सोमवार, जुलाई 06, 2009

भोले भालो अब तो जागो

आजकल 'अमर उजाला' में एक समाचार अक्सर पढ़ने को मिल जाता है जिसमें सोने चाँदी के गहनों की सफ़ाई करने के बहाने कुछ लोग भोली-भाली महिलाओं को झाँसा देकर उनके जेवरात लेकर भागने में सफ़ल हो जाते हैं ।
मैं 2003 में हरियाणा के ही धारुहेड़ा ( रेवाड़ी ) में रहा करता था । उस समय से ही यदा कदा हरियाणा से ऐसे समाचार पढ़ने को मिलते रहते थे । अब पानीपत में हूँ । यहाँ भी पिछले कुछ दिनों से आसपास के क्षेत्रों के ऐसे समाचार पढ़ने को मिल रहे हैं ।
ऐसे मामलों में अक्सर दो लोग सोने चाँदी के जेवर साफ़ करने की आवाजें लगते हुए गलियों में घूमते हैं । भोली भाली महिलाएं इन्हें बुलाकर पूछताछ करती हैं तो ये लोग बड़े सस्ते में ही जेवर साफ़ करने को तैयार हो जाते हैं । जेवर मँगाकर उन्हें पानी में डाला जाता है और कुछ मसाला भी महिलाओं को दिखाकर पानी में यह कहकर डाला जाता है कि इससे आधे घण्टे में जेवर साफ़ हो जाएंगे । इस पानी को आग पर गरम होने के लिए रख दिया जाता है ।
महिलाएं यूँ तो अपनी समझ से होशियारी से काम लेती हैं और टकटकी लगाए पूरा ध्यान जेवरों पर रखती हैं लेकिन जब उनसे पीने के लिए पानी माँगा जाता है या किसी अन्य बहाने से उन्हें दूर भेजा जाता है तो वे सम्मोहित सी उनके कहे अनुसार कार्य कर देती हैं । बस इसी समय ये लोग जेवर पानी से निकालकर अपने पास रख लेते हैं और यह कहकर वहाँ से चले जाते हैं कि आधे घण्टे बाद जब पानी ठण्डा हो जाए तो जेवर निकाले जा सकते हैं । जेवर साफ़ मिलेंगे । और वाकई जेवर ये लोग साफ़ कर ले जाते हैं । इसके बाद पछतावे के सिवाय कुछ नहीं मिलता । थाने में रिपोर्ट लिखवाइये । इधर उधर भागते रहिए । फ़िर कुछ नहीं होता ।
इसका इलाज केवल जागरूकता है । पर आश्चर्य है कि इतने सालों से एक ही तरीके से यह हो रहा है और लोग अब तक जागरूक नहीं हो सके ? दरअसल ऐसे समाचार अखबारों में ही पढने को मिलते हैं और अखबारों की पहुँच इतनी नहीं है जितनी कि टीवी की । टीवी वाले ऐसे समाचार भला क्यों दिखाएंगे जिससे चैनल की TRP बढ़ने की कोई उम्मीद ही नहीं ।
आशा है लोगों में जागरूकता आएगी और ऐसे ठगी के मामले और ज्यादा न होंगे ।

30 टिप्‍पणियां:

  1. ab dhire dhire jagrukta aa rahi hai .ganwo me mahlae ab apne aap jevaro ki safai kar leti hai islie ese logo se ve apne aap bach jati hai ! fir bhi esi ghatnae aksar padhne ko mil jati hai

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  2. हूँ ,गंभीर मुद्दा ! कितनी भोली भाली होती हैं न ये महिलाए !

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  3. हाँ विवेक भाई....सबसे बड़े हैरत की बात तो ये है की ..अब भी सुदूर ग्रामीण क्षेत्र तो दूर ..राजधानी के ..आसपास की गावों में भी ये सब हो जाता है...पुलिस और प्रशाशन इस मामले में कुछ कर नहीं पता..उपाय सिर्फ एक ..इनसे बच कर रहना..सामयिक मुद्दा उठाया..और हाँ ये तो अब पता चला की ..आप ताऊ के साथ स्कूल जाते थे ..अरे उनके हरियाणा में...भाई

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  4. ैसी भी बात नहीं है कि लोग ऐसी ठगी के बारे मे कुछ नहीं जानते मगर लाल्च एक ऐसी बला है कि जब आती है तो आँखों पर पट्टी बाँध देती है उन लोगों की चिकनी चुपडी बातों पर भोले लोग यकीन कर लेते हैं और हमारे मुल्क मे भोले और अनपढ लोगों की कोई कमी नहीं है फिर भी इन बातों के लिये लोगों को जाग्रुक करना मीडिया की ड्यूटी है आपने सही कहा है कि मीडिया को ऐसी खबरों से क्या लेना देना-- बडिया पोस्ट है आभार्

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  5. देश की अधिकांश जनता जबतक सुशिक्षित नहीं होगी, जागरूकता नहीं आएगी। जागरूकता तब तक नहीं आएगी, जबतक देश की जनभाषा राजकाज के तख्‍त पर आरूढ़ नहीं होगी। हिन्‍दी को देश के राजकाज की भाषा बना दी जाए, सारी समस्‍याएं छूमंतर हो जाएंगी।

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  6. भाई हम तो बचपन से आज तक यह घटनाए पढते आये हैं और हिंदुस्थान मे चहुं और ये होती हैं. इसका मतलब जनता आज भी भोली है और नेताओं के साथ साथ ये लोग भी भोले पन का बेजा फ़ायदा ऊठाते हैं.:)मौका मिल जाये तो सभी ऊठाते हैं.

    रामराम.

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  7. ठगी का ये तरीका हर जगह देखने को मिलता है और अख़बार वाले इसे प्रमुखता से छापते आ रहे हैं।इस तरीके के अपराध की रोकथाम मे सिर्फ़ और सिर्फ़ सावधानी और जागरूकता ज़रूरी है।

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  8. जनता भोली नही लालची है, बुजुर्गो ने सच कहा है लालच बुरी बला है. अब इन चक्क्रो मै गांव की भिली भाली ओरेते ही नही शहर की पढी लिखी जनता भी तो फ़ंसती है... ओर सिरफ़ लालच के कारण
    धन्यवाद इस सुंदर लेख के लिये

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  9. विवेक सिह जी , बात आपकी बिल्कुल सही है आज भी गांवो मे इस प्रकार की ठगी आम बात है गांव ही क्यो शहरो मे भी इस प्रकार की ठगी होती है । कुच्छ ठग तो गहना लेकर चले जाते है कुछ जो है वो गहने को साफ करके उसका वजन कम कर देते है जो सोना चन्दी गल कर पानी मे रहा जाता है उसे वे लोग पार कर देते है । यह सब पुलिस की मिली भगत से ही होता है ।

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  10. @अरविन्द जी "हूँ ,गंभीर मुद्दा ! कितनी भोली भाली होती हैं न ये महिलाए!"...कोई मुझसे एक चव्वनी भी ठग कर दिखाए तब समझूँ ...बाकि ठगे जाने के आयाम अलग -अलग है कितने ही पुरुष तांत्रिकों से पौरुष शक्ति बढ़ने के लिए किये जाने वाले उपक्रमों से ठगे जाते हैं ..इसलिए यह कहना की सिर्फ महिलाएं भोली -भाली है (यहाँ बेवकूफ ) थोडा अजीब नही है.

    @विवेक जी चिंतनीय है यह.

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  11. तभी तो साधु-संत कहते हैं कि लालच बुरी बला है:)

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  12. सही कहा आपने, उन्हें भी अपने विज्ञापनों की फिक्र है।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  13. दो पैसे बचाने के चक्कर में हम लाखों लुटवा बैठते हैं...हमारी लालची प्रवृति का ही फायदा ये ठग उठाते हैं...जब तक सस्ते की मानवीय कमजोरी मन में रहेगी ये कार्यक्रम चलता रहेगा...
    नीरज

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  14. लालच ठगी की जड़ है। लोग लालच से बचें तो ठगी से भी बच लेंगे।

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  15. विवेक सिंहजी!
    स्वप्नलोक की यात्रा कर आया हू । बडा ही अच्छा लगा।
    'भोले भालो अब तो जागो' खबर पढ दुख हुआ की लोग बाग कैसे-कैसे चिट्ट करते है। सावधान करने के लिऐ आभार!

    हार्दिक मगलभावनाओ सहीत
    आभार
    मुम्बई टाईगर
    हे प्रभु यह तेरापन्थ

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  16. मेरी पत्नीजी ने एक गैंग पकड़वाया था रतलाम में। ढेरों चांदी सोना मिला था उनके पास से। चांदी एविडेंस में रखी गयी। सोना पुलीस की जेब में गया!

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  17. मैं समझा नहीं वो सोना साफ ही तो करते हैं...:)

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  18. ठगी, चोरी और लूट के जितने तरीके प्रकाश में आते जाय उन्हें अधिकाधिक प्रचारित-प्रसारित करना चाहिए। इसमें भी इनके रोकथाम का उपाय छिपा हुआ है।

    आपकी यह पोस्ट इस दिशा में अच्छा प्रयास है।

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  19. अच्‍छा, इस तरह जेवर साफ नहीं होते, 'साफ' हो जाते हैं !

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  20. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  21. सजगता की दरकार है निश्चित ही!!

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  22. लवली जी से सहमत हूं .. सिर्फ महिलाएं ही भोली भाली नहीं होती .. ठगे तो कोई भी जा सकते हैं .. समय समय की बात होती है !!

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  23. विवेक भाई,
    बहुत अच्छा लेख....बहुत बहुत बधाई....

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  24. लालच के चलते इस तरह की और इससे मिलती जुलती ठगी होती है.

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  25. यदि टी.वी. मीडिया भी अपनी कुछ जिम्मेदारी समझे तो ही इस विषय में समाज को जागरूक किया जा सकता है।

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  26. विवेक भाई की वापसी हो गयी और हमें इतने विलंब से पता चला...हाय रेssss

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  27. भगवान इन चोरों को नर्क में जगह न दे. भोले-भाले लोगों को ठगते हैं. छि छि.

    बचपन से ही गाँव में इस तरह की घटनाओं के बारे में सुनते आ रहे हैं. अब तो अपना देश इकनॉमिक सुपर पॉवर होने जा रहा है. लेकिन शायद गाँव में कोई बदलाव नहीं हुआ. बदलाव नहीं हुआ इसीलिए तो ठगी के तरीके वही पुराने रह गए.

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