गुरुवार, जुलाई 16, 2009

नियन्त्रण कर जिव्हा पर

माया को चंचल कहें, साधू, वेद, पुराण ।

रीता तेरा हाथ है, नहीं कटार, कृपाण ॥

नहीं कटार, कृपाण शत्रुता मोल न लेना ।

तजकर माया मोह राम का आश्रय लेना ॥

विवेक सिंह यों कहें, नियन्त्रण कर जिव्हा पर ।

माया मिले न राम कर्म ऐसे तो मत कर ॥

26 टिप्‍पणियां:

  1. अरे वाह, विवेक जी, अच्छा संदेश दिया है, कुछ तो मिले ही.

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  2. सही कहा.. फोकट का बवाल है... टाइम पास करते है..

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  3. किसने मांगी यह आप से सीख -माया या रीता ?

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  4. भई वाह्! बहुत बढिया सीख दी आपने!
    लगता है कि बाबागिरी के रास्ते पर पहला कदम रख ही दिया आपने:)

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  5. माया के जज़्बात फिर आहत हो गये राम।
    रीता का घर फुँक गया, देने चलीं ईनाम॥

    देने चली इनाम रुप‍इया पूरे एक करोड़।
    दलित विरोधी बात थी उठने लगी मरोड़॥

    कुण्डलिया बन गयी, अहा क्या खूब बनाया।
    कवि विवेक पर बरसेगी अब अतुलित माया॥

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  6. माया को चंचल कहें अगर माया इसे पढे तो कितना खुश होयेगी जी, फ़िर झट से ईंडिया गेट की बगल मै आप की भी मुर्ति सज जायेगी जी.
    बहुत अच्छी ओर सुंदर सीख
    धन्यवाद

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  7. बिल्कुल सटीक कहा विवेक भाई और यह आप ही कह सकते थे।

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  8. एकाएक बोध प्राप्ति और ज्ञान बाटन-सब ठीक तो है?

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  9. बहुत बढ़िया ....विवेक जी हर बार की तरह इस बार भी बाजी मार ली |

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  10. achchi kavita hai..
    lekin naa jaane kyo .. pehle ki aur kavitaon jaise baat nahi lagi.. kuch kami rah gayi hai shayad..

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  11. इस नाम का उच्‍चारण सोच समझ कर करें, आजकल बहुत खतरा है।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  12. मजेदार है, विवेक भाई !!

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  13. @ अरविन्द मिश्रा जी,

    सीख किसने माँगी यह बहस का मुद्दा नहीं जी, किसने दी यह देखिए .
    वैसे यहाँ माया से अर्थ मायामोह से लें और रीता का अर्थ खाली लें तो आपको शायद अपने प्रश्न का उत्तर मिल जाय :)

    @ समीर जी,
    वैसे तो सब ठीक है,पर आज किसी ने कुछ लोगों को आहत और कुछ को घायल कर दिया है :)

    @ SAHITYIKA जी,
    ऐसी ही प्रतिक्रियाओं का इन्तजार रहता है जो मुझे राह दिखा सकें .

    वैसे मुझे लगता है कि इसको सही सन्दर्भ में लेने पर शायद आपको निराश न होना पड़े .

    जानकर प्रसन्नता हुई कि मुझसे भी पाठकों की कुछ अपेक्षाएं रहती हैं, अन्यथा कभी-कभी लगता है कि हम क्यों लिख रहे हैं

    धन्यवाद !

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  14. जिह्वा पे तो नि‍यंत्रण का ही दुष्‍परि‍णाम है कि‍ ब्‍लॉग पर लोग जमकर लि‍ख रहे हैं:
    )

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  15. सुन्दर सन्देश दिया है.
    बहुत अच्छी रचना

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