शुक्रवार, अगस्त 07, 2009

नेकी करके कहाँ डालें

मानव सभ्यता के इतिहास में कुएं का अपना अलग ही महत्व है । मानव सभ्यता पहले नदियों के किनारे पनपी होंगी । किन्तु जब कुएं का आविष्कार हुआ होगा तो लोग सुविधानुसार नदियों से दूर जाकर भी बसने लगे होंगे ।

कुछ साल पहले तक कम से कम गावँ में कुएं ने अपना दबदबा बनाए रखा था । सुबह शाम कुओं पर पानी ले जाने वाली महिलाओं की भीड़ लग जाती थी । कुएं पर जाकर खड़े खड़े बाल्टी से पानी खींचकर नहाने में भी मज़ा था । यहाँ पर विचार विमर्श का दौर चलता था । बहुत सी समस्याओं के समाधान यहीं खड़े खड़े निकल आते थे तो कुछ मामलों में समस्यायें पैदा भी हो जाती थीं । सास-बहू के झगड़े की रणनीतियाँ यहीं तैयार की जाती थीं ।

हालांकि कुआँ अभी भी अस्तित्व में है । पर यह कम्पनी दिवालिया सी हो गयी है । हैण्डपम्प ने कुआँ कम्पनी को टेकओवर कर लिया है ।

यूँ तो आज भी बच्चे के जन्म के अवसर पर कुआँ पूजन होता है । विवाह के अवसर पर भी कुआँ पूजन की रस्म अदा की जाती है । कुआँ खोदकर पानी पीने का मुहावरा अभी भी प्रचलन में है । पर जब कुआँ ही नहीं तो मुहावरे का स्वाद भी फ़ीका-फ़ीका सा लगता है । अब तो नल लगाकर पानी पीने का मुहावरा होना चाहिये ।

सर्वेक्षणों से पता चलता है कि आजकल भले लोगों का प्रतिशत लगातार गिरता ही जा रहा है । इसके पीछे भी कुएं का हाथ है । अब लोगों ने नेकी करना बन्द सा किया हुआ है । लोगों से पूछा जाय कि आजकल वे नेकी क्यों नहीं कर रहे तो जवाब मिलता है कि पहले नेकी करके कुएं में डालने का प्रोवीजन था । अब अगर नेकी की जाय तो उसे डिस्पोज करने की समस्या आती है । पहले ही इतनी नेकी कर करके कुओं में डाल दी गयी है कि कुएं ऊपर तक नेकी से भरे हुए हैं । ऐसे में अगर नेकी की गयी तो मजबूरन घर में रखनी पड़ती है । और अगर बच्चों की पहुँच में रख दी तो कहीं लेने के देने न पड़ जायें यही सोचकर नेकी अब विशेष परिस्थितियों में ही की जाती है ।

कुछ लोगों ने बोरवेल में नेकी डिस्पोज करने की कोशिश की थी तो वहाँ कोई न कोई बच्चा गिर गया वे भी बंद कराने पड़े ।

अब नेकी करें तो कैसे ?

25 टिप्‍पणियां:

  1. सचमुच समस्या तो भारी है। क्यों न सार्वजनिक रूप से कभी नेकी न करने का संकल्प लिया जाय?


    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  2. आपकी प्रविष्टि अवलोकनार्थ प्रस्तुत की गयी,
    कृपया स्पष्ट करें कि आपको नेकी करने के लिये अधिकृत किया गया है, या नहीं ?
    यदि हाँ, तो सम्बन्धित आख्या के साथ अँधकूप कार्यालय में प्रातः 5.45 पर उपस्थित हों ।

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  3. दईया रे, यहूँ एप्रूवल ?
    चलो अच्छा है, अब ब्लागर पर कोई छुटभईया नहीं रहेगा !

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  4. नेकी करने के जज्बे को जिलाए रखे ...यही ज्यादा जरूरी है .वर्ना नेकी भी विलुप्त प्रजातियों में शामिल हो जायेगी...ओर हम कुंए का बहाना लेकर फिर बच जायेंगे ....श्याम बेनेगेल की एक्पिक्चार याद आ रही है जो किसी कथा पे बनी थी .....अभी नाम नहीं याद आ रहा ....उसमे मूल यही था की गाँव के आदमी एक एक कर कुंए के आगे अपना गुनाह कबूलेगे....तभी गाँव का भला होगा.....पूरा गाँव गुनाहगार निकला......

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  5. अब नेकियां कूओं में नहीं डाली जातीं। जताई जाती हैं।

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  6. दरियादिली इसी में है कि नेकी करके दरिया में डालो! अगर आपके पास दरिया नहीं है तो इलाहाबाद पाण्डेय जी के पास भेज दो; वे रोज़ गंगा किनारे सैर को निकलते हैं :)

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  7. विवेक भाई ... नेकी कर दरिया मैं डाल , ये कैसा रहेगा ? हालांकी दरिया भी प्रदुषण से overloaded है |

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  8. हा हा हा... नेकी कर घर पे रख..

    वैसे हालत मोटी हुई क्या?

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  9. नेकी तो जरूर करें.....और उसे करने के बाद....नेकी कर दरिया मे डाल या कूएं में.....यदि कोई परेशानी ज्यादा है तो "नेकी कर गड्डे में दाब";)

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  10. हमारे शहर के हिसाब से "नेकी कर बड़े ताल में डाल" उपायुक्त लग रहा है. ताल सूख गयी थी तो गर्मियों में लोगों ने नेकी वहीँ डाली भी थी.

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  11. नेकी कर कही भी फेंक दे जी
    नेकी कही भी नजर न आये
    चल नेकी को दरिया में फेक आये
    भाई नेकी दरिया में डूब जाए

    आपकी पोस्ट कुछ लीक से हटकर बहुत बढ़िया रही .

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  12. नेकी कर और पोस्ट पे डाल-ये ब्लॉग किस दिन काम आयेगा बालक.

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  13. हम अभी से एगो कुँआ खोद लेते हैं....जैसे ही खुद जाएगा ..फटाक से नेकी करने लग जायेंगे...तब तक टेपी करते हैं .ई .लिजियी टीप दिए हैं..कुँए से पूछ लिए न.....कहीं उसकी निजता का उल्लंघन तो नहीं हुआ न..गहराई का तो है ही...

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  14. वैसे कुआं कंपनियों में भी मोटर लगा दी गई है आजकल :)

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  15. इधर वादी में एग-गू ठो खूब बड़का-बड़का कुआँ अभियो बचा हुआ है

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  16. ऐसे में अगर नेकी की गयी तो मजबूरन घर में रखनी पड़ती है । और अगर बच्चों की पहुँच में रख दी तो कहीं लेने के देने न पड़ जायें
    सही लिखा .. बच्‍चें ने कही नेकी करनी सीख ली तो .. आनेवाले युग में बच्‍चों का दुनिया से निभा पाना भी मुश्किल हो जाएगा !!

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  17. यहाँ पर विचार विमर्श का दौर चलता था । बहुत सी समस्याओं के समाधान यहीं खड़े खड़े निकल आते थे |

    सही कहा आपने ! पहले कुंए एक तरह के सामुदायिक स्थल ही होते थे |
    वैसे नेकी कर पोस्ट पर डाल वाली बात समीर जी ने सही कही है | ये ब्लोग्वा कब काम आएगा |

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  18. हम तो टिप्पणी रूपी नेकी को ब्लाग में डालकर अपना कर्तव्य पूरा कर रहे हैं>

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  19. वाह जी ....वाह ....अब ये कुंए की दास्तान भी इस तरह रंग लाएगी सोचा न था ........बहुत लाजवाब लिखा आपने ......!!

    हाँ समीर जी के ब्लॉग पे जो दावा किया है आपने मैं भी उससे सहमत हूँ ..!!

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  20. आलोक पुराणिक का एक लेख है-नेकी कर अखबार में डाल। अब चूंकि अखबार तक तुम्हारी पहुंच है नहीं सो जैसा समीरलाल कहते हैं और करते हैं (बिना नेकी किये हुये) अपनी नेकी को ब्लाग पोस्ट पर ही डालते रहो।

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  21. बड़ों का कहना ठीक ही लग रहा कि नेकी कर ब्लॉग में डाल

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