शुक्रवार, सितंबर 25, 2009

शरद ऋतु लायी नई बहार

शरद ऋतु लायी नई बहार


भोर और संध्या हैं ताजा
सूरज हुआ उदार
शरद ऋतु लायी नई बहार


नया नया सा मौसम आया
बिखरा-बिखरा सा सब पाया
पहले वह थोड़ा झुँझलाया
करने लगा सुधार
शरद ऋतु लायी नई बहार

कट्टर-पंथी चुनाव हारे
धूप और लू छिपकर सारे
आपस में लड़ते बेचारे
शासन करत उदार
शरद ऋतु लायी नई बहार

गरमी में जो मारे चाँटे
बिना बात ही सबको डाँटे
तब जो धूप चुभोए काँटे
करे वही अब प्यार
शरद ऋतु लायी नई बहार

ईद, दशहरा, गरबा छाये
एक साथ सब मिलकर आये
दीवाली की रौनक लाए
भाये सब त्यौहार
शरद ऋतु लायी नई बहार

भोर और संध्या हैं ताजा
सूरज हुआ उदार
शरद ऋतु लायी नई बहार

13 टिप्‍पणियां:

  1. शरद ऋतु लायी नई बहार
    ग्रीष्म को ले गए चार कहार:)

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  2. गरमी में जो मारे चाँटे
    बिना बात ही सबको डाँटे
    तब जो धूप चुभोए काँटे
    करे वही अब प्यार
    शरद ऋतु की मनोवृत्तियो को; उसके बदलाव और सामाजिक स्तर पर हुए परिवर्तन को रेखांकित करती रचना
    बहुत खूबसूरत

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  3. आपके साथ हम भी स्वागत करते है इस मौसम का...

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  4. वाह-वाह कविवर, आपने तो शरद की अभी आगवानी कर दी। यहाँ इलाहाबाद में तो अभी ऊमस भरी गर्मी झेल रहे हैं। शारदीय नवरात्र बीता जा रहा है लेकिन गर्मी अभी सकुचा नहीं रही है।

    वर्षा रानी को जाने कहाँ छिपा दिया इन कमबख्त हवाओं ने। बादल भी परे चले गये। अब शरद ऋतु भी आने में देर कर रही है।

    आपकी कविता ने जरूर मन मोह लिया। शुक्रिया साहब...।

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  5. बहुत ही सुन्दर कविता....
    लेकिन इतना जानते हैं कि ये आपकी अपनी कविता नहीं है।

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  6. शरद का कोहरा देख लें - तब पता चलेगा कि उदारपन्थ कितना उदार है!

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  7. अच्छी कविता..

    ऋतु बदलने की सूचना के लिए आभार.. हमारे यहां तो पारा 38-39 पर ही चढ़ा हुआ है..
    हैपी ब्लॉगिंग

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  8. पंचांग-पत्रा में ही आयी है शरद ऋतु इधर तो । अभी अनुभव में नहीं उतरी हमारे ।

    यह क्या कहा वत्स जी ने ? यह आपकी कविता नहीं है ।
    मैं इतना ही कहे जाता हूँ - कविता सुन्दर है ।

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  9. बहुत मोहक कविता शरद ऋतू के स्वागत में , आपका यह रूप पसंद आया , शुभकामनायें !

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  10. इष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.

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