. kuch kami rah gayi hai shayad..
इस नाम का उच्चारण सोच समझ कर करें, आजकल बहुत खतरा है।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
आप चमत्कृत करते हो...
जवाब देंहटाएंमजेदार है, विवेक भाई !!
जवाब देंहटाएंसच कहा ....
जवाब देंहटाएं@ अरविन्द मिश्रा जी,
जवाब देंहटाएंसीख किसने माँगी यह बहस का मुद्दा नहीं जी, किसने दी यह देखिए .
वैसे यहाँ माया से अर्थ मायामोह से लें और रीता का अर्थ खाली लें तो आपको शायद अपने प्रश्न का उत्तर मिल जाय :)
@ समीर जी,
वैसे तो सब ठीक है,पर आज किसी ने कुछ लोगों को आहत और कुछ को घायल कर दिया है :)
@ SAHITYIKA जी,
ऐसी ही प्रतिक्रियाओं का इन्तजार रहता है जो मुझे राह दिखा सकें .
वैसे मुझे लगता है कि इसको सही सन्दर्भ में लेने पर शायद आपको निराश न होना पड़े .
जानकर प्रसन्नता हुई कि मुझसे भी पाठकों की कुछ अपेक्षाएं रहती हैं, अन्यथा कभी-कभी लगता है कि हम क्यों लिख रहे हैं
धन्यवाद !
जिह्वा पे तो नियंत्रण का ही दुष्परिणाम है कि ब्लॉग पर लोग जमकर लिख रहे हैं:
जवाब देंहटाएं)
Bahut sundar gyan parosa hai apne.
जवाब देंहटाएंbahut khoob likha hai aapne .wah .
जवाब देंहटाएंबहुत पसँद आया
जवाब देंहटाएंसुन्दर सन्देश दिया है.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना
कविराज की जय हो!
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