सोमवार, सितंबर 22, 2008

सॉफ्ट कॉर्नर

पहले पकड़े थे कभी, मगर दिए थे छोड़ ।
ये आतंकी हैं वही, जो कि रहे बम फोड़ ।
जो कि रहे बम फोड़, सॉफ्ट कॉर्नर की जय हो ।
हटा वही कानून, किसी को जिससे भय हो ।
विवेक सिंह यों कहें, बदल दो निज़ाम सारा ।
पकड़ा जो एक , बार न छूटे फिर हत्यारा ॥

7 टिप्‍पणियां:

  1. हत्यारा को नहीं छुटना चाहिये...

    पर निर्दोष नहीं मारा जाना चाहिये..

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  2. सही है हत्यारॊं को सजा मिलनी ही चाहिए।लेकिन हत्यारों को पड़ते समय ,निर्दोषों व्यक्ति ना सजा पाए।इस का सदा ध्यान रखना चाहिए।

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  3. सही कहा आपने.. छोड़ना नही चाहिए

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  4. आतंकवाद से जंग हर मोर्चे पर लड़ी जानी है। सरकार को भी जागना होगा, जनता को भी।

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  5. बिल्कुल सही फरमाया--हत्यारों को सजा मिलनी ही चाहिये.

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  6. बदल दो निज़ाम सारा ।
    पकड़ा जो एक , बार न छूटे फिर हत्यारा ॥
    ...एक सप्ताह के अंदर पहले हिंदुस्तान की राजधानी नई दिल्ली, फिर यमन की राजधानी साना और अब पाकिस्तान की राजधानी इसलामाबाद। आतंक के धमाके जहां कहीं भी हों, पीड़ा एक जैसी होती है और पीड़ित आम निर्दोष लोग ही होते हैं। इनकी जितनी भी निंदा की जाए, कम होगी।
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