शनिवार, जुलाई 18, 2009

इन्द्र के नाम खुली चिट्ठी

महोदय !

हम जानते हैं कि यह समय देवताओं के सोने का है, लिहाज़ा आप सो रहे होंगे, और देवउत्थान एकादशी से पहले किसी भी सूरत में जागने वाले नहीं । पर हालात ही कुछ ऐसे हैं कि बिना लिखे रहा नहीं जाता । यद्यपि जब आप जागेंगे तब तक हालात का वर्षा जब कृषि सुखानी वाले हो चुके होंगे तथापि यदि आप इससे अगले साल के लिए कुछ सबक लेंगे तो भी हम स्वयं को धन्य समझेंगे । आशा है जब आप जागेंगे तो हमारी चिट्ठी को अवश्य पढ़ लेंगे ।

जरा विचार करके देखें कि देवशयनी एकादशी से देवउत्थान एकादशी के बीच एक लम्बा अन्तराल होता है । जब करोड़ों लोग आपके ऊपर निर्भर हों तो आप सब चैन से एक साथ कैसे सो सकते हैं ? स्वर्ग की गवर्नमेन्ट के मुखिया होने के नाते सारा उत्तरदायित्व आपका ही बनता है । बाकी सब तो आपके पिछलग्गू ठहरे ।

आपने अपने मन्त्रियों को विभाग वितरण न जाने कब किया होगा । क्या आपको नहीं लगता कि लम्बे समय तक मन्त्रियों के विभाग बदले नहीं जायेंगे तो वे निरंकुश और भ्रष्ट हो सकते हैं ? और तो और वे लम्बे समय एक ही विभाग में रह कर इतने ताकतवर बन सकते हैं कि आपकी सर्वोच्चता को चुनौती देने के बारे में भी सोच सकते हैं । इसीलिए तो यहाँ धरती पर भी जो चालू टाइप प्रधानमन्त्री होते हैं वे किसी मन्त्री को ज्यादा दिन एक विभाग में टिकने नहीं देते ।

पृथ्वी पर कोई यदि परिश्रम करके आपको चुनौती देने की पोजीशन में आना चाहता है तो आपका आसन डोलते लगता है, और आप उचित या अनुचित कोई भी तरीका अपनाकर उसे हतोत्साहित करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ते । ऐसे में जाहिर है आपके ऊपर लोगों की निर्भरता ज्यों की त्यों बनी रहेगी । हालाँकि यहाँ धरती पर भी कई सरकारें चलती हैं पर वे सब तो क्रेडिट लेने के लिए ही हैं । देश ग्रोथ करता है तो क्रेडिट सरकार ले लेती है और वर्षा अच्छी नहीं हुई तो ठीकरा आपके ही सिर फूटता है । ऐसे में आप स्वयं विचार करें कि जनता को सरकार भरोसे छोड़कर आप अपनी जिम्मेदारियों को ऑटो मोड पर डालकर मंत्रियों सहित सोने जायें यह भला कहाँ तक उचित है ?

ऐसा भी नहीं लगता कि आपके पास देवता पॉवर की कमी हो । तैंतीस करोड़ देवी-देवता कम नहीं होते । एक मन्त्रालय में आप चाहें तो कई मन्त्री एक साथ नियुक्त कर सकते हैं । ऐसे में आपका वर्षा जैसा महत्वपूर्ण मन्त्रालय अपने पास रखना किसी दृष्टिकोण से उचित प्रतीत नहीं होता । हमें नहीं लगता कि आप जागते समय भी उर्वशी, मेनका, रम्भा आदि रमणियों के नृत्य-दर्शन से मुक्ति पाकर बादल से फीडबैक लेने के लिए कुछ समय निकाल पाते होंगे और उससे पूछते होंगे कि कहाँ बरसा और कहाँ नहीं बरसा । वैसे हम सहमत हैं कि नृत्य देखते रहना भी कोई छोटा काम नहीं ।

हाँ यह सही है कि सभी देवता मन्त्री बनने के काबिल नहीं होते । पर इस स्थिति में क्या उनके देवता बने रहने पर सवाल नहीं उठने चाहिए ? आखिर ऐसे देवताओं की जरूरत ही क्या है ? नये चुनाव कराये जा सकते हैं । इन्सानों में कितने ही करोड़ ऐसे लोग मिल जायेंगे जो योग्य होते हुए भी देवता बनने की लालसा मन में पाले हैं । ऐसे में उनकी सेवायें ली जा सकती हैं, और नाकारा देवताओं को कीड़े मकोड़े बनाकर धरती पर डम्प किया जा सकता है । कृपया इसका यह मतलब कदापि न निकाला जाय कि हमारे ऐसा सुझाव देने के पीछे हमारी देवता बनने की कोई महत्वाकांक्षा है । हम किलियर कर देना चाहते हैं कि हमारी अभी स्वर्गवासी होने की कोई इच्छा नहीं है । हमें धरती पर ही बहुत मज़ा आ रहा है ।

यदि आपने इन्सान को अपनी सरकार में शामिल कर लिया तो इसका सबसे बड़ा फ़ायदा यह होगा कि आपको लम्बी नींद की समस्या से निज़ात पक्का मिल जाएगी । क्योंकि इन्सान को सर्वदा आपके सोने का इन्तज़ार रहेगा और आपके सोते ही वह आपकी जड़ें खोदने लग जाया करेगा और आप सावधानी हटी दुर्घटना घटी वाली स्थिति में आकर हर समय चौकन्ने रहने लगेंगे । और अनिद्रा को, जिसे फ़िलहाल एक रोग समझा जाता है , जल्दी ही देवी का दर्जा मिल जाएगा ।

उसके बाद अगर देवता सोयेंगे भी तो शिफ्टों में !

31 टिप्‍पणियां:

  1. लाजबाव पोस्ट विवेक जी। पढ़ना शुरू किया तो पढ़ता ही चला गया। मजेदार। मेरी शुभकामना।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  2. वाह विवेक जि नित नया रंग मिल रहा है अपकी पोस्ट मे बहुत बडिया पोस्ट है इन्द्र देवता जरूर प्रसन्न होंगे शुभकामनायें

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  3. हमारे इंद्र भगवान ब्‍लाग पढते हैं क्‍या ?

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  4. प्रिय कवि, ब्लॉगर, साहित्यकार विवेक,
    आपके सुझाव अत्यंत सामयिक और ज़रूरी हैं. हम कल ही मंत्रिमंडल में फेर-बदल करेंगे. फिर सबकुछ पानी-पानी हो जाएगा.फिर आप खुली चिट्ठी नहीं बल्कि धूलि चिट्ठी लिखेंगे.
    आप चिंता न करें. हम इसबार इतनी बरसात कर देंगे कि सरकार क्रेडिट नहीं ले सकेगी. सारा क्रेडिट समेटकर हम जेब में भर लेंगे.

    ---इन्द्र

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  5. ऊपर धूलि चिट्ठी को धुली चिट्ठी पढें. नया स्टेनो रखा है. मात्रा की गलती करता रहता है.


    ----इन्द्र

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  6. हा हा हा.. इंद्र की निंद जरुर टुट जायेगी...

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  7. इन्द्र जी का जबाब, उनके स्पोक्सपर्सन के माध्यम से :-
    प्रिय जनाव, आपके द्बारा उठाये गए सवालो के हलके-फुल्के जबाब को आप कदाचित अन्यथा न ले ! आपने जो चिंताए व्यक्त की और जो सुझाव रखे, हम उनका तहे दिल से स्वागत करते है और उन पर गौर फरमाने का आपको आश्वासन देते है ! लेकिन जनाव, आप हमारी इस बात को अप्रेसिएट करेंगे कि हमें तो इस पूरे विश्व का ध्यान रखना पड़ता है ! लेकिन आप तो इस पृथ्वी के एक छोटे से भू-भाग पर स्थित है और आपको सिर्फ उसका ध्यान रखने का जिम्मा सौंपा गया था ! ज़रा आप बताने का कष्ट करेंगे कि आपने अपनी जिम्मेदारी को किस हद तक निभाया? अब आप कहेंगे कि ये काम मेरा थोड़े ही है, ये तो सरकार का काम है ! मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि सरकार किसकी है ? किसने बनाई? आपने ! जैसा बोवोगे , वैसा ही तो काटना पड़ेगा. सरकार जिसकी भी है जैसी भी है आप जैसे आम आदमी के वोटो पर तो टिकी है, जब आम आदमी को वोट देने की तमीज नहीं है , तो भुगते अपने कर्मो का फल, हमारी नींद में खामखा खलल देते हो ? अरे, मेरी बातों पर यकीन ना हो तो अपनी गाडी उठावो और दिल्ली गाजिआबाद बॉर्डर पर अभी जाकर देखो, तुम्हारी यह सरकार क्या कर रही है, एक मिनट में पता लग जाएगा !

    और हाँ, आगे से जब आपका दूसरो के घरों पर पत्थर फेंकने का मूड करे तो पहले अपने घर को दूरस्त कर लेना !
    धन्यवाद,
    इन्द्र

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  8. भई विवेक जी! देवता लोग ऎसे नहीं सुनते....कोई आरती कीजिए,चालीसा पढिए,या फिर कोई भजन ही सुना दीजिए:)

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  9. देवता सिर्फ सुनते हैं पढ़ते नहीं...जिस ज़माने के ये देवता हैं उस ज़माने में पढाई लिखाई नहीं हुआ करती थी...आप की अर्जी पर सुनवाई होगी इस बात पर संदेह है.
    नीरज

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  10. यहाँ तो दो-दो इन्द्र कमेन्ट करके चले गए. कौन से असली हैं और कौन नकली, यह जानने के लिए एक कमीशन बैठाया जाना चाहिए.

    चिट्ठी बहुत साहित्यिक है. बहुत बढ़िया लगा बांचकर.

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  11. अरे इंद्र भगवान जी ने तो पोस्‍ट पढ लिया !!

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  12. अपनी सरकार पर मानव जाति का खतरा देखकर शायद इंद्र देवता सचेत हो जायें और अच्छा मानसून देने के लिये आदेशित करें कि ये मानव तो उधर ही अच्छा लगता है अगर इधर आ गया तो हमारे नृत्य वाले कार्यक्रम में विघ्न डालेगा।

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  13. लम्बे समय तक मन्त्रियों के विभाग बदले नहीं जायेंगे तो वे निरंकुश और भ्रष्ट हो सकते हैं!!!!
    इंद्र उवाच-"हम वादा करते हैं कि जागने के बाद सौ दिन के भीतर एक ट्रांस्फ़र पालिसी इंद्र्सभा में प्रस्तुत करके पारित करेंगे और यमराज को उसकी कॉपी उचित कार्यवाई के लिए भिजा दी जाएगी।" :) :-)

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  14. अरे, आपने तो हमारे नाम पर एक पूरा लेख लिख डाला! अब तो अवश्य वर्षा होगी :)

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  15. कृपया इस तरह की चिठ्ठी सार्वजनिक न किया करे आप पर इन्द्र देवता मानहानि का दावा पेश कर सकते है .आप खुद ऑफिस चल कर आ सकते थे .या अपने स्टेनो से ब्रीफकेस में कुछ मिठाई इत्यादि भिजवाते तो आपके यहाँ बादल भिजवा देते .बॉम्बे वालो को देखिये .इतन मिठाई आई की वहां लगभग सारे स्टाफ को भेजना पड़ा .फिर आपके यहाँ कौन सा बादल आता .
    आगे से कृपया ऐसी चिट्ठी न लिखे .....यदि लिखे भी तो अंग्रेजी में लिखे .ऐसी शुद्ध हिंदी यहाँ ऑफिस में कम लोगो को आती है .आपकी चिट्ठी पढ़वाने के लिए ओर उसका सही अर्थ जानने के लिए पुराने बाबु को ढूंढ़ना पड़ा.....अगली चिट्ठी पर आपके खिलाफ कारवाही होगी.....खिड़की से देखिये एक बादल आपके पडोसी के यहाँ पानी गिरा कर जा रहा है......
    धन्यवाद
    इन्द्र ऑफिस.

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  16. स्वर्ग में भी लोकतन्त्र की आवश्यकता है.

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  17. इलेक्‍शन कब है भाई?सोचा कोई काम हो नहीं रहा है तो यहीं आजमाइश कर लें, भले काम के लि‍ए स्‍वर्ग तो मि‍लेगा:)

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  18. इन्द्र आये और कमेंट बरसा कर चले गये. ये भी अजब है, देवता भी ठीक से पोस्ट पढ़े बिना कमेंट करने लगे. कहाँ पानी बरसाने का निवेदन था और कहाँ कमेंट बरसा दिये.


    इस निवेदन को गीत में कन्वर्ट करो ताकि उस पर उर्वशी नाच सके तो इन्द्र सुन पायेंगे.

    मस्त चिट्ठी.

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  19. इस बेहतरीन पोस्ट के लिए आभार. मजा आ गया.

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  20. चलिए इसी बात पर हम भी जयकारा लगा देते हैं- जय हो.,जय हो,जय हो.

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  21. लगता है अब इंद्रासन हिल कर ही रहेगा?:)

    रामराम.

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  22. अरे वर्षा मंत्रालय तो करोडों साल से सही काम कर रहा है. अब तो भगवान् को बाँध मंत्रालय, भूगर्भ जल मंत्रालय आदि बनाने चाहिए.

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  23. अभी अभी टंकी के नलके के माध्यम से इन्द्र देवता का मेसेज आया है..कह रहे थे ..ई विवेक्वा सबके सामने हमारे नाम लिखी गयी चिट्ठी को रख कर हमको सच का सामना करा रहा है.....हम भी आजे फैसला किये हैं ..जल्दीए एगो ब्लॉग शुरू करेंगे..वहाँ लम्बा लम्बा बहस चलेगा...खूब वाद-विवाद होगा...हम बीचे में टोक दिए....अरे सर ...ई सब तो होता रहेगा..ई तो बताइये ..बर्षा कब होगा...अरे जब उस वाद-विवाद का अंत होगा...एकठो ईमेल आईडी बनाओ तो हमरे लिए ..मेनका के नाम से...

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  24. .......विवेक जी आप इंदर भगवान के इंटरेस्ट जानते हैं -काहें समय बर्बाद कर रहे हैं किसी राजी खुशी करके मानवता के नाम पर स्वर्गारोहण करा दीजिये -ताऊ की मदद लीजिये और एक धाँसू अनुष्ठान चिट्ठाजगत में हो ही जाय -ताऊ का परिचय एक से बढ़ कर बाबाओं से हैं -समेरा नन्द आदि आदि -जो आधुनिक विश्वामित्र हैं -सशरीर भेजेंगें अयाहन से इन्द्र का पारितोषिक -पर सवाल यह की किसे हम भेजना चाहते हैं ? समझ गए न की और खुलासा किया जाय !

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  25. आपके गुरु ने इसे साहित्यिक रचना बताया है। बहुत बधाई!

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