कृपया किन्चित भी चिन्तित न हों, हम आपसे कोई सवाल नहीं पूछेंगे । यदि सवाल पूछ भी लिया तो भी चिन्ता की कोई बात नहीं । आप जवाब दें या न दें यह तो आप का अधिकार है । पोस्ट पढ़कर आप पतली गली से निकल जाएं । किसी को कानोंकान खबर भी न होगी कि आपने इसे पढ़ा है । यदि आपके बगल में कोई अन्य पाठक भी बैठा है तो थोड़ी कठिनाई होने की संभावना है । वह आपकी पोल सबके सामने खोल सकता है कि आपने सवाल पढ़ा पर जवाब नहीं दिया । आप बड़े ये हैं, बड़े वो हैं आदि आदि । उस केस में आपके पास भी पूरा अवसर है कि वादी को आरोपी बनाते हुए कह दें कि सवाल तो इसने भी पढ़ा था और जवाब नहीं दिया । एक कदम और आगे जाकर आप यह भी कह सकते हैं कि इसी ने मुझे मना किया था कि सवाल का जवाब नहीं देना चाहिये । बस वह आक्रामक मुद्रा से सुरक्षात्मक मुद्रा में आ जाएगा ।
हमें नेताओं से इस विषय पर काफी सीखने को मिलता है कि सवालों का जवाब कैसे दिया जाय । अगर सवाल आसान है तब तो उसका जवाब ढोल बजा बजाकर दें । खूब वाहवाही लूटें । पूछने वाला विरोधी खुद पछताएगा कि मैंने क्यों बेमतलब इसकी पब्लिसिटी करा दी । इसीलिए आजकल विपक्ष के नेता मंत्रियों से सवाल करने में कतराते हैं, कि मन्त्रीगण कहीं जवाब देने की आड़ में अपनी पब्लिसिटी न कर लें ।
फिर भी कोई सवाल यदि ऐसा पूछ लिया जाय जिसका सही जवाब देने पर लेने के देने पड़ जाने वाले हों तो उसे बिना देर किए हाइपोथेटिकल कह देना चाहिए । "मैं हाइपोथेटिकल सवाल का जवाब नहीं देता ।" ऐसा कहने से चलेगा ।
ताज़ा उदाहरण के तौर पर बता दें कि संसद में जब आडवाणी जी ने प्रधानमन्त्री जी से कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान से हुई वार्ता को संसद को बताने को कहा तो उन्होंने कहा, "मैं एक सवाल पूछता हूँ. स्ट्रोब टैलबॉट ने कितनी बार जसवंत सिंह के साथ बातचीत की? ऐसी बैठकों के बारे में कितनी बार संसद को बताया गया? आप क्यों सोचते हैं कि मैं हाइपोथेटिकल सवालों का जवाब दूँ?”
आडवाणी जी तो शान्त हो गये, लेकिन एक सवाल उठ खड़ा हुआ कि जब संसद में विपक्ष कोई सवाल पूछता है तो क्या सत्ता पक्ष इसलिए उसका जवाब देने से बच सकता है क्योंकि विपक्ष जब सत्ता में था तो उसने ऐसा ही किया था ? क्या सत्तापक्ष और विपक्ष आपस में ही एक दूसरे के प्रति उत्तरदायी हैं ? क्या जनता के प्रति उनका कोई उत्तरदायित्व नहीं ? जनता का सवाल कौन पूछेगा ? जनता तो संसद में जा नहीं सकती न ।
अब यदि आप मुझे 'हाइपोथेटिकल' की हिन्दी पूछें तो मेरा कहना होगा, " मैं हाइपोथेटिकल सवाल का जवाब नहीं देता ।"
.पहली बात तो यह कि, सत्ता बँदरों की रोटी है । इन बँदरों की कोई ज़वाबदेही बिल्लियों के प्रति भी हो सकती है... ऎसा सवाल आपने पूछा ही क्यों विवेक जी ?
जवाब देंहटाएंइसलिये सरकार में बैठे पक्ष-विपक्ष की ज़वाबदेही निताँत हाइपोथेटिकल मसला है, इसका माक़ूल हाइपोथेटिकल ज़वाब मेरे पास है, किन्तु जनहित और देश की सुरक्षा के मद्दे-नज़र मैं स्वयँ ही इसका मॉडरेशन किये देता हूँ ।
विशेषाधिकार के भी आख़िर कई मायने हो सकते हैं.. है कि नहीं ?
हम कितने ही ईमानदार क्यों न रहें , हमारी सोच और सवाल अपनी अच्छी या बुरी संगति या समझ के हिसाब से ही होते हैं ! हममे से कोई भी महा मानव नहीं है सब कहीं न कहीं गलतियाँ करते हैं मगर जो भूल सुधार ले और स्वीकार कर ले उसे अच्छा कहा जा सकता है ! अधिकतर समस्याए एक दूसरे की ठीक पहचान न करने से और अपने कहे पर जमे रहने से ही होती है ! विरोध चाहे गलत ही क्यों न हो पर दिल साफ़ होना चाहिए ...
जवाब देंहटाएंबढ़िया व्यंग्य है, विश्वास कर लेना वाकई मज़ा आया ! बधाई और शुभकामनायें
आपका सवाल गलत है। हम वाक ऑउट करते हैं। :)
जवाब देंहटाएंचलो इस जवाब पर हम भी संकरी गली से निकल चले। शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंअब यदि आप मुझे 'हाइपोथेटिकल' की हिन्दी पूछें तो मेरा कहना होगा, " मैं हाइपोथेटिकल सवाल का जवाब नहीं देता ।
जवाब देंहटाएंपतली गली से निकलने का ही मन हो रहा है, कहाँ बड़े लोगों की बातों में फंसे? मैं तो डॉ. अमर कुमार जी की बातों से सहमत हूँ।
जवाब देंहटाएंगलती कर रहे हैं न. थरूर जी से पूछिये :)
जवाब देंहटाएंहम भी ऎसे किसी हाइपोथेटिकल सवाल का जवाब नहीं देते :-)
जवाब देंहटाएंआप हमारे गुरु समीर लाल जी से पूछिए.. वे हर पहेली का सही जवाब देते है.. इसका भी दे देंगे.. :)
जवाब देंहटाएंअगर जवाब देने वाला सवाल करने वाले के सामने है और चुप रहता है तो 'मौन स्वीकृति लक्षणम्'। अगर सामने नहीं है और टिप्पणी में कुछ भी लिखता है तो जवाब हो ही गया। जवाब न देने के लिए कहना, पतली गली से निकलना इत्यादि भी सवाल के जवाबी दायरे में ही आते हैं। सवाल ट्रांसफर करना, ट्रांसफरिंग प्रक्रिया भी जवाबी दायरा ही है। तो मैं जवाब तो दे रहा हूं पर प्रश्न का नहीं, क्योंकि मालूम ही नहीं है और स्वीकारता हूं तथा सतीश भाई से सहमत हूं।
जवाब देंहटाएंहाइपोथेटिकल का जवाब देना बड़ा क्रिटिकल है ऐसे टिपिकल सवाल न पूछें ।
जवाब देंहटाएंHamarehi chune numainde baithe hain...kisse kahen,ki,apnehi honth aur apnehi daant!
जवाब देंहटाएंहम भी पतली गली से निकल रहे है !!
जवाब देंहटाएंहम तो खिसक रहे थे पर उपस्थिती दर्ज करवा रहे हैं..
जवाब देंहटाएं